अनार में फल का आकार बढ़ाने का ये है सबसे अच्छा तरीका, तुरंत अपनाएं किसान

अनार में फल का आकार बढ़ाने का ये है सबसे अच्छा तरीका, तुरंत अपनाएं किसान

अनार उपोष्णकटिबंधीय जलवायु (subtropical climate) का पौधा है. इसे अर्ध शुष्क जलवायु में अच्छे से उगाया जा सकता है. फलों के विकास और पकने के समय गर्म और शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है. लंबे समय तक उच्च तापमान रहने से फलों की मिठास बढ़ जाती है.

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अनार में फल का आकार बढ़ाने का ये है सबसे अच्छा तरीका, तुरंत अपनाएं किसानअनार की उन्नत खेती के लिए करें ये काम

भारत में अनार की खेती मुख्य रूप से महाराष्ट्र में की जाती है. इसके बगीचे राजस्थान, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक, गुजरात में छोटे पैमाने पर देखे जा सकते हैं. इसका जूस स्वादिष्ट और औषधीय गुणों से भरपूर होता है. भारत में अनार का क्षेत्रफल 113.2 हजार हेक्टेयर, उत्पादन 745 हजार मीट्रिक टन. अनार के औषधीय गुण और स्वाद के कारण इसकी मांग हमेश बनी रहती है. वहीं, इसकी कीमत भी अन्य कई फलों से काफी ज्यादा है. जिससे इसकी खेती करने वाले किसानों को भारी मुनाफा होता है. लेकिन अनार की मांग उसके आकार पर भी निर्भर करती है. अगर अनार का साइज बड़ा हो तो उसकी कीमत भी बढ़ जाती है. वहीं छोटे अनार की मांग और कीमत दोनों कम है. ऐसे में अगर आप भी अनार की खेती कर रहे हैं और अनार का आकार बढ़ाना चाहते हैं तो ये तरीका तुरंत अपनाएं.

अनार का आकार बढ़ाने के लिए करें ये उपाय

यदि समय रहते उचित प्रबंधन न किया जाए तो फल की गुणवत्ता पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. इसके लिए हमें समय पर फलों की उचित वृद्धि और रंग की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए जरूरी उपाय अपनाने चाहिए. रोगों और कीटों को नियंत्रित करने के लिए अनार के बगीचों की उचित निगरानी करें. यदि कोई कीट या रोग का प्रकोप दिखे तो उसका प्रबंधन करें. अनार की गुणवत्तापूर्ण उपज प्राप्त करने के लिए कैल्शियम नाइट्रेट 5 किलोग्राम और बोरोन 1 किलोग्राम प्रति एकड़ ड्रिप के माध्यम से अलग-अलग समय पर डालें. ऑर्थो सिलिकॉन 3% 1 ग्राम प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें. एनपीके 0:52:34, 5 किलोग्राम प्रति एकड़ सप्ताह में एक बार ड्रिप के माध्यम से सिंचाई करें.

अनार की खेती के लिए सही जलवायु

अनार उपोष्णकटिबंधीय जलवायु (subtropical climate) का पौधा है. इसे अर्ध शुष्क जलवायु में अच्छे से उगाया जा सकता है. फलों के विकास और पकने के समय गर्म और शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है. लंबे समय तक उच्च तापमान रहने से फलों की मिठास बढ़ जाती है. आर्द्र जलवायु फलों की गुणवत्ता को प्रभावित करती है और फंगल रोगों की घटनाओं को बढ़ाती है. इसकी खेती समुद्र तल से 500 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर की जा सकती है.

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अनार की उन्नत किस्में

  • गणेश किस्म- यह किस्म डॉ. गणेश रिवंद फल अनुसंधान केंद्र, पुणे के जीएस चीमा द्वारा 1936 में आलंदी किस्म का चयन कर विकसित की गई. इस किस्म के फल मध्यम आकार के, मुलायम और गुलाबी रंग के होते हैं. यह महाराष्ट्र की प्रसिद्ध किस्म है.
  • ज्योति- इस किस्म को बेसिन और ढोलका के संकरण से चयन करके विकसित किया गया है. फल मध्यम से बड़े आकार के, चिकनी सतह और पीले लाल रंग के होते हैं. गुलाबी रंग के बीज मुलायम और बहुत मीठे होते हैं. प्रति पौधा 8-10 कि.ग्रा. उपज प्राप्त की जा सकती है.
  • मृदुला- इस किस्म को महात्मा फुले कृषि विश्वविद्यालय, राहुरी, महाराष्ट्र द्वारा गणेश और गुल-ए-शाह किस्मों के संकरण की एफ-1 से चयन करके विकसित किया गया है. फल मध्यम आकार के, गहरे लाल रंग और चिकनी सतह वाले होते हैं. एरिल गहरे लाल रंग का होता है और बीज नरम, रसदार और मीठे होते हैं. इस किस्म के फलों का औसत वजन 250-300 ग्राम होता है.
  • भगवा- इस किस्म के फल आकार में बड़े और भगवा रंग के, चिकने और चमकदार होते हैं. दाने आकर्षक लाल रंग के होते हैं और बीज मुलायम होते हैं. उच्च प्रबंधन के साथ प्रति पौधा 30.38 कि.ग्रा. उपज प्राप्त की जा सकती है.
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