हरियाणा के पलवल में सरकारी सहकारी चीनी मिल में अभी भी गन्ना पेराई का काम तेज नहीं हो पाया है. बताया जा रहा है कि यहां पिछले दो दिनों में 10,000 क्विंटल से भी कम गन्ना पेराई हो पाई है, जो इसकी क्षमता से काफी कम है. इस मिल में गन्ना पेराई का काम 24 नवंबर को राज्य मंत्री गौरव गौतम ने शुरू किया था.
प्रशासन के सूत्रों ने 'दि ट्रिब्यून' को बताया कि मिल को शुरुआती चरण में तकनीकी समस्याओं या लॉन्च से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. मिल की क्षमता 2,200 टीसीडी (प्रति दिन टन गन्ना) है, लेकिन वर्तमान में इसने मंगलवार सुबह तक लगभग 8,000 क्विंटल गन्ना पेराई की है.
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के प्रतिनिधि महेंद्र सिंह चौहान ने कहा, "अगर मिल सामान्य चाल से काम कर रही होती तो पिछले दो दिनों में कम से कम 15,000 क्विंटल गन्ने की पेराई हो चुकी होती." उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में किसान गन्ने की कटाई के बाद गेहूं या रबी की फसलों की पछेती किस्मों की बुवाई कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि मिल में शुरुआती चरणों में दिक्कतें आने का इतिहास रहा है, हालांकि कुछ साल पहले 20 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से इसे अपग्रेड किया गया था.
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1973 में पलवल सहकारी चीनी मिल एक सोसाइटी के रूप में बनाई गई थी. यहां 1984-85 में 1,250 टीसीडी की क्षमता के साथ गन्ना पेराई शुरू की गई थी. मिल का गन्ना क्षेत्र 32 किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है, लेकिन पिछले सीजन में इसने 25.56 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई की थी और 2.58 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन किया था, जिसमें 9.97 प्रतिशत रिकवरी थी. अधिकारियों के अनुसार, इस बार पेराई का लक्ष्य लगभग 28 लाख क्विंटल है.
मिल के एमडी विशाल ने दावा किया कि मिल ठीक से काम कर रही है. उन्होंने कहा कि पेराई की गति गन्ने की आपूर्ति पर निर्भर है. उन्होंने कहा कि जल्द ही पेराई बढ़ने की संभावना है. डीसी डॉ. हरीश वशिष्ठ ने कहा कि मिल सामान्य रूप से काम कर रही है, लेकिन जल्द ही इसकी पूरी क्षमता तक पहुंचने की संभावना है.
पेराई सत्र की शुरुआत करते हुए राज्यमंत्री राहुल गौतम ने कहा मिल पलवल, फरीदाबाद, नूंह और गुरुग्राम के चार जिलों के गन्ना किसानों की जरूरतों को पूरा करती है. उन्होंने कहा कि इस साल अनुमानित समय में लगभग 28 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई का लक्ष्य पार करने की उम्मीद है.
उन्होंने पेराई सत्र के पहले दिन मिल में अपनी उपज लाने वाले सबसे पहले किसानों को सम्मानित किया. उन्होंने कहा कि मिल प्रबंधन ने गन्ना डालने के लिए मिल में आने वाले किसानों के लिए मात्र 10 रुपये की मामूली दर पर भोजन उपलब्ध कराने के लिए कैंटीन की सुविधा शुरू की है. इसके अलावा, किसानों के लिए विश्राम गृह, पेयजल, शौचालय और मनोरंजन कक्ष जैसी सुविधाएं भी बनाई गई हैं.
याद रहे कि संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के कार्यकर्ताओं ने गन्ना पेराई सत्र शुरू होने में देरी के विरोध में 18 नवंबर को सहकारी चीनी मिल के बाहर धरना दिया था. पिछले कुछ साल में मिल तकनीकी खराबी के कारण अपनी धीमी चाल को लेकर यह मिल चर्चा में रही है.
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पिछले साल नवंबर में औपचारिक ऑपरेशन शुरू होने के तुरंत बाद मिल के टरबाइन में खराबी के कारण इसके पेराई काय में चार दिनों से अधिक का ब्रेक लग गया था. बताया जाता है कि 2019-20 में इसे 12 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से अपग्रेड किया गया था.
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