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स्काईस्क्रेल टेक्नोनॉजी से घर बैठे जान सकेंगे फसलों की सेहत, कीटों की हो सकेगी पहचान 

स्काईस्क्रेल टेक्नोनॉजी से घर बैठे जान सकेंगे फसलों की सेहत, कीटों की हो सकेगी पहचान 

आर्टिफिशियल  इंटेलीजेंस यानी एआई, आजकल हर सेक्‍टर में इसका बड़े पैमाने पर प्रयोग हो रहा है. कृषि सेक्‍टर में भी इस नई टेक्‍नोलॉजी का प्रयोग, उसकी सूरत बदलने के लिए किया जा रहा है. भारत में भी अब किसान इस टेक्‍नोलॉजी का प्रयोग कर रहे हैं. स्काईस्क्रेल टेक्नोलॉजी दरअसल फसलों के स्वास्थ्य पर निगरानी रखने वाली एक ड्रोन आधारित एरियल इमेजिंग सोल्‍यूशन है.

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फसलों के स्‍वास्‍थ्‍य का पता लगाने की टेक्निक है स्‍काईस्‍क्रेल  फसलों के स्‍वास्‍थ्‍य का पता लगाने की टेक्निक है स्‍काईस्‍क्रेल

आर्टिफिशियल  इंटेलीजेंस यानी एआई, आजकल हर सेक्‍टर में इसका बड़े पैमाने पर प्रयोग हो रहा है. कृषि सेक्‍टर में भी इस नई टेक्‍नोलॉजी का प्रयोग, उसकी सूरत बदलने के लिए किया जा रहा है. भारत में भी अब किसान इस टेक्‍नोलॉजी का प्रयोग कर रहे हैं. वर्ल्‍ड इकोनॉमिक फोरम  की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में किसान अनियमित मौसम और जलवायु परिवर्तन, कीटों के संक्रमण और घटती पैदावार के प्रभावों से जूझते हैं. ऐसे में एआई बड़े स्‍तर पर उनकी मदद कर सकता है. स्‍क्राईस्‍क्रेल टेक्‍नोलॉजी, एक ऐसा ही जरिया है जो किसानों के लिए मददगार साबित हो सकता है. 

क्‍या है स्‍काईस्‍क्रेल टेक्‍नोलॉजी 

स्काईस्क्रेल टेक्नोलॉजी दरअसल फसलों के स्वास्थ्य पर निगरानी रखने वाली एक ड्रोन आधारित एरियल इमेजिंग सोल्‍यूशन है. इस टेक्‍नोलॉजी में ड्रोन खेतों से डेटा को कैप्‍चर करता है. फिर जो डेटा इकट्ठा हुआ होता है, उसे एक यूएसबी ड्राइव की मदद से कंप्‍यूटर में ट्रांसफर किया जाता है. इसके बाद कंपनी ड्रोन की मदद से ली गई फोटोग्राफ्स का विश्लेषण करने के लिए विविध प्रकार के एल्गोरिदम का प्रयोग करती है. इस एल्‍गोरिदत की मदद से एक डिटेल्‍ड रिपोर्ट हासिल होती है. इस टेक्निक की मदद से किसानों को फसलों में लगने वाले कीड़ों और जीवाणुओं की पहचान हो पाती है. 

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क्‍या है इसका फायदा 

इस पूरे मैथेड में फसल का उत्पादन बढ़ाने, कीड़ों या फिर खेतों में लगने वाले प्रकोप की चेतावनी देने के लिए एआई आधारित तकनीक का प्रयोग किया जाता है. इससे किसानों को सटीक और रियल टाइम जानकारी मिलती है. कंपनियां, इसरो की तरफ से उपलब्ध करवाए गए रिमोट सेंसिंग डेटा, मृदा (मिट्टी) स्वास्थ्य कार्ड के डेटा, भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा मौसम की भविष्यवाणी, मृदा की नमी और तापमान का विश्लेषण आदि का अध्‍ययन करती हैं. 

ड्रोन टेक्‍नोलॉजी का प्रयोग 

सैटेलाइट डेटा का प्रयोग और इसका विश्‍लेषण फसल के प्रकार के आधार पर अपेक्षित उत्पादन का सटीक अंदाजा लगा सकता है. इससे भोजन की मांग के अंतर का अनुमान लगाया जा सकता है,  फसल की कीमतों की भविष्यवाणी की जा सकती है और फसल क्षेत्रों के लिए सही कीमत तक का भी अंदाजा लगाया जा सकता है. कृषि उद्योग में ड्रोन का प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है.  कुछ रिपोर्टों के अनुसार, कृषि ड्रोन का मार्केट साल 2019 में 1.2 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2024 में $4.8 बिलियन होने की उम्मीद है.