देश के कई राज्यों में धान की कटाई जारी है. ऐसे में किसान धान के बचे हुए अवशेष यानी पराली या पुआल को खेतों में ही जला देते हैं, जिससे प्रदूषण बढ़ने के साथ ही खेतों की मिट्टी पर भी असर पड़ता है. वहीं, कई राज्यों में प्रशासन पराली जलाने पर रोक के लिए निगरानी भी रह रही है. इसी को देखते हुए बिहार में अब पुआल जलाने की ड्रोन से निगरानी होगी. ऐसे में जो किसान खेतों में पुआल जलाता मिला उसको कृषि विभाग की योजनाओं से वंचित करने के लिए उनकी डीबीटी पंजीकरण भी स्थगित की जाएगी.
इसके अलावा खेतों में पुआल जलाने वाले पैक्सों और व्यापार मंडलों में धान भी नहीं बेच पाएंगे. साथ ही इस संबंध में विकास आयुक्त ने मद्य निषेध, कृषि और सहकारिता विभाग को आदेश दिया है. बार-बार फसल अवशेष जलाने वाले किसानों पर धारा-133 के तहत कार्रवाई होगी. वहीं, सैटेलाइट इमेज और एरियल की रिपोर्ट के अनुसार ऐसा करने वाले किसानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. इसके अलावा विकास आयुक्त ने आदेश दिया है कि धारा-133 की कार्रवाई करने के बाद इसका संदेश आम लोगों तक पहुंचाने का सभी डीएम करेंगे.
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बता दें कि बिहार के 10 जिलों रोहतास, कैमूर, बक्सर, भोजपुर, नालंदा, गोपालगंज, सीवान, पटना, नवादा और पश्चिम चंपारण में सबसे अधिक पुआल जलाने के मामले सामने आए हैं. इन जिलों के डीएम और जिला कृषि पदाधिकारी को विकास आयुक्त ने अलर्ट किया है. वहीं, फसल कटनी के बाद लगातार निगरानी रखने का आदेश दिया है. फसल जलाने में पहले से चिन्हित जिलों में किसान चौपाल लगाकर विकास आयुक्त ने किसानों को जागरूक करने का भी आदेश दिया है.
सर्वाधिक फसल अवशेष जलाने वाले 50 पंचायतों का चयन करने का विकास आयुक्त ने आदेश दिया है. इन 50 पंचायतों में आगामी मौसम में फसल अवशेष प्रबंधन से संबंधित स्पेशल कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित किए जाएंगे, जिससे फसल अवशेष जलाने के मामले में कमी लाई जा सके.
विकास आयुक्त ने फसल अवशेष की घटना को नियंत्रित करने के लिए प्रोत्साहन नीति लाने की भी बात कही है. पुआल नहीं जलाने को लेकर पंचायत स्तर पर प्रतियोगिता आयोजित करने का आदेश दिया गया है. ऐसे में पुआल नहीं जलाने वाले पंचायतों को पुरस्कृत किया जाएगा. विकास आयुक्त ने कृषि और सूचना और जनसंपर्क विभाग को आदेश दिया है कि फसल अवशेष की घटना पाए जाने वाले जिलों में कृषि यंत्रों के प्रयोग के वीडियो बनाकर प्रचार-प्रसार किए जाएं. साथ ही रेडियो, जिंगल, विज्ञापन और टीवी स्पॉट के माध्यम से पुआल नहीं जलाने को लेकर प्रचार-प्रसार किया जाए.
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