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मसूर दाल की खरीद के लिए पोर्टल लॉन्च करेगी सरकार, रजिस्ट्रेशन करवाने वाले किसानों को मिलेगी MSP की गारंटी

मसूर दाल की खरीद के लिए पोर्टल लॉन्च करेगी सरकार, रजिस्ट्रेशन करवाने वाले किसानों को मिलेगी MSP की गारंटी

भारत दालों का सबसे बड़ा उपभोक्ता है. लेकिन घरेलू खपत के लिए यह आयात पर निर्भर है. यह कनाडा और ऑस्ट्रेलिया से मसूर दाल का आयात करता है. दालों के अधिक घरेलू उत्पादन से देश को इनका आयात कम करने में मदद मिलेगी. जबकि जनवरी में खाद्य मुद्रास्फीति दिसंबर के 9.53 प्रतिशत से कम होकर 8.3 प्रतिशत हो गई.

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मसूर दाल की खरीद पर मिलेगी एमएसपी की गारंटी. (सांकेतिक फोटो) मसूर दाल की खरीद पर मिलेगी एमएसपी की गारंटी. (सांकेतिक फोटो)

दलहन की खेती करने वाले किसानों के लिए खुशखबरी है. केंद्र सरकार मसूर दाल की खरीद के लिए एक पोर्टल लॉन्च करने जा रही है. इस पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करने वाले किसानों को उनकी उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी दी जाएगी. खास बात यह है कि सरकार ने सबसे पहले अरहर दाल के लिए इस तरह की पहल शुरू की थी. अब वह इसके क्षेत्र में विस्तार ला रही है, जिसके तहत मसूर और अन्य दालों को शामिल करने की तैयारी चल रही है. ताकि किसानों को उनकी फसल का उचित दाम मिल सके. ऐसे में किसान अधिक से अधिक रकबे में दलहन की खेती करेंगे.

द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, एक अधिकारी ने कहा कि हम दलहन कटाई के मौसम से पहले मसूर उत्पादक किसानों का पंजीकरण शुरू करने वाले हैं, ताकि खरीद प्रक्रिया सुचारू रूप से चल सके. उन्होंने कहा कि किसानों के खातों में सीधा भुगतान किया जाएगा. इससे किसानों को सीधा लाभ मिलेगा. अधिकारी ने कहा कि समय पर भुगतान होने से किसानों की दलहन की खेती में रूचि बढ़ेगी और वे अधिक रकबे में इसकी खेती करेंगे. हालांकि, ऐसे दाल की बढ़ती कीमत को नियंत्रित करने के लिए सरका भी पुरी कोशिश कर रही है. वह भारत ब्रांड के तहत खुदरा मार्केट में दाल बेच रही है. इससे आम जनता को काफी राहत मिली है. 

भारत बनेगा सबसे बड़ा मसूर उत्पादक देश

भारत दालों का सबसे बड़ा उपभोक्ता है. लेकिन घरेलू खपत के लिए यह आयात पर निर्भर है. यह कनाडा और ऑस्ट्रेलिया से मसूर दाल का आयात करता है. दालों के अधिक घरेलू उत्पादन से देश को इनका आयात कम करने में मदद मिलेगी. जबकि जनवरी में खाद्य मुद्रास्फीति दिसंबर के 9.53 प्रतिशत से कम होकर 8.3 प्रतिशत हो गई, लेकिन साल भर पहले की अवधि की तुलना में यह ऊंची बनी हुई है, जब यह 6 प्रतिशत थी. दालों में महंगाई दर 19.54 फीसदी रहना एक प्रमुख कारक रहा है. सरकार को उम्मीद है कि फसल वर्ष 2023-24 में भारत मसूर का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक बन जाएगा. क्योंकि अधिक क्षेत्रफल के कारण इस रबी सीजन के दौरान उत्पादन 1.6 मिलियन टन के उच्चतम स्तर पर पहुंचने का अनुमान है.

अरहर की एमएसपी पर होगी खरीद

बता दें कि पिछले महीने केंद्र सरकार अरहर दाल उत्पादकों को सही दाम देने के लिए एमएसपी दर पर खरीद करने की घोषणा की थी. इस बार रबी फसलों की सरकारी खरीद प्रक्रिया करीब 25 से 30 दिन पहले शुरू हो रही है.केंद्र ने एफसीआई के अलावा सहकारी समितियों को किसानों से उनकी फसल खरीदने के निर्देश दिए हैं. इसी क्रम में तूर दाल की उपज खरीद करने की जिम्मेदारी सहकारी समिति नेफेड को सौंपी गई है. नेफेड ने किसानों से अपनी उपज एमएसपी पर बेचने के लिए ई-समृद्धि पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करने को कहा है. साल 2023-24 के लिए तूर दाल पर एमएसपी रेट 300 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है.