Kharif Special: उबड़-खाबड़ खेत को समतल बना देती है लेजर लैंड लेवलर मशीन, जानें इसके फायदे

Kharif Special: उबड़-खाबड़ खेत को समतल बना देती है लेजर लैंड लेवलर मशीन, जानें इसके फायदे

Kharif Special: खेतों को समतल करने के लिए परंपरागत तरीके अपनाए जाते हैं, जिसमें समय व मेहनत भी बहुत लगती है, लेकिन क‍िसान लेजर लैंड लेवलर मशीन से ये काम चुटक‍ियों में कर सकते हैं.

Advertisement
Kharif Special: उबड़-खाबड़ खेत को समतल बना देती है लेजर लैंड लेवलर मशीन, जानें इसके फायदेखेतों को समतल करती है लेजर लैंड लेवलर मशीन-फोटो क‍िसान तक

जमीन से अच्छी पैदावार लेने के लिए खेतों का समतल होना बहुत जरूरी है. इसको देखते हुए पहले खेतों को समतल करने के लिए परंपरागत तरीके अपनाए जाते थे, जिसमें समय व मेहनत भी बहुत लगती थी, लेकिन अब कई क‍िसान विज्ञान और प्रौद्योगिकी का प्रयोग इसमें करने लगे हैं, ज‍िसके तहत क‍िसान विशेष मशीन लेजर लैंड लेवलर का प्रयोग करते हैं. क‍िसान तक सीरीज खरीफनामा की इस कड़ी में लेजर लैंड लेवलर मशीन पर पूरी र‍िपोर्ट. ये मशीन क‍िसानों के ल‍िए बेहद ही जरूरी है, क्योंक‍ि क‍िसान इसके प्रयोग से उबड़ -खाबड खेतों को समतल कर बेहतर मुनाफा कर सकते हैं. 

लेजर लैंड लेवलर की खासियत 

सीआईएसआर लखनऊ के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एके सिंह ने क‍िसान तक से बताचीत में बताया क‍ि कृषि यंत्रों की मदद से खेती का काम काफी आसान हो गया है. जमीन को समतल करने के लिए ऐसी ही एक मशीन है लेजर लैंड लेवलर,  जो कम्प्यूटरीकृत तकनीक से काम करने वाली एक मशीन है. उन्होंने बताया क‍ि‍ ये बहुत कम समय में खेत की मिट्टी को समतल कर देती है.

ये भी पढ़ें- Kharif Special: बार‍िश के पानी को हाइड्रोजेल तकनीक से करें स्टोर, सूखे में स‍िंचाई का है इंतजाम

इस मशीन में किरणों के अनुरूप एक सेल्फ मूविंग मेटल ब्लेड लगा होता है, जो हाइड्रोलिक पंप के दबाव से काम करती है और खेत के ऊंचे हिस्सों से मिट्टी काटकर खेत के निचले हिस्से में छोड़ देती है. पूरे फार्म में यही प्रक्रिया अपनाई जाती है, जिससे पूरा खेत समतल हो जाता है.

ऐसे काम करती है मशीन 

सीआईएसआर लखनऊ के  प्रधान वैज्ञानिक डॉ एके सिंह ने कहा क‍ि इस मशीन में 4 खास उपकरण लगे होते हैं, जि‍समें एक लेजर ट्रांसमीटर, रिसीवर, कंट्रोल बॉक्स और लेवलर शाम‍िल है. रिसीवर से मिलने वाली सूचना के मुताबिक ट्रैक्टर पर लगा कंट्रोल बॉक्स हाइड्रोलिक सिस्टम से लेवलर को ऊपर नीचे करता है.इसी प्रक्रिया के तहत खेत को समतल बनाया जाता है, जो खेत के किनारे रखी मशीन रिसि‍वर मशीन से जुड़ा रहता है. इसलिए इसको कंप्यूटर वाली मशीन भी कहा जाता है,क्योंकि इसमें ट्रांसमीटर और एक एंटीना पर सेट किया जाता है, जो लेवलर वाले ट्रांसमिसंन से कनेक्ट होता है. उसी के अनुसार खेत समतल होता रहता है. इस मशीन के इस्तेमाल से सिंचाई जल का पानी पूरे खेत में एक बराबर फैल जाता है.

सिंचाई जल की होती है बचत

क‍िसान तक से बातचीत में डॉ एके सिंह ने बताया क‍ि मिट्टी की गुणवत्ता के अलावा मिट्टी की भौगोलिक दशा भी खेत के उपजाऊ बन के लिए बहुत मायने रखती है. जैसे अगर खेत समतल ना हुए और खेत उबड़-खाबड़ हुए तो सिंचाई में बहुत समस्या आती है.इसके साथ खेत में बीज- खाद भी खेत और पौधों को समान रूप से नही मिल पाते हैं. इससे फसल की पैदावार पर फर्क पड़ता है, लेकिन अगर खेत समतल है तो कम पानी में ही पूरे खेत की सिंचाई आसानी पूर्वक की जा सकती है और बीज और खाद समान रूप से मिल जाते हैं और धान के सीजन में 20 से 25 प्रतिशत तक पानी की बचत होगी.

जाने क्या है इसकी कीमत ?

प्रधान वैज्ञानिक ने कहा क‍ि खेत की जमीन अगर 6 इंच तक ऊंची-नीची है तो लेवलर द्वारा 1 एकड़ खेत को समतल करने में मात्र 2 घंटे लगते हैं. लैंड रेंज लेबलर को 50 हार्सपावर से अधिक के ट्रैक्टर के साथ जोड़ कर आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है. इससे सुगमता से खेतों को समतल किया जा सकता है. किसान लेजर लैंड लेवलर कृषि मशीन खरीद कर इसे अपनी कमाई का जरिया भी बनना सकते हैं. एक मशीन पर 2 लोगों को रोजगार मिल सकता है और खरीदे गई मशीन की कीमत भी तकरीबन 3 साल में वसूल हो जाती है. इस समय इस मशीन की कीमत तकरीबन 2 लाख 50  हजार रुपये से लेकर 3 लाख रुपये तक है. इसकी खरीद पर कई राज्य सरकार सब्स‍िडी भी देती है.यह मशीन किसानों के लिए फायदे का सौदा है. 

धान की सीधी बुवाई वाले खेतों में करें इस्तेमाल

क‍िसान तक से बातचीत में डॉ सिंह ने बताया कि भूजल स्तर दिनों-दिन नीचे खिसक रहा है. समतल जमीन में किसी भी फसल में 25 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है. ऊंचे-नीचे खेत में किसान को अतिरिक्त पानी देना पड़ता है. समतल भूमि में दिए जाने वाले उर्वरकों का समूचित सदुपयोग होगा. उर्वरक की क्षमता भी बढ़ जाती है. खेत एक समान होने पर उत्पादन ज्यादा होता है. उन्होंने कहा कि लेजर लेवलिंग सभी खेतों में करवाना जरूरी है. धान की सीधी बिजाई वाले खेतों में भी यदि संभव हो तो किसानों को इस तकनीक का इस्तेमाल कर लेना चाहिए. इससे जमाव अच्छा होगा.

POST A COMMENT