हाल ही में, केंद्र सरकार द्वारा सेब, अखरोट, बादाम और क्रैनबेरी पर आयात शुल्क में कमी करने के प्रस्ताव को लेकर जम्मू और कश्मीर के स्थानीय किसानों में गहरी चिंता फैल गई है. सरकार के इस कदम से उत्पादकों को डर है कि सस्ते आयातों की बाढ़ से स्थानीय उत्पादन पर गंभीर असर पड़ेगा, जिससे उनकी आजीविका को खतरा हो सकता है. यह मुद्दा खासतौर पर कश्मीर घाटी के सेब उत्पादकों के लिए चिंता का कारण बन गया है, जहां सेब उद्योग लाखों किसानों की आजीविका से जुड़ा हुआ है.
2 अप्रैल, 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा पारस्परिक टैरिफ (Reciprocal tariff) लागू करने से पहले, वाशिंगटन सेब, अखरोट, बादाम और क्रैनबेरी पर आयात शुल्क में कमी के बारे में मीडिया रिपोर्ट्स ने घाटी के उत्पादकों में गहरी चिंता पैदा की है. एप्पल फार्मर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एएफएफआई) के जम्मू और कश्मीर के अध्यक्ष जहूर अहमद राथर का मानना है कि इस कदम से भारतीय सेब उत्पादकों को नुकसान होगा. उन्होंने कहा, "हम अमेरिका के किसानों से मुक़ाबला नहीं कर सकते, जहां उन्हें 32 प्रतिशत से अधिक सब्सिडी मिलती है, जबकि हमारे किसानों को 3.5 प्रतिशत से अधिक नहीं मिलती."
कश्मीर घाटी फल उत्पादक सह डीलर संघ (केवीएफजीडीयू) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कृषि मंत्री को अलग-अलग पत्र लिखकर अपनी चिंता व्यक्त की. केवीएफजीडीयू के अध्यक्ष बशीर अहमद बशीर ने कहा, "अगर सरकार वाशिंगटन सेब पर आयात शुल्क में कमी करती है, तो भारतीय बाजारों में इनसेबों की बाढ़ आ जाएगी." उनका मानना है कि इससे कश्मीर और अन्य सेब उत्पादक क्षेत्रों में किसानों के लिए भारी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं.
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वर्षों से, जम्मू और कश्मीर के सेब उत्पादक अमेरिकी और ईरानी सेब पर 100 प्रतिशत आयात शुल्क की मांग कर रहे थे. लेकिन 2023 में, केंद्र सरकार ने वाशिंगटन सेब पर लगाए गए 20 प्रतिशत अतिरिक्त प्रतिशोधी शुल्क को माफ कर दिया, जिससे किसानों ने विरोध जताया. इस निर्णय के बाद, सरकार के इस नए कदम पर चिंता और विरोध और भी बढ़ गया है.
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12 मार्च को जम्मू और कश्मीर विधानसभा में इस मुद्दे पर चर्चा हुई, जहां विधायकों ने सेब, अखरोट और बादाम पर आयात शुल्क में कमी करने की सरकार की योजना पर अपनी चिंता व्यक्त की. नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक तनवीर सादिक ने सदन में यह मुद्दा उठाया और तर्क दिया कि इससे हजारों परिवारों की आजीविका पर बुरा असर पड़ेगा. कई विधायक, विशेष रूप से दक्षिण कश्मीर के सेब समृद्ध जिलों से, अपनी सीटों से उठकर इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त की.
केंद्र सरकार द्वारा सेब, अखरोट, बादाम और क्रैनबेरी पर आयात शुल्क में कमी करने की योजना जम्मू और कश्मीर के स्थानीय किसानों के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है. इस कदम से भारतीय सेब उत्पादक अपने अमेरिकी समकक्षों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगे, क्योंकि अमेरिका के किसानों को अधिक सब्सिडी मिलती है. इसके अलावा, आयात शुल्क में कमी से सस्ते विदेशी सेबों की बाढ़ आने का खतरा है, जो कश्मीर घाटी के सेब उद्योग को गंभीर नुकसान पहुँचा सकता है. सरकार के इस निर्णय पर चिंता और विरोध तेज होता जा रहा है, और इसे लेकर स्थानीय किसानों की उम्मीदें सरकार के समर्थन में हैं.
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