अरहर से अच्छी उपज के लिए नाइट्रोजन-फॉस्फोरस का छिड़काव जरूरी, इतनी रखें मात्रा

अरहर से अच्छी उपज के लिए नाइट्रोजन-फॉस्फोरस का छिड़काव जरूरी, इतनी रखें मात्रा

अरहर से अच्छी उपज के लिए संतुलित मात्रा में उर्वरक और पोषक तत्व का प्रयोग करना चाहिए. इन पोषक तत्वों और खाद को डालने से किसानों को अच्छी उपज मिलती है. ये पोषक तत्व हैं नाइट्रोजन और फॉस्फोरस. इन दोनों पोषक तत्वों का छिड़काव अरहर की खेती में काफी उपयोगी साबित होता है.

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अरहर से अच्छी उपज के लिए नाइट्रोजन-फॉस्फोरस का छिड़काव जरूरी, इतनी रखें मात्राअरहर की खेती

अरहर की खेती हमेशा से किसानों के लिए फायदे का सौदा रही है. अरहर की खेती खरीफ सीजन में की जाती है. वहीं, खरीफ सीजन में कई राज्यों के किसान अरहर की खेती कर चुके हैं. लेकिन कई बार किसानों को अच्छी उपज नहीं मिलती है जिससे किसान परेशान रहते हैं. ऐसे में किसानों को अरहर से अच्छी उपज लेने के लिए खेतों में कई पोषक तत्वों के इस्तेमाल करने की जरूरत होती है जिसे डालने से किसानों को अच्छी उपज मिलती है. इसमें शामिल हैं नाइट्रोजन और फॉस्फोरस. इन दोनों पोषक तत्वों का छिड़काव अरहर की खेती में काफी उपयोगी साबित होता है. ऐसे में आइए जानते हैं कितनी मात्रा में नाइट्रोजन-फॉस्फोरस का छिड़काव करना चाहिए.

इतनी मात्रा में करें छिड़काव

अरहर से अच्छी उपज के लिए संतुलित मात्रा में उर्वरक और पोषक तत्वों का प्रयोग करना चाहिए. वहीं, खाद का प्रयोग मिट्टी के परीक्षण के आधार पर करना चाहिए. अरहर की अच्छी उपज लेने के लिए 10-15 किलो नाइट्रोजन, 40-50 किलो फॉस्फोरस और 20 किलो सल्फर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए. इसके अलावा खाद के इस्तेमाल से भी अरहर की अधिक से अधिक उपज ली जा सकती है. इसके लिए फॉस्फोरस युक्त उर्वरकों जैसे-सिंगल सुपर फॉस्फेट 250 किलो प्रति हेक्टेयर या 100 किलो डीएपी और 20 किलो सल्फर को पंक्तियों में बुवाई के कुछ दिनों बाद डालना चाहिए.

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उपज बढ़ाने के अन्य उपाय

कई प्रयोगों से यह पता चलता है कि मेड़ों पर अरहर की बुवाई करने पर न केवल पैदावार में बढ़ोतरी होती है, बल्कि इस तकनीक को अपनाने से जलभराव से नुकसान से भी बचा जा सकता है. इसके साथ ही कवकजनित रोगों का हमला भी कम होता है. इससे उपज में बढ़ोतरी होती है.

खेत को ऐसे करें तैयार

अरहर की खेती करने के लिए खेत की मिट्टी में पलट हल से एक गहरी जुताई कर लें. उसके बाद 2-3 जुताई हल और हैरो से करना उचित रहता है. इसके बाद खेतों में खाद डालकर उसे मिला दें. फिर जब बारिश से खेत में नमी आ जाए तब अरहर के पौधों को पॉलीथिन से निकालकर खेतों में रोपाई कर दें.

इस विधि से करें खेती

अरहर खरीफ के मौसम में उगाई जाने वाली दलहनी फसल है. इसकी खेती अगेती और पछेती फसल के रूप में की जाती है. अरहर की खेती मेड़ों पर बोने से अच्छी उपज मिलती है. वहीं, बुवाई के समय पंक्तियों का अंतर 30-45 सेंमी और पौधे से पौधे का अंतर 5-10 सेंमी बेस्ट रहता है. खरीफ की बुवाई के लिए 15 से 18 किलो बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त रहता है और बीजों को 4-5 सेंमी गहराई में बोना चाहिए.

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