भारत में खेती-बाड़ी का एक अलग ही इतिहास रहा है. यहां के किसानों का ये मानना है कि खेती करने के लिए उपयुक्त मौसम, जलवायु और मिट्टी की जरूरत होती है, लेकिन बदलते दौर और समय के साथ हर चीज़ में आए दिन नए बदलाव होते जा रहे हैं. ऐसे में कृषि क्षेत्र में भी कई आधुनिक बदलाव हुए हैं, जो समय की मांग और आवश्यकता दोनो ही हैं. दरअसल देश दुनिया की दिन प्रतिदिन बढ़ती आबादी और इसके साथ ही शहरीकरण भी इसकी मुख्य वजह है. ऐसे में इन तमाम समस्याओं को खत्म करने के लिए वैज्ञानिकों ने हाइड्रोपोनिक्स और ड्रिप हाइड्रोपोनिक्स तकनीक की खोज की है. इस तकनीक से आसानी से फल और सब्जी उगाना आसान है. आइए जानते हैं क्या है ये तकनीक और क्या हैं इसके लाभ.
हाइड्रोपोनिक्स एक ऐसी तकनीक है जिसमें मिट्टी की जरूरत नहीं होती है. इस तकनीक के माध्यम से पौधे में सभी आवश्यक खनिज और उर्वरक को पानी के माध्यम से दिया जाता है, ताकि फसल की वृद्धि हो सके. इस विधि से फसल उत्पादन के लिए सिर्फ 3 चीजें पानी, पोषक तत्व और प्रकाश की जरूरत होती है. यदि यह 3 चीजों से इस तकनीक के माध्यम से बिना मिट्टी के उपलब्ध कराए जाते हैं. इस विधि से की जाने वाली खेती को हाइड्रोपोनिक्स तकनीक कहते हैं.
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पूरी दुनिया के किसान पानी की कमी से जूझ रहे हैं. इसलिए किसानों को ड्रिप हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से काफी तेजी से जोड़ा जा रहा है. ऐसी तकनीकों से खेती करने से कम सिंचाई में भी भरपूर उत्पादन होता है. सूक्ष्म सिंचाई में ड्रिप और स्प्रिंकलर तकनीक शामिल है. इन तकनीकों से सीधा फसल की जड़ों तक पानी पहुंचता है. ड्रिप हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से 60 प्रतिशत पानी की बचत होती है जिससे किसान कम मेहनत में बेहतर कमाई कर सकते हैं.
हाइड्रोपोनिक तकनीक की मदद से खेती सिर्फ पानी में या पानी के साथ बालू और कंकड़ में की जाती है. यानी इस तरह की खेती में आपको मिट्टी की जरूरत नहीं पड़ती है. हाइड्रोपोनिक्स खेती के लिए प्लास्टिक के पाइप से चैंबर बनाया जाता है जिसे कोको-पिट कहते हैं. इस कोको-पिट को दूर बैठे कर कहीं से भी कंट्रोल किया जा सकता है.
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