कपास किसानों को मॉडर्न सिंचाई तकनीक का फायदा मिलेगा, केंद्र से मिल सकता है 500 करोड़ का बजट 

कपास किसानों को मॉडर्न सिंचाई तकनीक का फायदा मिलेगा, केंद्र से मिल सकता है 500 करोड़ का बजट 

कपास व्यापार का शीर्ष निकाय भारतीय कपास संघ (Cotton Association of India) ने सरकार से किसानों को अपने खेतों में ड्रिप सिंचाई प्रणाली अपनाने में मदद करने के लिए कम से कम 500 करोड़ रुपये का बजटीय समर्थन देने का आग्रह किया है.

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कपास किसानों को मॉडर्न सिंचाई तकनीक का फायदा मिलेगा, केंद्र से मिल सकता है 500 करोड़ का बजट भारतीय कपास संघ (CAI) ने केंद्र से 500 करोड़ रुपये का बजट जारी करने की मांग की है.

कपास उत्पादन बढ़ाने के लिए सिंचाई सुविधा को और बेहतर करने के साथ ही किसानों के लिए सुलभ और कम खर्चीला बनाने की जरूरत है. अधिक सिंचाई जरूरत के चलते किसानों का खर्च बढ़ता है और बीते कुछ सालों में बेमौसम बारिश और कीटों-बीमारियों  के प्रकोप से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. इसके नतीजे में इस बार खरीफ सीजन में कपास का रकबा बीते साल की तुलना में 10 के करीब घट गया है. किसानों की सिंचाई दिक्कत और खर्च को कम करने के लिए भारतीय कपास संघ (CAI) ने केंद्र से 500 करोड़ रुपये का बजट जारी करने की मांग की है. इस बजट से आधुनिक सिंचाई सुविधाएं लागू करने की बात कही जा रही है. 

कपास व्यापार का शीर्ष निकाय भारतीय कपास संघ (Cotton Association of India) ने सरकार से किसानों को अपने खेतों में ड्रिप सिंचाई प्रणाली अपनाने में मदद करने के लिए कम से कम 500 करोड़ रुपये का बजटीय समर्थन देने का आग्रह किया है. ताकि कपास की पैदावार को बढ़ावा दिया जा सके. कपास संघ ने सरकार से फसल पैदावार में सुधार के लिए नई बीज किस्मों को पेश करने की भी मांग की है. एसोसिएशन की 102वीं सालाना बैठक में संघ के अध्यक्ष अतुल एस गनात्रा ने कई बिंदुओं पर सरकार का ध्यान आकर्षित किया है. 

जरूरत के समय नहीं मिल पाता है कपास को पानी 

भारतीय कपास संघ के अध्यक्ष अतुल एस गनात्रा ने कहा कि भारत में लगभग 67 फीसदी कपास का उत्पादन बारिश आधारित क्षेत्रों में होता है. इन क्षेत्रों में कपास पूरी तरह से बारिश पर निर्भर है. इसलिए कपास की फसल को फूल और फल लगने के समय जरूरत के हिसाब से पानी नहीं मिल पाता है. कपास में फूल और फल लगने के समय पूरी फसल में लगने वाले कुल पानी का 80 फीसदी इसी समय चाहिए होता है. 

महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में बारिश पर निर्भर खेती 

कपास संघ के अनुसार बारिश आधारित क्षेत्रों में कपास की उपज सिंचित क्षेत्रों की तुलना में काफी कम है. खासकर महाराष्ट्र में जहां लगभग 95 फीसदी क्षेत्र बारिश पर आधारित है. इसी तरह मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और गुजरात के कम पानी की उपलब्धता वाले क्षेत्रों में भी बारिश पर कपास की खेती निर्भर है. कपास संघ ने कहा कि इस स्थिति से निपटने के लिए हमने सरकार को सुझाव दिया है कि वह बारिश आधारित और कम पानी की उपलब्धता वाले क्षेत्रों में हमारे किसानों को बजटीय सहायता प्रदान करे और उन्हें ड्रिप सिंचाई तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहित करे.

ड्रिप तकनीक के लिए 500 करोड़ बजट दे सरकार 

भारत में ड्रिप सिंचाई सिस्टम बनाने की लागत ज्यादा है. इसलिए हमने सरकार से किसानों के लाभ के लिए किसानों के खेतों में ड्रिप सिंचाई तकनीक स्थापित करने के लिए कम से कम 500 करोड़ रुपये का बजटीय समर्थन देने का अनुरोध किया है.

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