खरीफनामा: इस खरीफ सीजन किसान आम, लीची, आंवला, अमरूद फल की बागवानी कर सकते हैं, लेकिन सफल व्यावसायिक फल बागवानी लगाने के लिए बड़ी सावधानी पूर्वक योजना तैयारी की जरूरत होती है. असल में बाग लगाते समय हुई चूक किसानों को बाद में पछताने के लिए मजबूर कर सकती है. किसान तक की सीरीज खरीफनामा की इस कड़ी में उन किसानों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी है, जो इस खरीफ सीजन अपने खेतों में बाग लगाने जा रहे हैं. खरीफनामा की इस कड़ी में किसान जान सकेंगे कि उन्हें अपने खेतों में आम, लीची और आंवले की बागवानी के लिए क्या सावधानियां और उपाय अपनाने चाहिए.
असल में खेतों में फलों के बाग लगाने के लिए सही स्थान एवं वातावरण की जानकारी, सही बाग लगाने फलों एवं प्रभेदों की जानकारी होना चाहिए. क्योंकि योजना बनाते समय बुनियादी बातों का पालन करना बहुत अहम है. तभी जाकर किसान एक आदर्श फलों के बाग की स्थापना कर सकते हैं.अगर जरूरी बातों का खयाल रखकर बाग लगाएंगे तो आम, लीची,आंवला और अमरूद से भरपूर उपज एवं गुणवक्तायुक्त फल के साथ अधिक से अधिक लाभ कमा सकेंगे.
कृषि विज्ञान केन्द्र किशनगंज के बागवानी विशेषज्ञ डाॅ हेमन्त कुमार सिंह ने कहा कि बाग लगाने के लिए सबसे पहला और सबसे अहम पहलू सही स्थान और सही मिट्टी का चयन है. बाग को जहां लगाने की तैयारी कर रहे हैं. वहां की पहले मिट्टी की जांच जरूर करा लेंं. मिट्टी की रिपोर्ट के आधार पर फलदार वृक्ष का चयन करें या जरूरत अनुसार मिट्टी का उपचार करें. बाग के लिए जिस स्थान का चयन कर रहे हैंं. वहां जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि बरसात के दिनों में बारिश का पानी से जलजमाव की समस्या न हो सके.
किसान तक से बातचीत में डाॅ सिंह ने कहा कि बागवानी की दूसरा अहम पहलू फलों और किस्मों का चयन है. इसमें किसानों को व्यावसायिक दृष्टिकोण से उन फलों के पेड़ों का चयन करना चाहिए, जो अधिक उपज देते हैं और जो बाजार में अच्छी मांग रखते हैं. सही प्रजाति का चुनाव करें. उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के लिए मुख्य रूप से दशहरी, लगड़ा, चौसा, लगड़ा सफेदा, गौर गीत, बॉम्बे है. वहीं बिहार के लिए दशहरी, लगड़ा, चौसा, जर्दालु, हिमसागर, सुरजापूरी, फजली, मालदा, गुलाब खास किशन भोग प्रमुख किस्में है. वहीं अमरूद की इलाहाबादी सफेदा, सरदार, लखनऊ 49, सफेद जाम, इलाहाबाद सुर्ख, ललित संगम इत्यादि प्रमुख किस्में हैं. आंवला की चकैया, कंचन, नरेन्द्र-4-7-1 0 हैं, बाग की स्थापना के लिए क्ववालिटी वाले पौधे प्राप्त करने के लिए आपको कुछ बिंदुओं पर अवश्य ध्यान देना चाहिए.
बागवानी विशेषज्ञ ने बताया कि पौधों को स्वस्थ और विश्वसनीय नर्सरी से ही खरीदें. इसके साथ ही पौधे को समय पर मंगवाकर बुक कर लें ताकि पौधे रोपने के समय उपलब्ध हो सके. देशी और कलमी पौधों की ठीक से पहचान होनी चाहिए और पौधे पुराने नहीं होने चाहिए. इसके बाद पौधे की जड़ें स्वस्थ हैं या नहीं और मिट्टी के ढेले तो नहीं टूटे हैं ये जरूर देख लेना चाहिए .
