भारत में अनार की खेती मुख्य रूप से महाराष्ट्र में की जाती है. इसके बगीचे राजस्थान, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक, गुजरात में छोटे पैमाने पर देखे जा सकते हैं. इसका जूस स्वादिष्ट और औषधीय गुणों से भरपूर होता है. भारत में अनार का क्षेत्रफल 113.2 हजार हेक्टेयर, उत्पादन 745 हजार मीट्रिक टन. अनार के औषधीय गुण और स्वाद के कारण इसकी मांग हमेश बनी रहती है. वहीं, इसकी कीमत भी अन्य कई फलों से काफी ज्यादा है. जिससे इसकी खेती करने वाले किसानों को भारी मुनाफा होता है. लेकिन अनार की मांग उसके आकार पर भी निर्भर करती है. अगर अनार का साइज बड़ा हो तो उसकी कीमत भी बढ़ जाती है. वहीं छोटे अनार की मांग और कीमत दोनों कम है. ऐसे में अगर आप भी अनार की खेती कर रहे हैं और अनार का आकार बढ़ाना चाहते हैं तो ये तरीका तुरंत अपनाएं.
यदि समय रहते उचित प्रबंधन न किया जाए तो फल की गुणवत्ता पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. इसके लिए हमें समय पर फलों की उचित वृद्धि और रंग की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए जरूरी उपाय अपनाने चाहिए. रोगों और कीटों को नियंत्रित करने के लिए अनार के बगीचों की उचित निगरानी करें. यदि कोई कीट या रोग का प्रकोप दिखे तो उसका प्रबंधन करें. अनार की गुणवत्तापूर्ण उपज प्राप्त करने के लिए कैल्शियम नाइट्रेट 5 किलोग्राम और बोरोन 1 किलोग्राम प्रति एकड़ ड्रिप के माध्यम से अलग-अलग समय पर डालें. ऑर्थो सिलिकॉन 3% 1 ग्राम प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें. एनपीके 0:52:34, 5 किलोग्राम प्रति एकड़ सप्ताह में एक बार ड्रिप के माध्यम से सिंचाई करें.
अनार उपोष्णकटिबंधीय जलवायु (subtropical climate) का पौधा है. इसे अर्ध शुष्क जलवायु में अच्छे से उगाया जा सकता है. फलों के विकास और पकने के समय गर्म और शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है. लंबे समय तक उच्च तापमान रहने से फलों की मिठास बढ़ जाती है. आर्द्र जलवायु फलों की गुणवत्ता को प्रभावित करती है और फंगल रोगों की घटनाओं को बढ़ाती है. इसकी खेती समुद्र तल से 500 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर की जा सकती है.
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