देश में नकदी फसल के रूप में आलू की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. अभी कई जगह रबी की मुख्य फसल आलू की खुदाई चल रही है. आलू की खुदाई देश के कई राज्यों में फरवरी के महीने में होने लगती है क्योंकि फरवरी का महीना आते ही ठंड लगभग खत्म होने लगती है. वहीं आलू को सब्जियों का राजा भी कहा जाता है. लेकिन बात जब आलू की खेती की आती है तो इसमें भी कई बीमारियों और वायरस लगने का खतरा रहता है. इससे पूरी की पूरी फसल बर्बाद हो जाती है. इस वायरस से किसानों को काफी नुकसान झेलना पड़ता है.
आलू में लगने वाले ज्यादातर वायरस राइबोन्यूक्लिक एसिड से बने होते हैं. ये आलू की पत्तियों, डंठलों और कंदों को संक्रमित करते हैं. पौधों में इन वायरस के लगने से पौदावार में 90 परसेंट तक की गिरावट आती है. ये वायरस तेजी से एक पौधे से दूसरे पौधे में फैलते हैं. इसमें सबसे अधिक खतरनाक वायरस पीवीएक्स और पीवीए है. इसके पौधे में लगने पर पत्तियों के लहरदार किनारों पर धब्बे दिखाई देते हैं. इससे पौधे की बढ़वार रुक जाती है और पौधे बौने रह जाते हैं.
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आलू का पत्ती मुड़न वायरस एक नया वायरस है जो सफेद मक्खी द्वारा फैलता है. फसलों पर इस वायरस के लगने से पौधों की ऊपर वाली पत्तियां मुड़ जाती हैं. ये वायरस खास करके आलू की अगेती फसलों में लगता है. इसके अलावा एक और वायरस है जिसका नाम पोटैटो वायरस एक्स है. ये वायरस आलू की फसलों में किस भी यंत्र या मशीनों के इस्तेमाल करने से फैलता है. इसके लगने पर फसलों पर माहू कीट का खतरा बढ़ जाता है जिससे फसलों को काफी नुकसान होता है.
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