ग्लोबल वार्मिंग पूरे विश्व के लिए एक गंभीर समस्या बन चुकी है. जलवायु परिवर्तन के असर से कृषि क्षेत्र भी अछूता नहीं है. बढ़ते हुए तापमान के चलते कहीं बाढ़ तो कहीं सूखा तो कहीं भयंकर ठंड किसान की फसलों को तबाह कर रही है. जलवायु परिवर्तन का सीधा असर किसान की आय पर पड़ रहा है. वहीं अब खेती के जरिए ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए मेरठ के मोदीपुरम स्थित भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान काम कर रहा है. उत्तर प्रदेश में जैविक खेती और कृषि वानिकी को बढ़ाने के लिए रोड मैप विकसित करने तथा अन्य राज्यों के स्तर पर प्रकृति के सकारात्मक हस्तक्षेप के प्रभाव को मापने के लिए टीईईबी के ढांचे को अपनाने की उम्मीद है. लखनऊ के भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान में एक दिवसीय कार्यशाला में भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ सुनील कुमार ने बताया की पर्यावरण अनुकूल खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को कार्बन क्रेडिट(Carbon credit) का लाभ कैसे मिल सके, इस पर भी काम किया जा रहा है जिससे की आने वाले समय में जैविक और पर्यावरण अनुकूल खेती को बढ़ावा मिल सके.
जलवायु परिवर्तन के विपरीत प्रभाव से सबसे ज्यादा कृषि प्रभावित हो रही है. कार्बन क्रेडिट के माध्यम से ऐसे किसानों को प्रोत्साहित करने का प्रयास विश्व स्तर पर टीईईबी के द्वारा किया जा रहा है. वैश्विक स्तर पर कुल कृषि भूमि का 16% भूमि पर जैविक खेती होती है. वही मार्च 2023 तक भारत में 3.9% भूमि पर जैविक खेती की जा रही है. जैविक खेती के तहत खेती का क्षेत्र 5.39 मिलीयन हेक्टेयर तक पहुंच गया है जबकि लगभग .86 मिलियर हेक्टेयर को भागीदारी गारंटी प्रणाली के तहत लाया गया है. कृषि वानिकी में खेती की अपार संभावनाएं हैं और यह उत्तर प्रदेश में शुद्ध खेती योग्य क्षेत्र का 9.23 फ़ीसदी हिस्सा है. भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ सुनील कुमार ने किसान तक को बताया कि ऐसे किसान जो जैविक खेती के साथ-साथ पर्यावरण अनुकूल खेती कर रहे हैं, उन्हें कार्बन फंडिंग के जरिए प्रोत्साहित करने का प्रयास होना चाहिए . वही ऐसे किसानों को पीकेवीवाई ,नमामि गंगे ,राष्ट्रीय कृषि वानिकी नीति के तहत जोड़कर भी काम किया जा रहा है . डॉ सुनील कुमार ने बताया कि आने वाले समय में ऐसे किसान जो पर्यावरण अनुकूल खेती के द्वारा जमीन के भीतर कार्बनिक मैटर को बढ़ाने का काम कर रहे हैं उन्हें कार्बन क्रेडिट का लाभ कैसे मिल सके इस पर विस्तृत नीति तैयार की जा रही है.
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उत्तर प्रदेश में स्थित भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ सुनील कुमार ने बताया कि मेरठ, बुलंदशहर, अलीगढ़, मिर्जापुर और हमीरपुर में जैविक खेती और पर्यावरण अनुकूल खेती करने वाले किसानों पर विस्तृत सर्वे किया गया है. इसके लिए कार्बन फंडिंग के प्रयास भी किए जा रहे हैं जिससे कि और भी किसान इस तरह की खेती करने के लिए प्रोत्साहित हो. कार्बन फंडिंग के माध्यम से किसानों को पर्यावरण अनुकूल खेती करने का लाभ भी मिल सकेगा.
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