जगह की कमी के चलते गमलों में पौधे लगाने का चलन शहरों में शुरु हुआ था लेकिन अब गांवों में भी लोग गमले में पौधे लगाने लगे हैं. कोरोना महामारी के बाद ताजे फल और सब्जियों के लिए ज्यादातर लोग घर में होम गार्डनिंग करने लगे हैं. खेत हो या गार्डन फसल की अच्छी पैदावार के लिए खाद-पानी की खास जरूरत होती है. गमले में डालने के लिए कई तरह की देसी होम मेड खाद का इस्तेमाल किया जाता है, चाय पत्ती की खाद भी इसी में शामिल है. चाय पत्ती की खाद पौधों के लिए फायदेमंद बताई जाती है. लेकिन अगर इसका सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किया गया तो इसके नुकसान भी हैं. आइए इससे जुड़ी सभी बारीकियां जान लें.
चाय छानने के बाद बची हुई चाय पत्ती से आप इस खाद को बना सकते हैं. चाय पत्ती की खाद बनाने के लिए इस पत्ती को अच्छी तरह धो लीजिए ताकि इसमें मिली चीनी और दूध अलग हो जाएं. बची पत्ती को पानी में 10 मिनट तक उबाल कर सुखा लीजिए. चाय पत्ती की खाद तैयार हो जाएगी, इसे आप पौधों में इस्तेमाल कर सकते हैं. जिसके कई फायदे हैं लेकिन ध्यान रखने वाली बात भी जान लीजिए.
आपको बता दें कि चाय पत्ती से बनी खाद में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और मैग्नीशियम की भरपूर मात्रा पाई जाती है. आपको बता दें कि ये वो जरूरी तत्व होते हैं जो किसी भी पौधे की ग्रोथ के लिए बहुत जरूरी होते हैं लेकिन चाय पत्ती की खाद को गलत समय और गलत मात्रा में इस्तेमाल करने पर पौधे झुलस जाते हैं. उनकी पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं और पौधे सूख जाते हैं.
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ऊपर हमने बताया कि नाइट्रोजन की अधिक मात्रा होने से पौधों की ग्रोथ रुक सकती है इसलिए हमेशा एक निश्चित मात्रा में ही चाय पत्ती की खाद का इस्तेमाल करना चाहिए. 6-10 इंच वाले पौधों को 30 दिनों के अंतराल में 1-2 चम्मच खाद पर्याप्त होती है. 1 फीट से अधिक वाले पौधों में 40-45 दिनों में एक मुट्ठी खाद डाल सकते हैं. ध्यान रहे खाद डालने के बाद पानी जरूर डालें ताकि खाद मिट्टी के साथ अच्छी तरह से मिल जाए. तीन महीने में तैयार हो जाने वाले पौधों के लिए 1 बार की खाद पर्याप्त होती है. जिन पौधों को तैयार होने में 6 महीना या उससे भी अधिक का समय लगता है उसमें हर महीने खाद डाल सकते हैं.
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