भारतीय थाली में व्यंजनों का जायका बढ़ाने के लिए प्याज का इस्तेमाल हर रसोई में किया जाता है. महाराष्ट्र के नासिक में सबसे ज्यादा प्याज का उत्पादन होता हैं. अब यूपी के फतेहपुर जिले में प्याज की खेती से कई किसानों की किस्मत चमक रही है. इन सबके बीच जिले के सबसे चर्चित किसान औंग गांव के राम सिंह पटेल और उनकी पत्नी कांति देवी की गिनती अच्छे प्याज उत्पादकों में की जाती है. आज ये दोनों पति-पत्नी मिलकर 65-70 दिन में 17-18 लाख की कमाई कर रहे हैं. राम सिंह को देखकर कई अन्य किसानों ने खरीफ प्याज की खेती शुरू की है.
इंडिया टुडे के किसान तक से बातचीत में किसान राम सिंह पटेल ने बताया कि बीते 7-8 साल से वो खरीफ प्याज की खास वैरायटी लाइन-883 की खेती कर रहे हैं. 1 बीघे में प्याज का उत्पादन 50 क्विंटल का हो जाता हैं. इस साल अबतक 450-500 क्विंटल प्याज हम बेच चुके हैं. उन्होंने बताया कि अभी 11 बीघे में प्याज की खेती कर रहे है, लेकिन आने वाले दिनों में लक्ष्य को और अधिक बढ़ाया जाएगा. मुनाफे की बात करें तो एक एकड़ में 100 क्विंटल से अधिक प्याज उत्पादन राम सिंह लेते हैं.
इससे प्रति एकड़ करीब 4 लाख रुपये मिल जाते हैं. जबकि, खर्च एक एकड़ में 50 हजार रुपये तक ही रहता है. यह खर्च गेहूं या मटर की खेती से पूरा कर लेते हैं. उन्होंने बताया कि 15 अगस्त से हम इसकी रोपाई करते है, और 10 नवंबर से प्याज की हार्वेस्टिंग शुरू हुई थी. राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान, क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र (एनएचआरडीएफ) नई दिल्ली द्वारा विकसित प्याज की वैरायटी लाइन-883 की नर्सरी डालते है.
यह एक ऐसी किस्म है जो मात्र 65-70 दिन में तैयार हो जाती है. अगर आपने नर्सरी सही तरीके से तैयार कर ली तो आपको जबरदस्त कमाई से कोई नहीं रोक सकता. खरीफ प्याज अक्टूबर-नवंबर के महीने में तैयार होती है और इस वक्त प्याज का रेट कम से कम 40-50 रुपए प्रति किलो रहता है. यहीं वजह है कि खरीफ प्याज की खेती से काफी कमाई हो जाती है.
औंग गांव के प्रगतिशील किसान राम सिंह पटेल बताते हैं कि प्याज की सप्लाई फतेहपुर के बिंदकी और कानपुर की मंडी में होती है. वह बताते हैं, व्यावसायिक रूप से खरीफ प्याज पर जोर रहता है. इसमें दाम अच्छा मिल जाता है. खेत से सीधे माल मंडी चला जाता है, कहीं भंडारण का खर्च नहीं होता. आपको बता दें कि राम सिंह पटेल की पत्नी कांति देवी खेत का सारा कामकाज देखती हैं, जबकि उनके पति मंडी और अन्य काम. उन्होंने बताया कि मेरी पत्नी से मिलकर और उनका अनुभव जानकर बड़े-बड़े वैज्ञानिक भी दंग रह जाते है.
महिला किसान कांति देवी कहती हैं, हमारे पास तो कुछ नहीं था. थोड़ी-सी जमीन थी, जहां पारंपरिक फसलों की खेती होती थी. हमने अपने पति का साथ दिया और आज खेती से ही हमारे पास सबकुछ है. इसमें प्याज की बड़ी भूमिका है. एक समय हमारे पास सिर्फ आधा एकड़ जमीन थी. लेकिन, अब 11 एकड़ की खेती के साथ अपना मकान है. प्याज से पहले लहसुन की खेती से भी काफी मुनाफा हुआ था.
राम सिंह बताते हैं, खेती के लिए जमीन, जल, जलवायु, बीज, प्रबंधन और मार्केट देखकर चलते हैं. खरीफ प्याज के लिए ऊंची जमीन का चयन करते हैं, जिससे वहां जलभराव की समस्या न हो. समय प्रबंधन का विशेष ध्यान रखते हैं कि खेत में कब कौन-सा इन्पुट देना है. इस बार मौसम विभाग ने कहा था कि बरसात बहुत होगी, तो हमने फसल नहीं बदली, बल्कि उसे बेड पर करने लगे. इसके बहुत अच्छे परिणाम मिले हैं. इसमें पानी भी कम लगता है, लेबर चार्ज भी कम.
सफल किसान राम सिंह ने आगे बताया कि हमारी फसल बाजार में हफ्ता-दस दिन पहले पहुंचने से दाम भी अधिक मिल जाता है. हम अपने यहां प्याज की खेती में लगातार प्रयोग करते रहते हैं, जिसका फायदा मिल रहा है. जैसे - हम सूखी पद्धति से रोपाई करके नमी देते हैं. इससे यह एक लेवल पर होता है. सिर्फ जड़ जमीन के अंदर होती है. यदि गीली जमीन पर यही काम करेंगे तो गांठ जमीन के अंदर बैठेगी. गांठ ऊपर बैठने से फसल अच्छी होती है,
साथ ही हार्वेस्टिंग के समय लेबर कम लगेंगे. उन्होंने बताया कि कई बार तो उनका प्याज नासिक की फसल से भी अच्छा मिलता है. इसीलिए, मंडी में तुरंत सारी फसल खप जाती है.
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