चिरौंजी के बारे में बहुत कुछ बताने की जरूरत नहीं है. आप खुद भी इससे पूरी तरह वाकिफ होंगे. खासकर मिठाई और सूखे मेवे में इसका इस्तेमाल खूब होता है. साथ ही इसका इस्तेमाल भारतीय पकवानों जैसे खीर और हलवा आदि में भी किया जाता है. वहीं स्वाद में भी यह काफी मजेदार होता है. इसके पेड़ भारत के अधिकतर सूखे पर्वतीय प्रदेशों में पाए जाते हैं. लेकिन क्या जानते हैं कि चिरौंजी की छिलाई कैसे की जाती है? अगर नहीं जानते हैं तो जान लें कि चिरौंजी की छिलाई एक खास चक्की से करने पर किसानों को 1000 रुपये किलो तक का रेट मिल सकता है. साथ ही लेबर का खर्च भी बचता है. आइए जानते हैं मशीन की क्या है खासियत.
दरअसल वनक्षेत्र में रहने वाले आदिवासी किसान चिरौंजी के फल और उसके नट के महत्व और उसकी कीमतों से अनजान हैं. वे इसके फल को खाकर इसके कीमती नट को फेंक देते हैं. अगर बात करें चिरौंजी के इस कीमती नट की तो बाजारों में नट की कीमत 100 से 110 रुपये प्रति किलो है. वहीं नट से निकलने वाले साबुत चिरौंजी दाने का रेट 900 से 1000 रुपये किलो तक है. लेकिन इस साबुत चिरौंजी के दाने के लिए उसकी छिलाई करनी जरूरी होता है.
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इस आधुनिक चक्की की बात की जाए तो इसके तीन भाग होते हैं. एक भाग चक्की का ढांचा, दूसरा भाग छिलाई इकाई और तीसरा भाग उसको अलग करने वाला. इस मशीन से एक किसान एक दिन में 8 घंटे में औसतन 100 से 200 किलो चिरौंजी की छिलाई कर सकता है. वहीं एक किलो नट की छिलाई करने पर 150 से 200 ग्राम तक चिरौंजी के दाने प्राप्त होते हैं.
बात करें इस चक्की मशीन की तो इसकी लंबाई 1800 मि.मी होती है. इस मशीन को चलाने के लिए बिजली वाली मोटर की जरूरत होती है. साथ ही इस मशीन से प्रति घंटे 30 से 35 किलो चिरौंजी की छिलाई होती है. इस यंत्र से चिरौंजी की छिलाई करने पर किसानों में बाजारों में एक हजार रुपये तक का रेट मिलता है.
इस मशीन के अलावा आदिवासी किसान पारंपरिक तरीके से चिरौंजी की छिलाई करते हैं. इसमें किसान साबुत चिरौंजी को पत्थरों से तोड़ते हैं. इसमें उनका समय और मेहनत ज्यादा लगता है. साथ ही चिरौंजी के दानों के टूटने का खतरा भी अधिक रहता है. साथ ही बाजारों में इस तकनीक से छिलाई करने पर किसानों को उचित दाम भी नहीं मिलते हैं. इसके अलावा किसान चिरौंजी को तोड़ने के लिए एक और पारंपरिक तकनीक अपनाते हैं. इसमें किसान चिरौंजी को अपने हाथों के बीच में रखकर पत्थर या हथौड़े से तोड़ते हैं. इस तकनीक से किसानों को काफी समय लगता है. वहीं एक व्यक्ति पूरे दिन में 1 से 2 किलो ही चिरौंजी तोड़ पाता है. ऐसे में इस नई तकनीक यानी चक्की की मदद से चिरौंजी छिलना किसानों के लिए काफी आसान है.
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