नारियल के पेड़ पर चढ़ना और नट्स को तोड़ना हमेशा से डिफिकल्ट टास्क रहा है. खासतौर से महिलाओं के लिए ये काम करना बेहद मुश्किल हो जाता है. Coconut Development Board database के मुताबिक, 12 सालों में लगभग 32,925 climbers ट्रेन हुए, और इनमें से अब सिर्फ 673 ही एक्टिव हैं. नारियल की बड़े पैमाने पर खेती और जरूरत के बीच इसे तोड़ने से जुड़ा संकट लगातार महसूस किया जाता रहा है.
अब एआई की मदद से इस problem का भी सॉल्युशन मिल गया है. अशिन नाम के एक युवक ने तीन पार्टर्नस के साथ मिलकर एक अनूठा एआई रोबोट तैयार किया है. Kozhikode के युवाओं ने इस problem से निपटने के लिए एआई पावर्ड coconut harvester develop किया है जो नारियल तोड़ने से जुड़ी समस्या को चुटकियों में सुलझा देगा. आइए आपको लेकर चलते हैं केरल के कोझिकोड में और बताते हैं इस खबर के बारे में विस्तार से.
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kozhikode के चार लोगों ने एआई पावर्ड coconut harvester develop किया है. इसका नाम coco bot है. coco bot बाकी coconut climbing robots से अलग है, ऐसा इसलिए क्योंकि ये compact, lightweight और डेटासेट्स पर ट्रेन्ड एआई है.
coco bot कई मायनों में खास है. एआई इसे mature nuts को identify करने में, और उन्हें harvest करने में भी मदद करता है. मौजूदा वक्त में coco bot semi automatic है. हालांकि, इसे बनाने वाली कंपनी Altersage Innovations Pvt Ltd के फाउंडर और सीइओ Ashin P Krishna का कहना है कि उनका फाइनल product fully automatic होगा. खास बात ये कि coco bot को एक इंसान हैंडल कर सकता है, जबकि बाकी टाइप्स के लिए तीन से ज्यादा लोगों की जरूरत होती है. इस रोबोट का वजन 10 किलो है और ये अलग-अलग coconut tree trunks के मुताबिक अलग-अलग शेप्स adapt कर सकता है.
ashin ने बताया कि locking mechanism को activate होने में सिर्फ पांच सेकंड ही लगते हैं. इस स्टार्टअप को Kerala Agriculture University के Raftaar agri-business incubator से फंडिंग मिली है. इस स्टार्टअप को सबसे पहले IIM कोझिकोड में इनक्यूबेट किया गया था. Ashin ने इस पूरे आइडिया के पीछे की कहानी के बारे में भी बताया. एक बार उन्होंने अपने बाथरूम के बाहर एक नारियल के पेड़ को नोटिस किया. और तब उन्होंने ये डिसाइड किया कि वो एक ऐसा रोबोट बनाएंगे, जो नारियल के पेड़ पर चढ़ सके, और nuts को पेड़ से तोड़ सके.
इसके बाद ashin ने अपनी टीम के साथ एक साल तक इस पर research और development किया. उन्होंने बताया कि 2021 में पहला प्रोटोटाइप बनाया. इसके बाद Kerala Startup Mission में टीम ने इस आइडिया को present किया. इसके बाद उन्हें फंडिंग भी मिली. ashin ने बताया कि उसी साल, 36-hour Hackathon Vaiga में इस आइडिया को आगे बढ़ाया गया. इसे स्टेट government ने organize किया था, और वहां उन्होंने first prize भी मिला.
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hackathon के बाद इस रोबोट को nabard ने भी नोटिस किया. ashin ने बताया कि इसके बाद उन्होंने हमसे contact किया और और वहां से उन्हें फंड्स मिले.(सनिका लालवानी की रिपोर्ट)
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