इस साल मई में राजस्थान में जमकर बारिश हुई है. बारिश ने पिछले 105 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. इसीलिए बारिश से खेतों में नमी बढ़ गई है. गर्मी नहीं पड़ने के कारण मिट्टी में कई तरह की वैक्टीरिया बढ़ गए हैं. इन्हीं में से एक है सफेद लट. नमी के कारण इसके जमीन से बाहर निकलने की संभावना बढ़ गई हैं. हालांकि, राहत की बात यह है कि अभी तक इसके प्यूपा जमीन से बाहर नहीं निकल सका है. लेकिन किसानों को सावधान रहने की जरूरत है.
पश्चिमी विक्षोभों के लगातार सक्रिय रहने से जमीन में इस समय काफी नमी है. इसका फायदा मूंगफली की फसल करने वाले किसान उठाना चाहते हैं. कई जगह पर किसानों ने बुवाई शुरू भी की है. इसीलिए इन किसानों को काफी सतर्क रहने की जरूरत है. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार जून महीने में सफेद लट का प्यूपा जमीन से बाहर आता है. इससे बचने के लिए किसान बीजों के उपचार के बाद ही बुवाई करें.
जमीन के अंदर रहने वाली लट को मारना संभव नहीं होता है. इसीलिए बुवाई से पहले बीजोपचार ही इसका एकमात्र समाधान होता है. इसके लिए किसान नजदीकी कृषि विज्ञान केन्द्र या कृषि अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं. राजस्थान में हल्के बालू वाली मिट्टी के क्षेत्रों में होलोट्राइकिया कन्सेनगिनिया नाम की प्रजाति की सफेद लट फसल को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाती है. जिस जगह यह अंडे देती है वहां जमीन में छोटे-छोटे गड्ढे बनाती है.
अंडों से लट निकलने के बाद ही यह फसल को खाना शुरू कर देती है. इसके अलावा सफेद लट से हुए नुकसान का अंदाजा लगाना भी काफी मुश्किल होता है. क्योंकि खेत में नमी रहने तक पौधा हरा रहता है. जैसी ही नमी खत्म होती है, पौधा सूख जाता है. इसीलिए किसानों को समय रहते सफेद लट का पता ही नहीं चल पाता है.
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सफेद लट से बचाव के लिए किसान फिरॉनॉन नैनोजेल का उपयोग करें. यह कृषि विभाग और कृषि विज्ञान केन्द्रों पर उपलब्ध रहती है. रारी प्रोजेक्ट के माध्यम से किसानों को यह निशुल्क भी उपलब्ध कराई जा रही है. इसके अलावा मूंगफली के किसान इमिडाक्लोप्रिड 600 एफएस 6.5 मिली और एक किलो बीज में वीटावैक्स दो ग्राम मिलाकर बीजों का उपचार करें.
इसके अलावा करीब 20-21 दिन बाद इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल 300 मिली ग्राम बजरी के साथ मिलाकर खेत में छिड़काव करें. इसके बाद किसान खेत की सिंचाई कर सकते हैं. इसके अलावा बाजरे के किसान सफेद लट से बचाव के लिए इमिडाक्लोप्रिड 600 एफएस 8.75 प्रति किलो बीज के हिसाब से भुरकाव करें.
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कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार राजस्थान के लगभग हर जिले में सफेद लट का प्रकोप है. सिर्फ कोटा, झालावाड़, करौली, धौलपुर, बांसवाड़ा और सिरोही को यह नहीं है. मूंगफली और बाजरे में सफेद लट से कम से कम 50 फीसदी नुकसान हो जाता है. पिछले साल भी सीकर, अजमेर, दौसा, गोविंदगढ़, झुंझुनूं और बीकानेर के कई इलाकों में सफेद लट के मामले सामने आए थे. प्री-मानसून के बाद से ही सफेद लट फसलों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देती हैं.
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