उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों को आधुनिक रोड कनेक्टिविटी से लैस करने के लिए एफडीआर (Full depth reflection) तकनीक से सड़कें बनाई जा रही हैं. ग्रामीण विकास भाग का दावा है कि गांवों को मजबूत और टिकाऊ सड़कों से जोड़ने के जाल से लैस करने के लिए पहली बार इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. प्रदेश के उपमुख्यमंत्री एवं ग्रामीण विकास मामलों के मंत्री केशव प्रसाद माैर्य ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि एफडीआर तकनीक से सड़क निर्माण के काम में पूरी तत्परता बरतते हुए गुणवत्ता, समयबद्धता और मानकों के पालन का ध्यान रखा जाए.
विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत प्रदेश में पहली बार एफडीआर तकनीक से ग्रामीण इलाकों में सड़कें बनाई जा रही हैं. इस तकनीक से पुरानी जर्जर सड़कों को भी नया बनाया जा सकता है. प्रदेश में इस समय 5508.08 करोड़ रुपये की लागत से 5458.61 किमी कुल लंबाई के 696 मार्गों का निर्माण किया जा रहा है. इनमें से एफडीआर तकनीक से स्वीकृत 114 मार्गों पर काम चल रहा है. इसमें से 280.83 किमी लंबे सड़क मार्ग पर एफडीआर बेस कोर्स का कार्य एवं 103 किमी लंबी सड़कों पर बिटुमिनस कांक्रीट (बीसी) तकनीक से काम पूरा किया जा चुका है.
एफडीआर (Full depth reflection) तकनीक में सीमेंट एवं केमिकल मिलाकर कंक्रीट की परत बिछाई जाती है. इसे सड़क निर्माण की सबसे ज्यादा पर्यावरण अनुकूल तकनीक माना जाता है. इसमें पर्यावरण को दूषित करने वाले तारकोल का इस्तेमाल नहीं होता है. विभाग का दावा है कि उत्तर प्रदेश से सबक लेकर अन्य राज्यों ने भी इस तकनीक को अपनाया है. इस तकनीक से बेहद कम लागत पर पुरानी सड़कों को दुरुस्त किया जाता है. इसमें पुरानी सड़क के ही कंक्रीट आदि का दोबारा इस्तेमाल हो जाता है. इसलिए निर्माण की लागत कम आती है.
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में बनी पुरानी सड़कों को दुरुस्त करने में एफडीआर तकनीक के मानकों का सख्ती से पालन करने काे कहा गया है. मौर्य ने निर्देश दिए हैं कि ग्रामीण अभियंत्रण विभाग 'त्रिस्तरीय गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली' काे सख्ती से लागू करे. उन्होंने विभाग को इसकी सतत निगरानी करने के लिए भी कहा है, जिससे ग्रामीण इलाकों की सड़कों का जीवनकाल लंबा हो.
विभाग के अनुसार एफडीआर तकनीक से बन रही सड़कों के अलावा अन्य संपर्क मार्गों के निर्माण का काम भी तेजी से पूरा किया जा रहा है. विभाग का दावा है कि इस योजना के तीसरे चरण में अब तक 801 ग्रामीण सड़कों का निर्माण कार्य पूरा हो गया है. यह निर्धारित लक्ष्य का 31 फीसदी है. उप्र ग्रामीण सड़क विकास एजेंसी (यूपीआरआरडीए) इस काम को अंजाम दे रही है. एजेंसी ने मौर्य को सौंपी समीक्षा रिपोर्ट में बताया कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तीसरे चरण में 14,240.79 करोड़ रुपये की लागत से 18770.17 किमी लंबे 2534 मार्ग बनाने स्वीकृति मिली थी. इनमें से 6559.42 किमी लंबाई वाली 801 सड़कों को बना लिया गया है. इस बीच ग्रामीण सड़कों पर 04 पुलों का निर्माण भी पूरा हो चुका है. विभाग ने शेष सड़कों का कार्य प्रगति पर होने के आधार पर इनका निर्माण भी समय से पूरा होने का भरोसा जताया है.
विभाग का कहना है कि इस योजना के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2022-23 में 6000 किमी लंबी ग्रामीण सड़कों का निर्माण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इसमें से गत 05 जनवरी तक 3638.42 किमी सड़कों का निर्माण कराया जा चुका है. विभाग ने निर्धारित लक्ष्य का आधे से ज्यादा काम पूरा हो जाने पर संतोष व्यक्त किया है. मौर्य ने विभाग को शेष बचा काम भी समय पर पूरा करने काे कहा है.
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