Organic Farming: फुल प्रूफ ऑर्गेनिक खेती के लिए कितनी खाद और जीवामृत डालें? समझिए पूरा गणित

Organic Farming: फुल प्रूफ ऑर्गेनिक खेती के लिए कितनी खाद और जीवामृत डालें? समझिए पूरा गणित

Organic Farming: हममें से ज्यादातर लोगों ने जैविक खेती के बारे में सिर्फ सुना है. जैविक खेती के बारे में जानते नहीं हैं कि खेत में कितनी खाद और कितना कीटनाशक देना चाहिए. इस खबर में आपको बताने जा रहे हैं कि एक एकड़ के खेत में कितनी और कौन सी खाद, कितने बार देनी चाहिए.

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फुल प्रूफ ऑर्गेनिक खेती के लिए कितनी खाद और जीवामृत डालें? समझिए पूरा गणितएक एकड़ के खेत में कितनी ऑर्गेनिक खाद दें

Organic Farming: जलवायु परिवर्तन के तमाम बड़े कारणों में खेत में रसायनों का अंधाधुंध प्रयोग करना भी एक प्रमुख कारण है. यही कारण है कि ऑर्गेनिक खेती करने की सलाह दी जा रही है. सरकार की ओर से भी लगातार जैविक खेती को प्रमोट किया जा रहा है. कुछ लोग जैविक खेती करने लगे हैं और कुछ नए किसान करना चाहते हैं, लेकिन केमिकल खाद और कीटनाशक की जगह पर कौन सी खाद और कीटनाशक डालना है और कितना डालना है इसके बारे में ज्यादातर लोग नहीं जानते हैं. आज इस खबर में आपको ऑर्गेनिक खेती से जुड़ी सारी छोटी-बड़ी बातें बताने जा रहे हैं. जैविक खेती में प्रयोग की जाने वाली चीजें, उनकी सही मात्रा और जैविक खेती से होने वाले फायदों के बारे में बता रहे हैं. 

ऐसे होती है ऑर्गेनिक खेती

हम सब में से ज्यादातर लोगों ने जैविक खेती (Organic Farming) के बारे में सिर्फ सुना है, उसके बारे में ज्यादा जानते नहीं हैं. जैविक खेती में डीएपी-यूरिया जैसी खादों की बजाय गोबर की सड़ी हुई खाद या फिर वर्मी कंपोस्ट का इस्तेमाल किया जाता है. वर्मी कंपोस्ट को केंचुआ खाद कहा जाता है. इसके साथ ही जीवामृत का भी इस्तेमाल किया जाता है. आपको बता दें जीवामृत लिक्विड फॉर्म में होता है जो गोबर, गौमूत्र, गुड़ का पानी और बेसन को मिलाकर तैयार किया गया घोल होता है. कीटनाशक के रूप में नीम की पत्तियों को उबालकर तैयार किया गया लिक्विड छिड़का जाता है. 

प्रति एकड़ कितनी खाद डालें

ऑर्गेनिक खेती (Organic Farming) में कितनी खाद डाली जाती है, इसके बारे में ज्यादातर लोग नहीं जानते हैं. आपको बता दें अगर आप पहली बार ऑर्गेनिक खेती शुरू करने जा रहे हैं तो एक एकड़ के खेत में कम से कम 10 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट बुवाई से पहले डाला जाता है. उसके बाद फसल को पहला पानी देने के समय 5 क्विंटल खाद दें. जरूरत पड़े तो 2 क्विंटल खाद फसल में बालियां आने के पहले दे सकते हैं. एक बार ऑर्गेनिक फार्मिंग शुरू कर दी तो अगले साल से बुवाई के पहले लगभग 7 क्विंटल खाद, पहली सिंचाई के बाद उसका आधा 3.5 क्विंटल खाद देनी चाहिए. 

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जीवामृत की बात करें तो ये सिंचाई के साथ पानी में घोलकर दिया जाता है. जैसा कि हमने पहले ही बताया कि ये गोबर, गौमूत्र, गुड़ का पानी और बेसन के साथ बना घोल होता है. इस घोल को खेतों की सिंचाई वाले पानी के साथ मिलाकर दिया जाता है. एक एकड़ खेत की सिंचाई में लगभग 200 लीटर जीवामृत दिया जाता है. नीम की पत्तियों को उबालकर इस घोल में लगभग दोगुना पानी मिलाकर पौधों में कीटनाशक के रूप में छिड़काव करें. 

जैविक खेती के फायदे

जैविक खेती करने का पूरा हिसाब किताब तो हम सबने समझ लिया. अब जैविक खेती (Organic Farming) से होने वाले फायदों के बारे में भी जान लेते हैं. इससे मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बहुत ही ज्यादा बढ़ जाएगी. वर्मी कंपोस्ट और जीवामृत के उपयोग से मिट्टी में हेल्दी बैक्टीरिया बढ़ जाएंगे जिससे मिट्टी भुरभुरी और अच्छी जलधारण वाली हो जाएगी. खेत की मिट्टी के अलावा भूमिगत जल और हवा को भी काफी फायदा होगा. जैविक खेती से मिलने वाले उत्पाद केमिकल खेती की बजाय अधिक फायदेमंद होते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद हैं. लगातार जैविक तरीके से उगाई गई चीजें इस्तेमाल करने से आप कई गंभीर बीमारियों से बच सकते हैं. 

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