हमारे देश में बड़े पैमाने में लोग पशुपालन से जुड़े व्यापार में उतर गए हैं. कमाई के लिहाज से भी पशुपालन का कारोबार फायदेमंद देखा गया है. पशुपालन के कई विकल्प हैं लेकिन इस खबर में बकरी पालन के बारे में बताने जा रहे हैं. बकरी पालन अपने आपमें इसलिए खास है क्योंकि इसे पालकर कम समय में दो तरीके से कमाई कर सकते हैं. दूध और मीट बेचकर कमाई की जा सकती है. हालांकि कई बार बकरी पालने वाले घाटे में चले जाते हैं क्योंकि उन्हें बकरी की अच्छी नस्ल के बारे में जानकारी नहीं होती है. इस खबर में बकरियों की चार उन्नत नस्लों के बारे में बताने जा रहे हैं.
बकरी पालन से अधिक कमाई के लिए ऐसी नस्लों का चयन करना चाहिए जिनकी डिमांड मीट प्रेमियों के बीच होती है. इसका कारण ये है कि बकरियों से दूध उतना अधिक नहीं मिलता जिससे अच्छी खासी कमाई की जा सके. खैर आपको ऐसी नस्लों के बारे में बता देते हैं जो आपके लिए फायदेमंद होने वाले हैं.
बीटल नस्ल बकरियों की सबसे अच्छी नस्लों में शामिल है. ये बकरियां काली, गहरी लाल और धब्बेदार हो सकती हैं, इनकी सींग ऊपर की ओर होती. बीटल नस्ल की बकरियां रोजाना डेढ़ लीटर तक दूध दे सकती हैं. हालांकि इनके मीट की भी जबरदस्त मांग है. इनके चमड़े से कई उपयोगी चीजें भी बनाई जाती हैं. ये आमतौर पर पंजाब में पाई जाती हैं.
बकरियों की सबसे खास नस्लों में ब्लैक बंगाल नस्ल की बकरियों का नाम बड़े खास तौर पर लिया जाता है. नॉनवेज लवर्स के बीच इस नस्ल के बकरों की मांग जबरदस्त है. इन बकरियों का जीवनकाल 8-10 साल तक होता है. ब्लैक बंगाल बकरी की गर्भ अवधि 150 दिनों की होती है. ये एक बार में 2-3 बच्चे दे सकती हैं. इनके मीट की कीमत 1000 रुपये किलो तक होती है.
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जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया कि बकरियों से कमाई का मुख्य जरिया मीट ही है. मीट के लिए सोनपरी नस्ल की बकरियां पालना फायदे का सौदा है. ये बकरियां छोटी-छोटी होती हैं और बहुत जल्दी तैयार हो जाती हैं. ये बकरियां आमतौर पर उत्तर प्रदेश के सोनभद्र, मिर्जापुर, भदोही और बनारस जिले में पाई जाती हैं.
ये बकरियों की देशी नस्ल है. उस्मानाबादी नस्ल की बकरियों का दूध बहुत ही पौष्टिक होता है. ये बकरियां रोजाना डेढ़ लीटर तक दूध दे सकती हैं. ये साल में दो बार 2-2 करके बच्चे देती हैं. इनका आकार भी बड़ा होता है. इनके बकरों से ड्रेस किया हुआ 45-50 किलो तक मीट प्राप्त किया जा सकता है. इस नस्ल की बकरियां आमतौर पर उस्मानाबाद जिले के लातूर, उदगीर और तुलजापुर जैसे इलाकों में मिलती हैं.
बकरी पालन से कमाई के लिए केवल अच्छी नस्ल का चुनाव करना काफी नहीं है. बकरियों के रखरखाव और खानपान में विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है. बकरियों का चंचल स्वभाव होता है इसलिए इन्हें बांधकर रखने के अलावा चराने के लिए बाहर भी ले जाना चाहिए. बकरियों को सर्दी और बरसात से भी बचाना होगा. खानपान की बात करें तो हरा चारा, सूखा चारा, नीम और गिलोय की पत्तियां और प्रति बकरी कम से कम 250 ग्राम अनाज किसी ना किसी रूप में जरूर देना चाहिए.
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