पूरी दुनिया में अब क्लाइमेट चेंज यानी जलवायु परिवर्तन नजर आने लगा है और अब इसने फसलों पर भी असर डालना शुरू कर दिया है. जलवायु परिस्थितियां अब बहुत ही अनिश्चित हो गई हैं. इन हालातों को देखते हुए कर्नाटक राज्य की राजधानी बेंगलुरु और उसके आस-पास के ज्यादा से ज्यादा किसान अब ग्रीनहाउस या पॉलीहाउस में फसल उगाने की तरफ बढ़ रहे हैं. यहां पर कई किसानों ने पॉलीहाउस खेती के फायदों को देखते हुए इसकी तरफ रुख किया है.
अखबार डेक्कन हेराल्ड ने अपनी एक रिपोर्ट में राष्ट्रीय बागवानी मिशन (एनएचएम) के कुछ आंकड़ों का हवाला दिया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रीनहाउस खेती के क्षेत्र में साल 2021-22 और 2023-24 के बीच बेंगलुरु में करीब 300 फीसदी का इजाफा हुआ है. इसे सरकार की तरफ से भी आंशिक तौर पर समर्थन दिया जाता है. बागवानी विभाग एनएचएम के तहत ग्रीनहाउस शुरू करने पर करीब 50 फीसदी की सब्सिडी प्रदान करता है. सब्सिडी के जरिये सौदे को और भी बेहतर बनाया जाता है और बेंगलुरु शहर के किसान राज्य में इसके सबसे बड़े लाभार्थी हैं.
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डेटा से पता चला है कि साल 2021-22 में सब्सिडी कार्यक्रम के तहत अर्बन बेंगलुरु में सिर्फ 5.2 हेक्टेयर भूमि ही इसके लिए प्रयोग की गई थी. जबकि साल 2023-24 तक यह बढ़कर 18.96 हेक्टेयर तक हो गई है. इससे पता चलता है कि इस तरह की कृषि पद्धतियों के लिए किसानों की रुचि बढ़ती जा रही है. इन ग्रीनहाउस में सिर्फ कुछ ही तरह की फसलें उगाई जा सकती हैं, लेकिन बागवानी अधिकारियों की मानें तो इस तरह की परंपराओं की मदद से फसल तीन या चार गुना तक बढ़ सकती है. इस वजह से किसान इसके लिए आकर्षित हो रहे हैं.
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एनएचएम के तहत ग्रीनहाउस योजना के इंचार्ज श्रीनिवास रेड्डी ने कहा, 'इन ग्रीनहाउस में ज्यादातर कारनेशन, गुलाब, एंथुरियम और जरबेरा जैसे फूल उगाए जाते हैं. हालांकि, कई किसानों ने शिमला मिर्च, टमाटर और खीरे जैसी सब्जियां भी उगानी शुरू कर दी हैं. चूंकि फसल बीमारियों से सुरक्षित है और एक विनियमित वातावरण में उगती है, इसलिए उपज तीन या चार गुना बढ़ जाती है. ग्रीनहाउस में खेती करने से फसलें भारी बारिश और ज्यादा तापमान जैसी जलवायु अनिश्चितताओं से सुरक्षित रहती हैं.
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एक एकड़ जमीन पर ग्रीनहाउस बनाने में करीब 30 लाख रुपये खर्च हो सकते हैं. सब्सिडी के साथ किसानों को कम से कम 15 लाख रुपये खर्च करने पड़ सकते हैं. एक किसान अरविंद टीएम की मानें तो जब भारी बारिश होती है या जब बीमारियां फैलती हैं तो आम तौर पर फसल का नुकसान बहुत ज्यादा होता है. जब ग्रीनहाउस में इन्हें उगाया जाता है तो जलवायु से जुड़ी अनिश्चितताएं और बीमारी दोनों दूर रहते हैं. डोड्डाबल्लापुरा के किसान अरविंद टीएम साल 2006 से ग्रीनहाउस में फूल उगा रहे हैं. उन्होंने बताया कि इसमें निवेश बहुत ज्यादा करना पड़ता है लेकिन यह फायदेमंद है.
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