scorecardresearch
आलू की पैदावार 90 परसेंट तक गिरा देता है यह वायरस, जानें इसका सबसे सही उपचार

आलू की पैदावार 90 परसेंट तक गिरा देता है यह वायरस, जानें इसका सबसे सही उपचार

आलू में लगने वाले ज्यादातर वायरस राइबोन्यूक्लिक एसिड से बने होते हैं. ये आलू की पत्तियों, डंठलों और कंदों को संक्रमित करते हैं. पौधों में इन वायरस के लगने से पौदावार में 90 परसेंट तक की गिरावट आती है. ये वायरस तेजी से एक पौधे से दूसरे पौधे में फैलते हैं.

advertisement
आलू की खेती आलू की खेती

देश में नकदी फसल के रूप में आलू की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. अभी कई जगह रबी की मुख्य फसल आलू की खुदाई चल रही है. आलू की खुदाई देश के कई राज्यों में फरवरी के महीने में होने लगती है क्योंकि फरवरी का महीना आते ही ठंड लगभग खत्म होने लगती है. वहीं आलू को सब्जियों का राजा भी कहा जाता है. लेकिन बात जब आलू की खेती की आती है तो इसमें भी कई बीमारियों और वायरस लगने का खतरा रहता है. इससे पूरी की पूरी फसल बर्बाद हो जाती है. इस वायरस से किसानों को काफी नुकसान झेलना पड़ता है. 

इस वायरस से आलू को नुकसान

आलू में लगने वाले ज्यादातर वायरस राइबोन्यूक्लिक एसिड से बने होते हैं. ये आलू की पत्तियों, डंठलों और कंदों को संक्रमित करते हैं. पौधों में इन वायरस के लगने से पौदावार में 90 परसेंट तक की गिरावट आती है. ये वायरस तेजी से एक पौधे से दूसरे पौधे में फैलते हैं. इसमें सबसे अधिक खतरनाक वायरस पीवीएक्स और पीवीए है. इसके पौधे में लगने पर पत्तियों के लहरदार किनारों पर धब्बे दिखाई देते हैं. इससे पौधे की बढ़वार रुक जाती है और पौधे बौने रह जाते हैं.

ये भी पढ़ें:- इस खास चक्की से करें चिरौंजी की छिलाई तो 1000 रुपये किलो तक मिल सकता है रेट,  लेबर खर्च भी बचेगा

आलू पर लगने वाले अन्य वायरस

आलू का पत्ती मुड़न वायरस एक नया वायरस है जो सफेद मक्खी द्वारा फैलता है. फसलों पर इस वायरस के लगने से पौधों की ऊपर वाली पत्तियां मुड़ जाती हैं. ये वायरस खास करके आलू की अगेती फसलों में लगता है. इसके अलावा एक और वायरस है जिसका नाम पोटैटो वायरस एक्स है. ये वायरस आलू की फसलों में किस भी यंत्र या मशीनों के इस्तेमाल करने से फैलता है. इसके लगने पर फसलों पर माहू कीट का खतरा बढ़ जाता है जिससे फसलों को काफी नुकसान होता है.

वायरस से आलू का प्रबंधन

  • आलू की बुवाई के समय किसानों को फसलों में वायरस से बचाने के लिए कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए.
  • आलू की बुवाई से पहले सफेद मक्खी और माहू कीट से फसलों का रोकथाम करना चाहिए.
  • बुवाई से पहले बीज को इमिडाक्लोप्रिड 4 मिली प्रति 10 लीटर पानी के घोल में उपचारित करें.
  • आलू की बुवाई के बाद उस पर मिट्टी चढ़ाते समय पौधों के पास 15 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से फोरेट 10 जी डालना चाहिए.
  • साथ ही पौधे जब निकल जाएं और लगभग 1 महीने के हो जाएं तब उस पर इमिडाक्लोप्रिड 3 मिली प्रति 10 लीटर पानी का घोल बनाकर छिड़काव करें.
  • 50 दिनों की खड़ी फसल में थाईमेथक्साम का घोल बनाकर छिड़काव करें.
  • वहीं कम से कम 70 दिनों की फसल में रोगी और बेमेल पौधों को जड़ सहित उखाड़ कर फेंक दें.