मौजूदा मौसम की स्थिति को देखते हुए भारत मौसम विज्ञान विभाग यानी कि IMD ने किसानों के लिए फसल एडवाइजरी जारी की है. इसमें झारखंड और ओडिशा के किसानों को खास सलाह दी गई है. आईएमडी ने कहा है कि पश्चिमी पठारी क्षेत्र में, आलू की फसल में हाथ से निराई करें, उर्वरक डालें और कंदों को अच्छी तरह ढकने के लिए मिट्टी चढ़ाएं. आलू की कंदों की बेहतर वृद्धि के लिए मिट्टी का तापमान 30°C से नीचे बनाए रखने के लिए खेत की सिंचाई करें. इसी तरह पशुओं की देखभाल के लिए भी सलाह दी गई है. इसमें कहा गया है कि दुधारू पशुओं को स्तनदाह रोग से बचाने के लिए सारा दूध निकाल लें और दूध दुहने के बाद थनों को कीटाणुनाशक घोल से धो लें.
ओडिशा के किसानों के लिए भी एडवाइजरी जारी की गई है. इसमें कहा गया है कि पश्चिमी क्षेत्र में मक्का, मूंगफली, मूंगफली, चना और सब्जियों की खड़ी फसलों में निराई-गुड़ाई करें. सब्जियों में सफेद मक्खी, एफिड्स, जैसिड्स और थ्रिप्स जैसे चूसने वाले कीटों की निगरानी के लिए 8/एकड़ की दर से पीले चिपचिपे जाल लगाएं. सब्जियों में विषाणु से प्रभावित पौधों की रौगिंग करें. संक्रमित पौधों को उखाड़कर मिट्टी में दबा दें. यदि संक्रमण अधिक हो तो विषाणु को नियंत्रित करने के लिए इमिडाक्लोप्रिड 1 मिली प्रति 3-4 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
पूर्वी और दक्षिण पूर्वी तटीय मैदानी क्षेत्र में लंबी अवधि की धान की कटाई पूरी करें. गन्ने की कटाई शुरू करें. खरीफ की अरहर और जल्दी बोई गई कुल्थी की कटाई करें. रबी धान के लिए नर्सरी बेड और मुख्य खेत तैयार करना जारी रखें. गन्ने की रोपाई शुरू करें.
एडवाइजरी में कहा गया है कि पश्चिम मध्य टेबल लैंड जोन में, ग्रीष्मकालीन धान के लिए मुख्य खेत तैयार करें और 3 सप्ताह पुराने पौधों के साथ रोपाई करें. नए फलों के पौधों को सरकंडा घास, पॉलीथीन, पुआल, सूखे मकई के डंठल या बोरियों से ढक दें. दक्षिण-पूर्व की ओर धूप और हवा के प्रवाह के लिए खुला रखें.
मिट्टी के तापमान को बनाए रखने के लिए हल्की सिंचाई करें. सरसों की फसल में एफिड के हमले के लिए मौजूदा मौसम की स्थिति अनुकूल है. अभी कुछ खेतों में हमला देखा गया है. गंभीर मामलों में प्रति हेक्टेयर 500 लीटर पानी में 125 ग्राम एसिटामिप्रिड या प्रति लीटर पानी में 0.5 मिली इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव करें.
उत्तर पूर्वी घाट क्षेत्र में अरहर और हल्दी की कटाई करें. चावल की रोपाई और उड़द की बुआई करें. टमाटर में सफेद मक्खी, गोभी की फसल में डायमंड बैक मोथ और हेड बोरर का संक्रमण होने की संभावना है. कीटों के संक्रमण की नियमित निगरानी करें.
ओडिशा के उत्तर मध्य पठारी क्षेत्र में बैंगन के फलों की कटाई करें. चने में कटवर्म का संक्रमण देखा जा सकता है. इससे बचाव के लिए मिथाइल पैराथियान @ 1 मिली/लीटर पानी का छिड़काव करें. चने में पाउडरी फफूंद एक बड़ी समस्या है. इससे बचाव के लिए 2 मिली/लीटर पानी में वेटेबल सल्फर पाउडर या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव करें. बेहतर रिजल्ट पाने के लिए इसे 7 दिनों के बाद दोहराएं. मिर्च में एफिड्स और जैसिड्स का संक्रमण देखा जा सकता है. इसके लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एसएल @ 1 मिली/लीटर पानी का छिड़काव करें.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today