खेतों में मल्चिंग कराना कितना जरूरी? कौन से खेत में कराएं, खर्च और तरीका समझिए

खेतों में मल्चिंग कराना कितना जरूरी? कौन से खेत में कराएं, खर्च और तरीका समझिए

खेती में आधुनिकता अपनाने वाले किसानों को पारंपरिक खेती करने वाले किसानों के मुकाबले अधिक लाभ देखने को मिल सकता है. आज आपको खेती के क्षेत्र में अपनाई जाने वाली एक फायदेमंद तकनीक के बारे में बताने जा रहे हैं.

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खेतों में मल्चिंग कराना कितना जरूरी? कौन से खेत में कराएं, खर्च और तरीका समझिएखेत में मल्चिंग के फायदे

आज का दौर तकनीक और AI बेस्ड है. खेती करने वाले किसानों को आधुनिक तकनीकियों की समझ होनी चाहिए ताकि वे अधिक और गुणवत्ता में बेहतर पैदावार प्राप्त कर सकें. इस खबर में आपको खेती की एक ऐसी तकनीक के बारे में बताने जा रहे हैं जिसको अपनाकर आप खाद-पानी, मेहनत की बचत कर सकते हैं साथ ही पौधों और फलों की गुणवत्ता भी बहुत अच्छी हो जाती है. इस तकनीक का नाम मल्चिंग है, आइए इसके बारे में और अच्छे से समझ लेते हैं.

मल्चिंग क्या है?

मल्चिंग खेती की एक आधुनिक तकनीक है जिसमें फसल उगाते समय मिट्टी की सतह को सूखी घास, पत्तियां, या फिर प्लास्टिक शीट की परत से ढक दिया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य मिट्टी में नमी बनाए रखना, खरपतवार नियंत्रण करना और तापमान संतुलित रखना होता है. खेतों की जुताई के बाद मल्चिंग की जाती है. इसके लिए बाजारों में एक खास तरह की प्लास्टिक शीट आती है जिसे ट्रैक्टर या हाथ की मदद से बिछाया जाता है. आइए इससे होने वाले फायदों के बारे में जान लेते हैं.

मल्चिंग से क्या फायदे हैं?

बहुत से किसानों को लगता है कि ये मल्चिंग के पीछे क्यों खर्च करें? आपको बता दें कि मल्चिंग आज के दौर की जरूरत है. पारंपरिक खेती की बजाय मार्डन फार्मिंग का जरूरी हिस्सा है. आपको बता दें कि इससे आपको एक दो नहीं बल्कि कई फायदे एक साथ मिलते हैं.

  • मल्च की परत मिट्टी से पानी का वाष्पीकरण रोकती है, जिससे सिंचाई की जरूरत कम होती है, इससे पानी के दुरुपयोग से भी बचाव होता है.
  • मल्चिंग करते हुए मिट्टी को ढंका जाता है, जहां पौधे होते हैं केवल वहीं छेंद किया जाता है जिससे की सूरज की रोशनी को नीचे नहीं जाती, और खरपतवार नहीं उग पाते.
  • फल या सब्जियां सीधे मिट्टी से संपर्क में नहीं आतीं, जिससे उनकी रोग और कीटों से सुरक्षा होती है साथ ही सड़ने की संभावना भी कम होती है.
  • हवा या बारिश से मिट्टी बहने नहीं देती जिसके कारण मिट्टी का कटाव भी रुकता है, इसके अलावा गर्मी में ठंडक और सर्दी में गर्मी बनाए रखती है, जिससे पौधे तेजी से बढ़ते हैं.

मल्चिंग कराने में कितना खर्च आता है?

मल्चिंग के फायदे जानने के बाद आप ये जान चुके होंगे कि आधुनिक खेती के दौरान मल्चिंग अब खास जरूरत हो गई है. अगर आप अपने खेत में प्लास्टिक शीट वाली मल्च लगाना चाहते हैं तो इसके लिए प्रति एकड़ ₹ 10,000–₹ 25,000 तक खर्च होने की संभावना है. आपको बता दें कि हर साल नई मल्चिंग कराना होता है, लेकिन इस तकनीक से खेती करना कभी भी घाटे का सौदा नहीं है.

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