भारत में पराली प्रबंधन पिछले कुछ सालों में कृषि क्षेत्र में बहुत बड़ी समस्या के तौर पर उभरी है. पराली इतना बड़ा संकट है कि इसके चक्कर में किसानों को जेल भी जाना पड़ जाता है, लेकिन फिर भी किसान पराली को बेधड़क जला रहे होते हैं. इसको लेकर सरकार की तरफ से भी कई तरह के कार्यक्रम, सब्सिडी और योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन फिर भी पराली का ठीक से प्रबंधन नहीं हो पा रहा है. इसलिए आज किसान-Tech की इस सीरीज में हम आपको स्ट्रॉ बेलर मशीन के बारे में बताएंगे. स्ट्रॉ बेलर मशीन क्या है, इसका क्या इस्तेमाल है और इसके क्या दाम हैं, ये सब आपको विस्तार से समझाएंगे.
स्ट्रॉ बेलर मशीन से पुआल, भूसे और घास के पैकेट या गट्ठर बनाए जाते हैं. इसके साथ गट्ठर को इकट्ठा करना, संभालना, स्टोर करना और परिवहन करना आसान होता है. जब स्ट्रॉ बेलर मशीन को ट्रैक्टर के पीछे लगाकर चालू करते हैं तो ये तेजी से पराली को अंदर खींचती है. पुआल के आयताकार, बेलनाकार सहित अन्य आकार की गट्ठर बनाने के लिए अलग-अलग तरह की बेलर मशीन आती हैं. पराली के ये पैकेट तार, जाल, स्ट्रिपिंग या सुतली से बंधकर मशीन से बाहर निकलते हैं.
इस मशीन का काम आपके खेत में फैले फसलों के अवशेष को इकट्ठा करके बड़े-बड़े पैकेट या गट्ठर बनाना है. खास बात ये है कि ये सारा काम इस मशीन से बस कुछ ही मिनटों में किया जा सकता है. ये मशीन एक ट्रैक्टर के पीछे लग जाती है. इसमें दो पहिए लगे होते हैं जिसके सहारे ये खेत में चलती है. जब ट्रैक्टर स्ट्रॉ बेलर मशीन को आगे बढ़ाता है तो ये खेत में पड़ी पराली या पुआल को अंदर खींचती है और पीछे से पराली के बड़े-बड़े गट्ठर बनाकर छोड़ती जाती है.
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भारत में मास्कीओ गैस्पार्डो, महिंद्रा, शक्तिमान आदि ब्रांड स्ट्रॉ बेलर मशीन बेच रहे हैं. बेलर मशीन अलग-अलग श्रेणियों में आती हैं. भारत में बेलर की कीमत 3.52 लाख* से 12.85 लाख* रुपए तक जाती है. वहीं राज्य सरकारें स्क्वायर बेलर मशीन खरीदने पर 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी देती हैं. इसके तहत अत्यंत पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और जनजाति के किसानों को 50 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाएगी, जो अधिकतम 6,25,000 रुपए होगी. इसके अलावा सामान्य किसानों को 5,00,000 रुपये तक का अनुदान दिया जाएगा.
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