Japan Farmer: सूखी जमीन पर धान उगाकर मिसाल बना था ये किसान, तकनीक ऐसी कि आज भी करती है हैरान

Japan Farmer: सूखी जमीन पर धान उगाकर मिसाल बना था ये किसान, तकनीक ऐसी कि आज भी करती है हैरान

अक्सर आप सोचते होंगे कि विदेशों में खेती-किसानी कैसे की जाती है? वहां के किसान कैसे होते हैं? इन्हीं सवालों का एक जवाब हमें मिलता है जापान के किसान Masanobu Fukuoka की कहानी से. उन्होंने 'द वन-स्ट्रॉ रेवोल्यूशन' नाम की किताब भी लिखी और उन्हें रमन मैग्सेसे पुरस्कार भी मिल चुका है. पढ़ें ये पूरी कहानी-

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Japan Farmer: सूखी जमीन पर धान उगाकर मिसाल बना था ये किसान, तकनीक ऐसी कि आज भी करती है हैरानअब बिना पानी भी की जा सकती है धान की खेती!

धान की खेती को लेकर किसान ही नहीं सरकार भी चिंतित है. घटते जल स्तर को देखते हुए धान की परंपरागत खेती अब चिंता का विषय बनती जा रही है. हालांकि विज्ञान की मदद से अब ऐसी कई तकनीकें विकसित की जा चुकी हैं, जिनसे किसान कम पानी में भी धान की खेती कर सकते हैं. ऐसी ही एक तकनीक का इस्तेमाल करके मिसाल कायम की थी जापान के मसानोबु फुकुओका ने. उन्होंने सूखी जमीन में धान की खेती करके दुनिया भर में चर्चा बटोरी. इतना ही नहीं मसानोबू धान की खेती में न तो कीटनाशकों का इस्तेमाल करते थे और न ही बुवाई से पहले खेत की जुताई करते थे.

मसानोबू की यह तकनीक अपने आप में काबिले तारीफ है. मसानोबू पारंपरिक तकनीक से ज्यादा जापानी तकनीक की मदद से चावल का उत्पादन करते थे. आपको बता दें इस तकनीक की मदद से उन्हें कम लागत में अधिक मुनाफा मिलता था. ऐसे में भारत के किसान भी इस तकनीक की मदद से कम पानी में धान की खेती कर सकते हैं. तो आइए जानते हैं क्या है यह जापानी तकनीक.

बिना पानी करें धान की खेती, मिलेगी अच्छी उपज

खेती और किसानों में रुचि रखने वाले मसानोबू 'द वन-स्ट्रॉ रेवोल्यूशन' के लेखक थे. यह किताब चावल की खेती में की जाने वाली तकनीकों पर लिखी गई है. इस किताब में मसानोबू ने विस्तार से बताया है कि कैसे आप कम पानी या बिना पानी में भी चावल की खेती कर सकते हैं. मसानोबू ने बताया कि जब वे खेती करते थे तो अगस्त के महीने में उनके पड़ोसी के खेत में लगे चावल के पौधे की ऊंचाई उनकी कमर या उससे भी ऊपर पहुंच जाती थी. जबकि उनके खेत में लगे धान की ऊंचाई करीब आधी ही थी. इससे परेशान होने के बजाय वह खुश थे क्योंकि वह जानते थे कि कम ऊंचाई का पौधा दूसरे पौधों के बराबर या अधिक उपज देगा.

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मसानोबू के अनुसार यदि किसी पौधे की ऊंचाई लंबी हो तो उसमें से 1000 किलोग्राम तक भूसा निकलता है. वहीं अगर पैदावार की बात करें तो इससे करीब 500 से 600 किलो चावल का उत्पादन होता है. जबकि मसानोबू की तकनीक के अनुसार 1000 किलो भूसे के साथ 1000 किलो चावल भी पैदा किया जाता है. फसल अच्छी हो तो उपज 1200 किग्रा तक हो जाती है.

बिना पानी सुखी जमीन में करते थे धान की खेती
बिना पानी सूखी जमीन में करते थे धान की खेती

क्या थी मसानोबू की जापानी तकनीक

  • अगर आप धान के पौधे को सूखे खेत में उगाते हैं तो वह ज्यादा लंबा नहीं होता है. कम ऊंचाई का फायदा मिलता है. इससे सूर्य का प्रकाश पौधे के प्रत्येक भाग पर पड़ता है. सूर्य का प्रकाश पत्तियों से पौधे की जड़ों तक जाता है.
  • मसानोबू बीज को थोड़ा गहरा बोते थे ताकि 1 वर्ग गज में लगभग 20 से 25 पौधे उग सकें. इनसे करीब 250 से 300 दाने पैदा होते हैं.
  • मसानोबू तकनीक के मुताबिक बिना पानी चावल की खेती करने से जड़ें मजबूत होती हैं. जिससे पौधों में कीटों के प्रकोप की संभावना कम होती है. 
  • मसानोबू खेतों में धान की बुवाई से 1 हफ्ता पहले खेतों में पानी को जाने से रोक लेते थे. इसका मुख्य कारण यह था कि खेती में पानी की कमी की वजह से खरपतवार मर जाते थे. इसका फायदा यह मिलता था कि इससे फसल को कोई नुकसान नहीं पहुंचता था.
  • मसानोबू मौसम के शुरुआत में खेतों की सिंचाई नहीं करते थे. अगस्त के महीने में वो फसलों की सिंचाई करते थे. खेतों में पानी ना लगे इसका भी ध्यान रखा जाता था. 

कौन थे मसानोबू

मसानोबु फुकुओका का जन्म 2 फरवरी 1913 को जापानी द्वीप शिकोकू में हुआ था. मसानोबु फुकुओका, शिकोकू द्वीप के जापानी किसान और द वन-स्ट्रॉ रेवोल्यूशन के लेखक भी थे. 16 अगस्त, 2008 को 95 वर्ष की आयु में निधन हो गया. 1988 में मसानोबू फुकुओका को लोक सेवा के लिए रमन मैग्सेसे पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.

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