झारखंड में खेतों तक कैसे पहुंचेगा पानी, दशकों से अधूरा पड़ा है जलाशय और डैम का काम

झारखंड में खेतों तक कैसे पहुंचेगा पानी, दशकों से अधूरा पड़ा है जलाशय और डैम का काम

झारखंड किसान महासभा के केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष पंकज रॉय बताते हैं झारखंड में डैम का निर्माण फैक्ट्री या पावर प्लांट को पानी देने के लिए होता है. कोई डैम ऐसा नहीं है जिसके आस-पास कृषि . इससे संबंधित कार्य हो रहे हो.

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झारखंड में खेतों तक कैसे पहुंचेगा पानी, दशकों से अधूरा पड़ा है जलाशय और डैम का काम सिंचाई के लिए बनाया गया चेक डैम फोटोः किसान तक

झारखंड पठारी क्षेत्र है. यहां की अधिकांश जमीन खेती के लिए बारिश के पानी पर निर्भर है, बारिश पर निर्भरता कम करने के किए झारखंड में जलाशयों का निर्माण करने कि योजना बनी. लेक‍िन, सच्चाई यही है कि आज भी कई दशक बीत जाते के बाद भी इन जलाशयों और कई डैमों का निर्माण कार्य अधूरा पड़ा हुआ है, जो आधे-अधूरे डैम बने भी हैं, उनमें अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है. डैंम के कैचमेंट एरिया में बढ़ रहे गाद के कारण भी नहरों से पानी की स्पलाई खेतों तक नहीं आ पा रही है. इसके कारण सूखा पड़ने का संकट और गहरा होता जा रहा है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जल संसाधन विभाग यह दावा करता है कि राज्य में 10 लाख हेक्टेयर जमीन में सिंचाई की सुविधा उलपब्ध है, जबकि राज्य में कृषि योग्य भूमि का रकबा 29.74 लाख हेक्टेयर है. इस बड़े क्षेत्रफल में सिंचाई की सुविधा उलपब्ध कराने के लिए कुल 31 परियोजनाएं चलाई गई, जिनमें 9 बड़ी परियोजनाएं हैं.लेक‍िन, इसके बावजूद राज्य के किसानों को इन परियोजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. क्योंकि विभागीय लापरवाही के कारण आज तक इनका निर्माण कार्य या तो पूरा नहीं हुआ है या फिर सही तरीके से निर्माण नहीं किया गया है. 

क्या कहते हैं किसान नेता

झारखंड किसान महासभा के केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष पंकज रॉय बताते हैं झारखंड में डैम का निर्माण फैक्ट्री या पावर प्लांट को पानी देने के लिए होता है. कोई डैम ऐसा नहीं है जिसके आस-पास कृषि . इससे संबंधित कार्य हो रहे हो. जबकि ऐसा होना चाहिए था कि प्रत्येक डैम के किनारे दो हजार से पांच हजार हेक्टेयर जमीन पर कृषि कार्य किया जाना था.लेक‍िन, दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हो रहा है. जबकि डैम बनता है तो सैंकड़ों परिवार विस्थापित होते हैं, उस पानी पर पहला हक उन्हीं का होता है, लेक‍िन, ऐसा नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि इसके लिए योजना पर कार्य हो रहा है. डैम के आस-पास रहने वाले किसानों से बातचीत कर कृषि कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.

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राज्य में बड़ी सिंचाई परियोजनाओं की स्थिति

राज्य में 1970 में दो बड़ी सिंचाई परियोजनाएं शुरू की गई थी, शहीद नीलांबर-पीतांबर उत्तरी और कोयल जलाशय परियोजना. 102 करोड़ रुपये की नीलांबर पीताबर उत्तरी परियोजना के जरिए 22104 हेक्टेयर जमीन में सिंचाई करने कि योजना थी, जबकि कोयल जलाशय से 22104 हेक्टेयम जमीन में सिंचाई होना था. कोनार परियोजना के जरिए 54435 हेक्टेयर जमीन को सिंचित करने की योजना थी. इसके अलावा स्वर्णरेखा परियोजना, पुनासी डैम परियोजना, गुमानी परियोजना, अमानत बराज परियोजना, रामरेखा जलाशय योजना, बटाने जलाशय योजना और नकटी जलाशय योजना राज्य में शुरू की गई थी. 

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