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कैसे करें अजोला की वैज्ञानिक खेती कि अधिक मिले चारा? क्या है सबसे अच्छी उत्पादन तकनीक?

कैसे करें अजोला की वैज्ञानिक खेती कि अधिक मिले चारा? क्या है सबसे अच्छी उत्पादन तकनीक?

देश में हरे चारे, सूखे चारे और अनाज मिश्रण की आवश्यकता और उपलब्धता में क्रमशः 25-30 प्रतिशत, 12-14 प्रतिशत और 30-35 प्रतिशत की कमी है. इसलिए, पशुओं की अच्छी वृद्धि और उत्पादकता बढ़ाने के लिए चारा विकसित की जानी चाहिए. ऐसे में अजोला एक प्रोटीन युक्त चारा है. पशुपालन के क्षेत्र में वैकल्पिक चारा स्रोत के रूप में यह दिन-प्रतिदिन लोकप्रियता प्राप्त कर रहा है.

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अजोला की वैज्ञानिक खेती अजोला की वैज्ञानिक खेती

विश्व का 15 प्रतिशत पशुधन भारत में उपलब्ध है. ये जानवर दुनिया के केवल 2 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र और 4.90 प्रतिशत खेती योग्य चारे के क्षेत्र पर निर्भर हैं. वर्ष 2019-20 में कृषि और पशुपालन का देश की जीडीपी में 26.00 प्रतिशत और 4.11 प्रतिशत का योगदान रहा है. पशुपालन ग्रामीण क्षेत्रों में 18.80 प्रतिशत रोजगार पैदा करता है और पशुपालकों को कठिन समय में सहायता भी प्रदान करता है. जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ दूध, दुग्ध उत्पाद और मांस की बढ़ती मांग के कारण पशुपालन पर दबाव बढ़ रहा है. देश में कुल कृषि क्षेत्र (9.13 मिलियन हेक्टेयर) के केवल 4.9 प्रतिशत क्षेत्र में ही चारे का उत्पादन होता है.

देश में हरे चारे की जरूरत

देश में हरे चारे, सूखे चारे और अनाज मिश्रण की आवश्यकता और उपलब्धता में क्रमशः 25-30 प्रतिशत, 12-14 प्रतिशत और 30-35 प्रतिशत की कमी है. इसलिए, पशुओं की अच्छी वृद्धि और उत्पादकता बढ़ाने के लिए चारा विकसित की जानी चाहिए. ऐसे में अजोला (azolla) एक प्रोटीन युक्त चारा है. पशुपालन के क्षेत्र में वैकल्पिक चारा स्रोत के रूप में अजोला (azolla) दिन-प्रतिदिन लोकप्रियता प्राप्त कर रहा है. यह प्रोटीन, खनिज से भरपूर होता है. इसी कड़ी में आइए जानते हैं अजोला (azolla) की वैज्ञानिक खेती कैसे करें ताकि अधिक चारा मिल सके. ऐसे में आइए जानते हैं इसकी अच्छी उत्पादन की तकनीक क्या है.

ये भी पढ़ें: Azolla: खेती और दुधारू पशुओं के लिए उत्तम है अजोला, जानें बनाने के विधि और फायदे

कैसे करें अजोला की वैज्ञानिक खेती 

अजोला (azolla) की खेती कम उत्पादन सामग्री और सीमित लागत में अधिक से कम-छायादार स्थानों (100-50 प्रतिशत छाया) में आसानी से की जाती सकती है. अजोला (azolla) की खेती के लिये 6.0-8.0 पी-एच का 30-35 सें.मी. गहराई तक भरा हुआ पानी आवश्यक होता है. अच्छी वृद्धि और बायोमास उत्पादन के लिये 18-28 डिग्री सेल्सियस (64-820 फारेनहाइट) तापमान और सापेक्षिक आर्द्रता 85-90 प्रतिशत सही होती है. ध्यान रहे कि 37 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान अजोला की अच्छी वृद्धि के लिये हानिकारक होता है. अजोला सभी पोषक तत्व, हवा और जल से सोखता करता है, लेकिन फॉस्फोरस को बाहरी स्रोत से ही देना पड़ता है.

क्या है अजोला की खेती की उत्पादन तकनीक

छोटे पशुपालकों के लिये 8×4×1 घन फीट के गड्ढे से 1.5-2.0 कि.ग्रा. अजोला प्रतिदिन प्राप्त होता है. चयनित क्षेत्र थोड़ा ऊंचाई पर, साफ-सुथरा और समतल होना चाहिये, जिससे बरसात का पानी गड्ढे में न जाये. गड्ढे की दीवारें ईंटों की या कच्चे गड्ढे के ऊपर मजबूत मेड़ के रूप में होनी चाहिये. गड्ढे की भीतरी सतह में प्लास्टिक शीट बिछाकर बाहर की तरफ उसे ईंटों या मजबूत मिट्टी की मेड़ से दबा देना चाहिये. गड्ढे की सतह पर 80-100 कि.ग्रा. उपजाऊ मिट्टी को छलनी से छानकर, 5-7 कि.ग्रा. ताजा गोबर और 10-15 लीटर पानी की परत बिछा देनी चाहिये. इसमें 18-20 सें.मी. पानी भरकर 2 कि.ग्रा. ताजा अजोला कल्चर फैला देना चाहिये. गड्ढे में पत्तियां, कूड़ा आदि गिरने से बचाने के लिये जाल से ढक दें.

मिट्टी के लिए भी फायदेमंद है ओजोला

अजोला (azolla) को मिट्टी के लिए बहुत प्रभावी माना जाता है. अजोला (azolla) मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार करता है. अक्सर देखा जाता है कि अगर अजोला का उपयोग वर्मीकम्पोस्ट और कम्पोस्ट बनाने में किया जाए तो वर्मीकम्पोस्ट में केंचुओं का वजन और वृद्धि तेजी से बढ़ती है. इसके साथ ही खाद में कार्बनिक पदार्थ भी बढ़ जाते हैं, जिससे खेत में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ जाती है, जो उत्पादन बढ़ाने में बहुत कारगर है. धान की फसल में जब पानी कम होता है तो वह मिट्टी के संपर्क में आकर बढ़ने लगती है.