उत्तर प्रदेश कृषि विभाग ने किसानों के लिए एक अद्भुत नुस्खा साझा किया है. गर्मी के मौसम में 14 विशेष फसलों को एक साथ उगाकर, किसान अपनी मिट्टी की उर्वरता को प्राकृतिक रूप से बढ़ा सकते हैं और खरीफ फसलों से बंपर उपज प्राप्त कर सकते हैं. अगर आप अपनी मिट्टी को प्राकृतिक रूप से उर्वर बनाना चाहते हैं और रासायनिक खादों पर निर्भरता कम करना चाहते हैं, तो आपको हरी खाद वाली फसलें उगानी चाहिए. दरअसल गेहूं और दूसरी रबी फसलों की कटाई के बाद, लगभग मई-जून के महीने में, अमूमन खेत खाली रहते हैं. खेतों में इस खाली टाइम में हरी साग फसलें लगाई जाती हैं, जो जल्द पनप जाती हैं, तब डेढ़-दो महीने की इन लहलहाती फसलों को, खेतों में जुताई कर मिला दिया जाता है. इससे खेतों को हरी खाद मिल जाती है. खेत अधिक उपजाऊ हो जाता है.
गर्मी के मौसम में रबी फसलों से खेत खाली होने के बाद मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने का बेहतरीन अवसर भी होता है. उत्तर प्रदेश कृषि विभाग के अनुसार, किसान गर्मी के मौसम में 14 अलग-अलग प्रकार की फसलें एक साथ लगाकर खेत की उर्वरता को बढ़ा सकते हैं. रबी फसलों की कटाई के बाद, खेतों की जुताई करें. फिर इन सभी बीजों को एक साथ मिलाकर प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें.
• सनई: 1 किग्रा
• ढैंचा: 2 किग्रा
• ग्वार: 2 किग्रा
• लोबिया: 1 किग्रा
• मूंग: 1 किग्रा
• उड़द: 1 किग्रा
• देशी ज्वार: 1 किग्रा
• देशी बाजरा: 250 ग्राम
• काला तिल: 200 ग्राम
• अरंडी: 500 ग्राम
• कचरी: 200 ग्राम
• गेंदा: 10 ग्राम
• रामा तुलसी: 10 ग्राम
• श्यामा तुलसी: 10 ग्राम
इस तरह सभी फसलों के बीज को मिलाने बाद कुल बीज की मात्रा 10 किलो 180 ग्राम होगी. रबी फसलों की कटाई के बाद, इन सभी फसलों के बीजों को एक साथ मिलाकर खेत में समान रूप से छिड़क दें और हल्की जुताई कर दें. बीज अंकुरित होकर मिट्टी में पोषक तत्व जोड़ने का काम करेंगे. जब ये फसलें 50-60 दिन की हो जाएं, तो इन्हें मिट्टी में मिला दें. इसके बाद खरीफ फसल की बुवाई करें.
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जब हरी खाद की फसले 50-60 दिनों के बाद, जब हरी खाद वाली फसलें बड़ी हो जाएं, तो उन्हें मिट्टी में मिला दें. इसके बाद, खरीफ फसलों की बुवाई करें. इन हरी खाद से खेत को ये फायदे और लाभ मिलेंगे.
• सनई से 32-50 किग्रा नाइट्रोजन प्रति एकड़
• ढैंचा से 30-32 किग्रा नाइट्रोजन प्रति एकड़
• ग्वार से 16-20 किग्रा नाइट्रोजन प्रति एकड़
• लोबिया से 20-25 किग्रा नाइट्रोजन प्रति एकड़
• मूंग से 15-18 किग्रा नाइट्रोजन प्रति एकड़
• उड़द से 17-18 किग्रा नाइट्रोजन प्रति एकड़
• देशी ज्वार से आयरन, फास्फोरस, पोटाश, कैल्शियम
• देशी बाजरा से मैग्नीशियम, जिंक, आयरन, फास्फोरस
• काला तिल से नाइट्रोजन, पोटाश, तांबा, मैग्नीशियम, जिंक, आयरन
• अरंडी से नाइट्रोजन, फास्फोरस, मैग्नीशियम, आयरन
• कचरी से आयरन, कैल्शियम, तांबा, मैग्नीशियम
• गेंदा से निमाटोड नियंत्रण में सहायक
• रामा तुलसी और श्यामा तुलसी से मिट्टी से रसायनों का प्रभाव कम करने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक
प्राकृतिक रूप से नाइट्रोजन और अन्य पोषक तत्व मिट्टी में मिल जाते हैं. मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है.इससे खेती की लागत घटती है और लाभ बढ़ता है. फसलें अधिक स्वस्थ और स्वादिष्ट होती हैं. कीट और रोगों का प्राकृतिक नियंत्रण होता है जिससे हानिकारक कीटनाशकों की जरूरत नहीं रहती. खेत की उपजाऊपन बढ़ती है जिससे अगली फसलों की पैदावार अधिक होती है. यह तकनीक किसानों के लिए कम लागत में अधिक उत्पादन का सुनहरा अवसर है और हेल्दी फूड और पर्यावरण सबके लिए बेहतर है.
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