बिहार के लीची किसानों की आय बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मधुमक्खी पालन की स्पेशल ट्रेनिंग दे रहा है. यह इंटीग्रेटेड फार्मिंग तकनीक के तहत ट्रे्निंग दी जा रही है. इसकी मदद से लीची किसानों को लीची की फसल के साथ साथ मधुमक्खी के शहद की बिक्री करके भी कमाई होगी. युवा किसानों ने मधुमक्खी पालन के लिए 10 बॉक्स रखकर शुरूआत कर रहे हैं. वहीं, संस्थान की ओर से किसानों को ट्रेनिंग के बाद सर्टिफिकेट भी दिया जा रहा है.
राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (राष्ट्रीय मधुमक्खी एवं शहद मिशन) नई दिल्ली और मुजफ्फरपुर के मुशहरी स्थित राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र की ओर से संयुक्त रूप से लीची किसानों को स्पेशल ट्रेनिंग कराई जा रही है जिससे लीची के सीजन में शुरुआत से ही मधुमक्खी बॉक्स लगाकर मधुमक्खी पालन करेंगे और तीन महीने में ही लीची के शहद से दोगुनी आमदनी प्राप्त कर सकेंगे.
लीची के बागों में मंजर आना शुरू हो गया है और इसके साथ ही लीची बागान में मधुमक्खी बॉक्स लगाकर किसान खुद से ही देखभाल कर शहद उत्पादन कर सकते हैं. लीची के परागकणों से बनने वाले शहद की बेहतर क्वालिटी की वजह से ऊंची कीमत मिलती है और बाजार में इसकी खूब डिमांड है. साथ ही मधुमक्खी पालन करने वाले बागों में लीची उत्पादन भी ज्यादा होता है.
इसको लेकर मुजफ्फरपुर और आसपास के जिलों के लीची किसानों की 15 दिन की ट्रेनिंग दी जा रही है. इसके तहत ऑफ लाइन और ऑनलाइन वैज्ञानिकों की टीम किसानों को प्रशिक्षित कर रही है. महिला किसानों में भी मधुमक्खी पालन को लेकर काफी उत्साह देखा जा रहा है. ट्रेनिंग का असर है कि अब जिले में लीची बागानों में मधुमक्खी पालन का काम जोर पकड़ रहा है.
बिहार का मुजफ्फरपुर जिला लीची उत्पादन के लिए पहले से ही काफी प्रसिद्ध है उसी तरह शाही लीची के शहद मामले में भी जल्द नंबर वन पर पहुंचेगा. लीची अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा लीची शहद बनाया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य स्वादिष्ट के साथ पौष्टिक आहार के रूप में लोगों तक इसे पहुंचाना है. अन्य शहद की तुलना में इस शहद में आपको लीची के थोड़े स्वाद मिल जाएंगे, जब कि यह भी मधुमक्खियां के द्वारा ही तैयार किया जाता है.
यदि कोई युवा या किसान खुद लीची शहद का निर्माण और व्यापार करना चाहता है तो लीची अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक उनका पूरा सहयोग करेंगे. राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र में 7 दिवसीय प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. इसके बाद लाइसेंस भी आपको संस्थान की ओर से दिया जाता है. किसान इमरान अहमद और संदीप ने बताया कि इससे हमें दोहरा लाभ होगा. निश्चित रूप से अपनी बागों में वह मधुमक्खी पलान के लिए 10 बॉक्स रखेंगे.
किसानों को मधुमक्खी पालन की ट्रेनिंग दे रहे वैज्ञानिक डॉ. निलेश ने बताया कि किसानों को मधुमक्खी पालन की सारी तकनीक बताई जा रही हैं. राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र की वरिष्ठ तकनीकी सहायक बताते हैं कि लीची साल में एक ही बार होता है. अगर मौसम अनुकूल नहीं रहा तो नुकसान हो सकता है. बहुत सारी समस्याएं होती हैं. अगर लीची के साथ उत्पादक लीची शहद का उत्पादन करें तो उस नुकसान से बच सकते हैं. (रिपोर्ट - मणिभूषण शर्मा)
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