शाकाहारी लोगों के लिए दालें प्रोटीन का एक बहुत बड़ा सोर्स हैं. प्रोटीन हमारे शरीर के लिए एक महत्वपूर्ण माइक्रोन्यूट्रिएंट्स (Micronutrients) है, जो शरीर की कोशिकाओं की मरम्मत करने के साथ ही मांसपेशियों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. प्रोटीन बाल और नाखूनों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण होता है, जिसे हम विभिन्न प्रकार की दालों से प्राप्त कर सकते हैं. मगर दालों से प्रोटीन प्राप्त करने के लिए आपको यह जानना जरूरी है कि आप दाल को सही तरीके से पका रहे हैं या नहीं.आयुर्वेद के अनुसार, किसी भी दाल को पकाने से पहले उसे पानी में भिगोना बहुत जरूरी होता है, हालांकि इसके पीछे वैज्ञानिक तथ्य भी हैं. आइए जानते हैं किस दाल को कितनी देर तक पानी में भिगोना चाहिए.
दाल दो तरह की होती हैं एक साबुत दालें दूसरी टूटी दालें. टूटी दालों में पीली मूंग दाल, चना दाल, उड़द दाल और तुअर दाल शामिल हैं. वहीं साबुत दालों की श्रेणी में छोटी लोबिया, हरी मूंग दाल, कुलतीह और मोठ शामिल हैं. इन्हें अंकुरित करके भी खाया जाता है. इसके अलावा साबुत दालों में छोले, राजमा, बंगाल चना और काली दाल शामिल है. इन्हें पकाने से पहले 8-10 घंटे तक भिगोया जाना चाहिए.
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दाल को भिगोने से खाना पकाने में समय की बचत होती है. साथ ही यह स्वाद बढ़ाने के अलावा, काफी समय तक दाल को भिगोने से पाचन शक्ति भी बढ़ सकती है,जो खराब पाचन वाले लोगों के लिए काफी फायदेमंद है. लेकिन सभी दालों को समान समय के लिए भिगोया नहीं जाता है. कुछ प्रकार की दालों के लिए 4-5 घंटे पर्याप्त होते हैं, जबकि अन्य दालों को पूरी तरह से लाभ प्राप्त करने के लिए 8-10 घंटे की आवश्यकता होती है.
दालों को भिगोने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप इसे अच्छी तरह धोकर रात भर के लिए पानी में भिगो दें. इसके पानी को फेंके नहीं बल्कि पौधों में डाल दें. इससे आपके पौधों को भी पोषण मिलेगा.
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