अमरूद एक पौष्टिक और औषधीय गुणों वाला फल है, जिसकी मांग साल भर बनी रहती है. हालांकि, गर्मियों और बरसात के मौसम में अमरूद की क्वालिटी अक्सर कम हो जाती है, जिससे फलों में दरारें और सूखे धब्बे आ जाते हैं. लेकिन कुछ सावधानियां बरतकर इस समस्या को कम किया जा सकता है और इन मौसमों में भी अच्छी क्वालिटी वाले अमरूद का उत्पादन किया जा सकता है. अमरूद की क्वालिटी खराब होने के कारण पानी की कमी और अचानक बदलाव है. पानी की कमी और फिर अचानक भारी बारिश या अधिक सिंचाई से फल तेजी से बढ़ते हैं, जिससे उनकी त्वचा फट जाती है.
अमरूद के फल पोषक तत्वों जैसे कैल्शियम और बोरॉन की कमी से फलों की त्वचा कमजोर और सख्त हो जाती है, जिससे दरारें और धब्बे पड़ते हैं. अधिक धूप और उच्च तापमान से फलों की त्वचा पर सूखे और सख्त धब्बे आ सकते हैं. इसके लिए राजेंद्र प्रसाद सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, पूसा, समस्तीपुर, बिहार के प्लांट पैथोलॉजी हेड डॉ एस. के. सिंह ने गर्मी-बरसात में बेहतर क्वालिटी उत्पादन के लिए खास सुझाव दिए हैं.
सबसे पहले गर्मी में फल की बेहतर क्वालिटी के लिए गर्मी से बचाव फलों को सीधी धूप से बचाने के लिए पेड़ों पर शेड नेट या लगाएं. क्योकि इससे फलों का तापमान कम रहेगा और उन पर सूखे और सख्त धब्बे नहीं पड़ेंगे. नियमित और संतुलित सिंचाई करें, ताकि मिट्टी में नमी बनी रहे. अधिक सूखे के बाद अचानक अत्यधिक सिंचाई से बचें, क्योंकि इससे फल तेजी से बढ़ सकते हैं और उनकी त्वचा फट सकती है. इसलिए मिट्टी की नमी बनाए रखने के लिए मल्चिंग करें. मल्चिंग से मिट्टी में नमी बनी रहती है जिससे पानी का अचानक उतार-चढ़ाव नहीं होता है. बारिश के मौसम में अधिक पानी जमा न होने दें और जल निकासी की उचित व्यवस्था करें. अगर बहुत ज्यादा भारी बारिश की संभावना हो, तो अगर फलों परिपक्व हो गए तो समय पर तुड़ाई कर लें.
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कैल्शियम और बोरॉन की कमी से फलों की त्वचा कमजोर और सख्त हो जाती है, जिससे दरारें और धब्बे पड़ते हैं इस लिए कैल्शियम नाइट्रेट 0.5-1 प्रतिशत घोल या कैल्शियम क्लोराइड का पत्तियों पर छिड़काव करें. कैल्शियम फलों की त्वचा को मजबूत बनाता है और दरारें पड़ने से रोकता है. बोरॉन की कमी होने पर बोरेक्स 0.2 प्रतिशत घोल का छिड़काव करें. बोरॉन फलों की त्वचा को स्वस्थ रखता है और दरारें पड़ने से बचाता है. यूरिया में उर्वरकों का संतुलित उपयोग करें, क्योंकि अधिक नाइट्रोजन से त्वचा कोमल हो जाती है और दरारें बढ़ सकती हैं. मिट्टी की जांच करवाकर उचित पोषक तत्वों की पूर्ति करें. इससे यह सुनिश्चित होगा कि पौधों को सभी जरूरी पोषक तत्व यानी खाद मिल रहे हैं.
गर्मी और बरसात में कुछ कीट और रोग के कारण फलों की क्वालिटी खराब हो जाती है. अमरूद की फल मक्खी, थ्रिप्स, माइट्स, एन्थ्रेक्नोज, स्कैब और बैक्टीरियल कैंकर जैसे कीट और रोग भी फलों की क्वालिटी को खराब करते हैं. इसके लिए जरूरी है खेत में ट्रैप लगाएं, फलों को बैग से ढकें, नीम तेल या कीटनाशक साबुन का छिड़काव करें, और गंभीर संक्रमण में कीटनाशकों का उपयोग करें. कॉपर-आधारित फफूंद नाशक का छिड़काव करें और संक्रमित फलों को नष्ट करें. इसके अलावा अमरीक नियमित छंटाई करें, दरार-प्रतिरोधी अमरूद की किस्में चुनें, और जिन किस्मों में बार-बार समस्या आ रही हो, उन्हें बदल दें. इन उपायों को अपनाकर आप गर्मियों और बरसात में भी अच्छी क्वालिटी वाले अमरूद का उत्पादन कर सकते हैं और अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
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