सरसों के पीछे पड़ा माहू कीट, फसलों को बचाएं, स्टिकी ट्रैप से इसे जड़ से निपटाएं

सरसों के पीछे पड़ा माहू कीट, फसलों को बचाएं, स्टिकी ट्रैप से इसे जड़ से निपटाएं

वातावरण में अधिक परिवर्तन देखने को मिल रहा है. कभी बदली का मौसम कभी कुहासे का मौसम, कभी-कभी हल्की-फुल्की फुहार भी पड़ रही है. वातावरण में नमी का प्रतिशत अधिक है. तापक्रम कम है. ऐसे बदलते जलवायु परिवर्तन की स्थिति में सरसों की फसल में माहू कीट का प्रकोप काफी देखा जा रहा है. यह बहुत छोटा सा हरे रंग का कीट होता है. उपर्युक्त वातावरण की स्थिति में सरसों के कोमल फूलों में ये कोमल नवीन फलियों का रस चूस कर काफी नुकसान पहुंचाता है.

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सरसों के पीछे पड़ा माहू कीट, फसलों को बचाएं, स्टिकी ट्रैप से इसे जड़ से निपटाएंसरसों की खेती. (फाइल फोटो)

चालू सीजन में भारत के उत्तर और मध्य भागों में 88.50 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में सरसों की बुवाई हुई है. राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में बड़े पैमाने पर इसकी खेती हो रही है. लेकिन बेहतर उपज लेने के लिए सरसों की फसल को माहू कीट से सुरक्षित बेहद जरूरी है. माहू कीट, जो एक छोटा हरे, काले और पीले रंग का कीट होता है, दिसंबर के अंतिम सप्ताह से मार्च तक फसलों पर हमला करता है. यह कीट सरसों की पत्तियों, फूलों और फलियों का रस चूसकर पौधों को पीला और सूखा बना देता है. इसकी प्रजनन क्षमता इतनी अधिक है कि एक सप्ताह के जीवनकाल में यह हजारों की संख्या में बढ़ सकता है.

माहूं कीट के प्रकोप के बेहद अनुकूल मौसम 

कृषि विज्ञान केंद्र नरकटियागंज बिहार के हेड और पौध सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. आर. पी. सिंह ने बताया कि आजकल वातावरण में अधिक परिवर्तन देखने को मिल रहा है. कभी बदली का मौसम कभी कुहासे का मौसम तो कभी-कभी हल्की-फुल्की फुहार भी पड़ रही है. वातावरण में नमी का प्रतिशत अधिक है. तापक्रम कम है. ऐसे बदलते जलवायु परिवर्तन की स्थिति में सरसों की फसल में माहू कीट का प्रकोप काफी देखा जा रहा है.  यह बहुत छोटा सा हरे रंग का कीट होता है. उपर्युक्त वातावरण की स्थिति में सरसों के कोमल फूलों ये कोमल नवीन फलियों का रस चूस कर काफी नुकसान पहुंचाता है.

स्टिकी ट्रैप: बिना केमिकल के समाधान

आर. पी. सिंह ने किसानों को सलाह दी है कि सरसों की फसल में माहू कीट से बचाव के लिए स्टिकी ट्रैप का उपयोग करें. बदलते मौसम, कुहासे और हल्की बारिश के कारण वातावरण में नमी बढ़ने से माहू कीट का प्रकोप तेजी से फैल सकता है. ऐसी स्थिति में रसायनों का अंधाधुंध प्रयोग महंगा और पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकता है. स्टिकी ट्रैप न केवल सस्ता है बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी है. स्टिकी ट्रैप एक पतली चिपचिपी शीट होती है, जो कीटों को आकर्षित करती है और उन्हें फसल को नुकसान पहुंचाने से रोकती है. सरसों की फसल में विशेष रूप से पीले रंग के स्टिकी ट्रैप का प्रयोग किया जाता है क्योंकि माहू कीट पीले रंग की ओर आकर्षित होते हैं. 

स्टिकी ट्रैप का उपयोग कैसे करें? 

  • स्थान और ऊंचाई: स्टिकी ट्रैप को फसल की ऊंचाई से 1 से 2 फीट ऊपर लगाएं.
  • संख्या: प्रति एकड़ 10 से 15 स्टिकी ट्रैप लगाना पर्याप्त होता है.
  • स्थान का चयन: ट्रैप को ऐसी जगह लगाएं, जहां अधिक कीट एकत्रित हो सकें.
  • समय पर बदलाव: ट्रैप को हर 20-25 दिन में बदलें ताकि वे प्रभावी बने रहें.
  • सावधानियां: ट्रैप को छूने से पहले हाथ साफ रखें ताकि किसी रसायन की गंध ट्रैप की प्रभावशीलता को प्रभावित न करे.
  • स्टिकी ट्रैप का उपयोग करके किसान कम लागत में माहू कीट का प्रभावी नियंत्रण कर सकते हैं. यह तकनीक न केवल फसल की गुणवत्ता को बनाए रखती है बल्कि रसायनों के उपयोग को भी कम करती है, जिससे पर्यावरण सुरक्षित रहता है. समय पर उचित उपाय अपनाकर किसान सरसों की उपज में वृद्धि कर सकते हैं और बेहतर आर्थिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं.

माहू कीट नियंत्रण के अन्य उपाय    

  • प्रभावित पौधों को हटाना: माहू से प्रभावित पौधों को तुरंत तोड़कर नष्ट करें.
  • नीम का तेल: दो प्रतिशत नीम के तेल का स्प्रे माहू कीट को नियंत्रित करने में सहायक होता है.
  • दवा का छिड़काव: मेटासिस्टाक्स या अन्य उपयुक्त कीटनाशकों का समय पर उपयोग करें.
  • नमी नियंत्रण: कोहरे और अत्यधिक नमी के समय विशेष सतर्कता बरतें.

डॉ आर पी सिंह ने बताया कि किसान को सलाह दिया है कि वे इस सरल तकनीक का उपयोग करें और समय-समय पर फसल की निगरानी करें. इससे फसल सुरक्षित रहेगी.

 

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