बासमती क‍िसान हो जाएं सावधान...वरना एक्सपोर्ट की उम्मीदों पर फ‍िरेगा पानी, होगा नुकसान

बासमती क‍िसान हो जाएं सावधान...वरना एक्सपोर्ट की उम्मीदों पर फ‍िरेगा पानी, होगा नुकसान

Basmati Rice: धान की खेती मे लगने वाले रोगों और कीटों से देसी टेक्न‍िक के जर‍िए भी न‍िपटा जा सकता है. दुकानदारों की सलाह पर दवा लेने और स्प्रे करने से बचें. कीटनाशक बहुत ही मजबूरी में डालें क‍िसान. जान‍िए पत्ती लपेटक और तेला का क्या है देसी समाधान.  

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 बासमती क‍िसान हो जाएं सावधान...वरना एक्सपोर्ट की उम्मीदों पर फ‍िरेगा पानी, होगा नुकसान  बासमती धान की खेती में ऐसे करें पत्ती लपेटक पर कंट्रोल (Photo-Kisan Tak).

बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन (BEDF) के प्र‍िंस‍िपल साइंट‍िस्ट डॉ. र‍ितेश शर्मा का कहना है क‍ि अगर बासमती चावल का एक्सपोर्ट बढ़ाना है तो क‍िसानों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि जब तक बीमारी इतनी न हो जाए कि वो हमें आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचा दे तब तक का किसी कीटनाशक का स्प्रे नहीं करना है. धान की खेती में अगर यदि जल प्रबंधन और यूरिया का संतुलित इस्तेमाल किया जाए तो बीमारी और कीड़ों का प्रकोप न के बराबर होगा. रोगों और कीटों से देसी टेक्न‍िक से भी न‍िपटा जा सकता है. कीटनाशक बहुत ही मजबूरी में डालें. लेक‍िन कृष‍ि वैज्ञान‍िकों से सलाह लेकर ही यह काम करें. कीटनाशक का कारोबार करने वाले दुकानदारों की बातों में न आएं. वरना वो अपनी कमाई के चक्कर में आपकी उम्मीदों पर पानी फेर देंगे.

दरअसल, अमेर‍िका और यूरोपीय यून‍ियन के देश ही नहीं बल्क‍ि दूसरे छोटे मुल्क भी अब सेहत से जुड़े मामलों की वजह से केमिकल अवशेष मुक्त बासमती चावल की मांग करने लगे हैं. इसल‍िए भारतीय क‍िसानों के सामने कीटनाशकों की चुनौती से न‍िपटने की बड़ी समस्या आ गई है. पेस्टीसाइड न डालें तो धान की खेती रोगों से खराब होती है और इस्तेमाल करें तो फ‍िर चावल एक्सपोर्ट नहीं हो पाता. बासमती चावल का न‍िर्यात 38,500 करोड़ से अध‍िक का हो गया है. इसे और बढ़ाने की कोश‍िश हो रही है, लेक‍िन ऐसा तभी हो पाएगा जब चावल में कीटनाशकों के अवशेष न म‍िले.  

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दुकानदारों की सलाह से सावधान

बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन (BEDF) के प्र‍िंस‍िपल साइंट‍िस्ट डॉ. र‍ितेश शर्मा का कहना है कि क‍िसानों को दुकानदारों के कहने पर कीटनाशक डालने से बचना चाहिए. उनकी सलाह से कीटनाशक डालेंगे तो बड़ा नुकसान हो सकता है. दुकानदारों के पास तो कीटनाशक बेचने का टारगेट है. आपको बरगला कर वो कीटनाशक दे देंगे. आप उनका इस्तेमाल कर लेंगे और नुकसान हो जाएगा. बासमती धान में लगने वाली बीमारियों और कीटों के लिए जो दवाईयां तय हैं, उनकी नजदीक के कृष‍ि व‍िज्ञान केंद्र से जानकारी लें. या बीईडीएफ की हेल्पलाइन नंबर 8630641798 पर संपर्क करें. 

क‍िसानों को यह समझना होगा क‍ि दुकानदार उसी दवा को बेचने की कोश‍िश करेगा जो उसे ज्यादा कमीशन पर म‍िलेगी या फ‍िर जो कंपनी उसे व‍िदेश की यात्रा करवाएगी. वो आपका भला नहीं चाहेगा. सही तो यह है क‍ि इन दवाओं का इस्तेमाल ही न हो. खेत में यूर‍िया और पानी का सही मैनेजमेंट हो और देसी टेक्न‍िक से रोगों को खत्म क‍िया जाए और कीटों का अटैक कम क‍िया जाए. 

कीड़ों से धान का बचाव का देसी तरीका

अगर खेत में पत्ती लपेटक कीड़ा नजर आता है तो उसे मारने के ल‍िए कीटनाशक का इस्तेमाल करने से बचें. एक बड़ी रस्सी को दो लोग पकड़कर धान के खेत में खींचते चले जाएं. इस प्रक्रिया से पत्ती लपेटक की सुंडी पानी मे गिर जाएगी और दोबारा ऊपर नहीं आएगी. अगर तेला नामक कीड़ा लग रहा है तो खेत में लगे ट्यूबवेल की दीवार पर पीला रंग करें. बाहर एक बल्ब लगा दें. फ‍िर पीले रंग के आसपास ग्रीस लगा दें. इससे कीट पीले रंग और लाइट की ओर आकर्षित होंगे और ग्रीस पर आकर चिपक जाएंगे. ब‍िना दवा के ही ये कीड़े खत्म हो जाएंगे. 

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