विकसित भारत का सपना, लेकिन कृषि में जीएम तकनीक को लेकर संकोच क्यों?

विकसित भारत का सपना, लेकिन कृषि में जीएम तकनीक को लेकर संकोच क्यों?

जीएम तकनीक ने फार्मा उद्योग में काफी प्रगति की है, जहां इसका इस्तेमाल औषधियों और वैक्सीनेशन के लिए किया जा रहा है. जीनोम एडिटिंग और जीएम तकनीक की मदद से न केवल दवाइयों का उत्पादन आसान हुआ है बल्कि इससे लागत भी घटाई गई है. फिर भी, भारत में यही तकनीक कृषि क्षेत्र में अपनाने में हिचकिचाहट और संकोच देखा जा रहा है.

Advertisement
विकसित भारत का सपना, लेकिन कृषि में जीएम तकनीक को लेकर संकोच क्यों?सरसों की खेती

भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने का सपना हर भारतीय के दिल में है. इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कृषि क्षेत्र में सुधार बेहद जरूरी है, क्योंकि यह न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, बल्कि यह देश के विशाल कार्य बल का भी अहम हिस्सा है. आज भी करीब 45.8 फीसदी भारतीय कार्य बल कृषि से जुड़ा हुआ है. कृषि भारतीय समाज के लिए केवल रोजगार का स्रोत नहीं, बल्कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक धरोहर का भी एक अहम हिस्सा है. इसलिए, कृषि में सुधार किए बिना भारत के समग्र विकास को पूरा करना असंभव है. कृषि के क्षेत्र में सुधार से ग्रामीण आबादी को सशक्त किया जा सकता है, जो समग्र आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा. कृषि का वर्तमान में GDP में योगदान लगभग 18 फीसदी है, जो धीरे-धीरे घट रहा है, जबकि कृषि में कार्यरत लोगों की संख्या में कोई खास कमी नहीं आई है.अगर हम कृषि क्षेत्र में तकनीकी सुधार करते हैं, तो न केवल उत्पादन में वृद्धि होगी, बल्कि किसानों की आय भी बढ़ेगी और समग्र आर्थिक वृद्धि को गति मिलेगी.

कृषि सुधार के लिए नई तकनीकों की जरूरत

कृषि के क्षेत्र में सुधार के लिए सबसे पहले नई और प्रभावी तकनीकों को अपनाना जरूरी है. स्मार्ट उपकरणों, डेटा आधारित खेती और जलवायु अनुकूल कृषि विधियों का उपयोग करके हम उत्पादकता बढ़ा सकते हैं. भारत के कृषि क्षेत्र को उन्नत करने के लिए जीएम (जेनेटिकली मॉडिफाइड) और जीनोम एडिटिंग जैसी नई तकनीकों का समावेश किया जा सकता है. प्रोसेफर केसी बंसल,जो राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, पूसा, नई दिल्ली के पूर्व निदेशक और राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी के सचिव हैं, मानते हैं कि कृषि में नई तकनीकों का समावेश किए बिना एक विकसित भारत की कल्पना करना कठिन है. उन्होंने कहा कि "एक तरफ हम विकसित भारत का सपना देखते हैं, वहीं दूसरी तरफ कृषि में जीएम तकनीक को लेकर संकोच किया जा रहा है. 

कृषि में जीएम और जीनोम एडिटिंग कैसे फायदेमंद?

प्रोफेसर बंसल के अनुसार, कृषि में जीएम और जीनोम एडिटिंग तकनीकों से उत्पादकता में भारी वृद्धि हो सकती है. उदाहरण के लिए, 2002 में बीटी कपास की शुरुआत के बाद, किसानों की आय में वृद्धि हुई और कपास उत्पादन में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई. वर्ष 2001-02 में जहां कपास उत्पादन 14 मिलियन बेल्स था, वहीं 2014-15 में यह 39 मिलियन बेल्स तक पहुंच गया. इसके साथ ही बीटी कपास की उपज पारंपरिक कपास से 24 परसेंट अधिक हुई और किसानों का मुनाफा भी 50 परसेंट बढ़ा है.

दूसरी फसलों में जीएम तकनीक का उपयोग हो

प्रोफेसर बंसल ने कहा कि जीएम तकनीक का विस्तार अन्य फसलों में भी किया जाए, जैसे कि सरसों, दाल, मक्का और अन्य खाद्य फसलों में, तो उत्पादन में काफी वृद्धि हो सकती है. उदाहरण के लिए, सरसों के जीएम ट्रायल को 2022 में मंजूरी मिली थी. यदि जीएम सरसों की खेती को मंजूरी मिलती है, तो सरसों का उत्पादन 20-25 फीसदी तक बढ़ सकता है, जिससे भारत खाद्य तेलों के लिए आयात पर निर्भरता कम कर सकता है. इसी तरह,मक्का की फसल में जीएम तकनीकों का उपयोग करके स्टार्च उत्पादन बढ़ाया जा सकता है, जो इथेनॉल उत्पादन में सहायक होगा. यह किसानों के लिए लाभकारी होगा और देश की ऊर्जा जरूरतों को भी पूरा कर सकेगा.

संकोच और गतिरोध को तोड़ने की जरूरत 

प्रोफेसर के सी बंसल  ने कहा  भारत को जीएम फसलों के मामले में संकोच और गतिरोध को तोड़ने की जरूरत है. यह लंबी अवधि तक नहीं चल सकता. जीएम तकनीक ने फार्मा उद्योग में काफी प्रगति की है, जहां इसका इस्तेमाल औषधियों और वैक्सीनेशन के लिए किया जा रहा है. जीनोम एडिटिंग और जीएम तकनीक की मदद से न केवल दवाइयों का उत्पादन आसान हुआ है, बल्कि इससे लागत भी घटाई गई है. फिर भी, यही तकनीक कृषि क्षेत्र में अपनाने में हिचकिचाहट और संकोच देखा जा रहा है क्योंकि कृषि क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए यह तकनीक बेहद अहम  है. 

बीटी कपास की सफलता ने यह सिद्ध कर दिया है कि जीएम फसलों से न केवल उत्पादन में वृद्धि हो सकती है, बल्कि किसानों की आय में भी सुधार हो सकता है.जीएम और जीएम एडिटिंग फसलों के विकास में कई संभावनाएं हैं. इन तकनीकों से हम ऐसी फसलें विकसित कर सकते हैं जिनमें कम पानी और कम उर्वरक की जरूरत हो. साथ ही जो कीट और रोगों से भी बच सके. इसके माध्यम से खेती को अधिक स्थिर, पर्यावरणीय अनुकूल और आर्थिक रूप से लाभकारी बनाया जा सकता है.

कैसे पूरा होगा विकसित राष्ट्र का सपना

प्रोफेसर केसी बंसल  ने कहा कि भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने का सपना तभी पूरा हो सकता है जब हम कृषि क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए आधुनिक तकनीकों का समावेश करें. जीएम और जीनोम एडिटिंग जैसी तकनीकों का विस्तार न केवल फसल उत्पादन को बढ़ावा देगा, बल्कि किसानों की आय में भी वृद्धि करेगा. कृषि को मुख्यधारा के विकास में एक महत्वपूर्ण स्तंभ बनाकर हम भारत को एक समृद्ध और आत्मनिर्भर राष्ट्र बना सकते हैं. सरकार को कृषि में नई तकनीकों को अपनाने में आ रही अड़चनों को दूर करना होगा, ताकि भारतीय कृषि को विश्व स्तरीय बनाया जा सके और देश की अर्थव्यवस्था को गति मिल सके.

 

POST A COMMENT