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अनुसूचित जाति की महिलाएं बनेंगी आत्मनिर्भर, वैज्ञानिक तरीके से करेंगी शाही लीची की खेती

अनुसूचित जाति की महिलाएं बनेंगी आत्मनिर्भर, वैज्ञानिक तरीके से करेंगी शाही लीची की खेती

लीची अनुसंधान केंद्र के डायरेक्टर डॉक्टर विकास दास ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र की अनुसूचित जाति से आने वाली महिलाओं को राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा और लीची अनुसंधान केंद्र के द्वारा संयुक्त रूप से लीची से जुड़े उत्पादों के बारे में ट्रेनिंग दी जा रही है.

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महिलाओं को लीची की बागवानी के लिए दी जा रही है ट्रेनिंग. महिलाओं को लीची की बागवानी के लिए दी जा रही है ट्रेनिंग.

राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर, मुसहरी के नेतृत्व में मंगलवार को तीन दिवसीय ट्रेनिंग कैप की शुरुआत की गई. इस ट्रेनिंग कैंप के जरिए अनुसूचित जाति की महिलाओं को लीची की वैज्ञानिक तरीके से बागवानी करने के बारे में जानकारी दी जाएगी. लीची अनुसंधान के अधिकारियों का कहना है कि इस ट्रेनिंग कैंप का मुख्य उदेश्य अनुसूचित जाति की महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना है. साथ ही जिले में लीची की बागवानी के माध्यम से रोजगार भी उत्पन्न करना है. खास बात यह है कि इस ट्रेनिंग कैंप में महिलाएं बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं. 

लीची अनुसंधान केंद्र के डायरेक्टर डॉक्टर विकास दास ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र की अनुसूचित जाति से आने वाली महिलाओं को राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा और लीची अनुसंधान केंद्र के द्वारा संयुक्त रूप से लीची से जुड़े उत्पादों के बारे में ट्रेनिंग दी जा रही है. साथ ही जिन अनुसूचित जाति महिलाओं के पास दो से चार डिसमिल जमीन होगी, उन्हें लीची अनुसंधान केंद्र शाही लीची के पौधे भी देगी. साथ ही उन्हें पौधों की देखभाल करने के बारे में भी बताया जाएगा. अभी अनुसूचित जाति से आने वाली इन 36 महिलाओं को ट्रेनिंग दे रही है.

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क्या कहती हैं महिलाएं

राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय कि डॉक्टर इशिता विश्वास ने बताया कि केंद्र सरकार के द्वारा चलाए जा रहे अनुसूचित जाति उत्थान योजना के तहत इन्हें ट्रेनिंग दी जा रही है, जिससे वह आर्थिक रूप से समृद्ध बन सकें. ग्रामीण क्षेत्र से आने वाली महिला कुंती देवी ने बताया कि हमलोग धान- गेहूं की खेती करते हैं. अब वैज्ञानिक विधि से लीची की खेती करने के लिए ट्रेनिंग मिल रही है. साथ में लीची का पौधा भी मिलेगा. अब हम लोग लीची की बागवानी भी करेंगे. इसी तरह सुमन देवी ने बताया की हमलोग पैकिंग करने का काम करते हैं, उसके बारे में भी जानकारी दी जाएगी.

ट्रेनिंग में क्या-क्या बताया जाएगा

वहीं, निदेशक डॉ. विकास दास ने बताया कि हमलोग एससी-एसटी प्लान चल रहे हैं. उसके तहत जिले के सेलेक्टेड किसान ग्रुप से जुड़ी अनुसूचित जाति की महिलाओं को जोड़ कर उन्हें लीची के बागवानी के बारे में जानकारी दे रहे हैं. साथ ही जिन किसानों के पास जमीन नहीं है उनको भी ट्रेनिंग दी जाएगी. इस दौरान उन्हें लीची की प्रोसेसिंग और आमदनी बढ़ाने के तरीकों के बारे में बताया जाएगा. उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा अनुसूचित जाति की महिलाओं को ट्रेंड कर आर्थिक रूप से समृद्ध बनाना है. इसलिए यहां उन्हें राष्ट्रीय लीची अनुसंधानकेंद्र और डॉ. राजेंद्र कृषि विश्विद्यालय द्वारा ट्रेनिंग दी जा रही है.

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