ट्रैक्टर टायर केयर टिप्सखेती-किसानी के काम में सबसे महंगी मशीन एक ट्रैक्टर ही होता है. ना सिर्फ दाम में बल्कि ट्रैक्टर का मेंटीनेंस भी किसान के लिए खासा महंगा पड़ता है. अब इसके लिए आप ट्रैक्टर के इंजन और दूसरे पुर्जों को लेकर तो खासे सचेत रहते हैं और इनका रखरखाव भी अच्छे से कर लेते हैं, मगर ट्रैक्टर के टायरों का मेंटीनेंस करने में अधिकतर लोग लापरवाही कर जाते हैं. जबकि ट्रैक्टर के टायर अगर बदलने पड़ें तो ये खासे खर्चीले पड़ते हैं. इसलिए आज हम आपको बता रहे हैं कि कैसे आप ट्रैक्टर के टायरों का रोटेशन (टायर पलटकर लगाना) करके इनकी लाइफ 40 प्रतिशत तक बढ़ा सकते हैं और अपने पैसे बचा सकते हैं.
समझने वाली बात ये है कि ट्रैक्टर में आगे और पीछे के टायर अलग-अलग जिम्मेदारी संभालते हैं. आगे के टायर स्टीयरिंग और लोडर का भार संभालते हैं, इसलिए उनके बाहरी किनारे तेजी से घिस जाते हैं. वहीं पीछे के टायर कर्षण (ट्रैक्शन) और पावर प्रदान करते हैं, इसलिए ये वाले टायर बीच से या लग्स तेजी से घिसते हैं.
अब होता ये है कि जब आप टायरों को रोटेट नहीं करते हैं, तो ये एक साइड से जल्दी घिस जाएंगे, जबकि बाकी साइड से टायर ठीक रहेगा. इसका मतलब है कि आपको एक-दो टायर जल्दी बदलने पड़ सकते हैं, जिससे अतिरिक्त खर्चा होगा. मगर जब नियमित रूप से रोटेशन करते रहेंगे तो इससे टायरों का घिसाव एक समान हो जाता है. सबसे अहम बात ये है कि टायर रोटेट करते रहने से ट्रैक्टर खेत में स्थिर रहता है. समान रूप से घिसे हुए टायर ज़्यादा समय तक चलते हैं और माइलेज में भी सुधार होता है.
वैसे ट्रैक्टर के टायरों को हर 500 घंटे चल जाने के बाद पलटना चाहिए. इससे ट्रैक्टर के टायरों का घिसाव समान रूप से होता है और उनकी लाइफ भी लंबी होती है. अगर आप ट्रैक्टर का इस्तेमाल लोडर चलाने या कभी-कभी सड़क यात्रा जैसे भारी कामों में किया जाता है, तो टायरों को ज़्यादा बार पलटना चाहिए.
ट्रैक्टर की हर सर्विस या इंस्पेक्शन के दौरान टायर की गहराई, ट्रेड की स्थिति और इसकी हेल्थ की भी जांच करें. अगर टायरों की नियमित रूप से निगरानी की जाए, तो रोटेशन का सही समय ट्रैक्टर की परफॉर्मेंस को बेहतर बनाता है और टायरों की लाइफ भी काफ़ी बढ़ सकती है.
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