बागवानी विशेषज्ञ ने बताया कि बाग लागने के लिए वर्गाकार विधि, षटकोणीय विधि सबसे सरल और लोकप्रिय विधि है. वर्गाकार विधि में पंक्तियों और पेड़ों के बीच की दूरी बराबर रखी जाती है. षटकोणीय, विधि पेड़ों के बीच की दूरी बराबर होती है, लेकिन पंक्तियों के बीच की दूरी अपेक्षाकृत कम होती है, इस विधि में वर्गाकार विधि की तुलना में 15 पौधे अधिक लगाए जा सकते हैं. पौधे से पौधे की दूरी. फलों के पेड़ के प्रकार पर निर्भर करता है.आम में 10 X 10 मीटर की दूरी पर लीची और आंवला में 8X8 मीटर की दूरी पर लगना चाहिए. अमरूद 5 x 5 मीटर की दूरी पर लगानी चाहिए .जबकि सघन बागवानी में पेड़ो की दूरी आधी हो जाती है.
किसान तक से बातचीत में डा हेमन्त कुमार सिंह ने कहा कि किसान जब बाग लगाएं तो जमीन रेखांकन के समय पौधा लगाने वाले बिन्दुओं पर खूंटियां गाड़ दें. अब इन खूंटियों को मध्य मानकार वृक्षों के अनुसार आवश्यक माप का गड्ढा खोद लें. इसके बाद 1 x 1x 1 मीटर की गोलाई में खुदाई एवं खुदाई के समय उपर की मिट्टी को एक तरफ और नीचे की मिट्टी की मिट्टी को दूसरी तरफ रखना चाहिए. अप्रैल – मई गड्ढे की खुदाई का यह उपयुक्त समय चल रहा है. इसके बाद गड्ढ़े की खुदाई कर खुला छोड़ देना चाहिए. जिससे कीट एवं उसके रोग जनक सूर्य की तेज गर्मी व हवा से खत्म हो जाए. नीचे और ऊपर की मिट्टी से कंकड़-पत्थर चुनकर फेंक दें. खुदाई के 15 से 20 दिन बाद अब नीचे की मिट्टी में 40-45 किग्रा कम्पोस्ट खाद मिलाकर दोबारा गड्ढ़े में भर देनी चाहिए और अच्छी तरह दबा देनी चाहिए, फिर उपर की मिट्टी में 1.5 किग्रा सिंगल सुपर फास्फेट, 15 से 20 किग्रा कम्पोस्ट खाद तथा 20-25 ग्राम क्लोरोपाइरीफास थोड़ा पानी में मिलाकर मिट्टी में मिला देनी चाहिए और पैरो से दबा देनी चाहिए. गड्ढ़ा जमीन की सतह से 10 से 15 सेमी ऊपर तक भरना चाहिए. अब इसके थाला बनाकर पानी देना चाहिए.
बाग में पेड़ लगाने का उपयुक्त समय जून के अन्तिम सप्ताह से जुलाई के अन्तिम सप्ताह तक है, इसे अगस्त माह तक भी लगाया जा सकता है. खेत में रेखांकन के समय पौधा लगाने वाले बिन्दुओं पर गड़े खूंटियों के पास दोबारा पौधे की जड़ पर लगी मिट्टी की पिंडी के बराबर का छोटा गड्ढ़ा खोद लें और सावधानी से पौधों की जड़ को इसमें डाले और किनारे से मिट्टी डालकर दबा दे. पौधा लगाने के तुरन्त बाद पानी देना चाहिए.
जिस भूमि में बाग लगाना है, उसकी घेराबन्दी एक आवश्यक पहलू है, जिससे बाग की सुरक्षा की जा सके. यह कार्य फलों के लगाने के पूर्व ही सम्पन्न कर लेना चाहिए. वायु अवरोघक वृक्षों की रोपाई- बाग के वृक्षों को आंधी-तूफान से काफी क्षति होती है. इससे बचाने के लिए बाग के चारों तरफ अवरोधक वृक्ष जैसे आम, जामुन, शीशम आदि के पौधों को कम दूरी पर सघन लगाते हैंं, जो कि हवा के झोकों को रोक कर मुख्य वृक्षों को आंधी-तूफान से बचाते है. इस प्रकार बताई गई बातों को ध्यान में रखकर बाग लगाना चाहिए.
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