पिछले दिनों बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की सुप्रीमो मायावती ने 11 उम्मीदवारों के नाम के साथ नई लिस्ट जारी की. इस लिस्ट में एक नाम ऐसा था जो चौंकाने वाला था. यह नाम था शिव प्रताप यादव का जिन्हें मायावती की एक बड़ी चाल के तौर पर देखा जा रहा है. लोकसभा चुनावों के लिए मायावती ने इस बार शिव प्रताप यादव को मैनपुरी से टिकट दिया है. मैनपुरी अब तक समाजवादी पार्टी (एसपी) का गढ़ रहा है. इस बार एसपी मुखिया अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल मैनपुरी से चुनाव लड़ रही हैं. मायावती ने एक और यादव को अपनी पार्टी से टिकट देकर अखिलेश की मुश्किलें बढ़ा दी हैं.
शिव प्रताप यादव को मैनपुरी से टिकट देने के मायावती के फैसले से समाजवादी पार्टी में यादव परिवार की दो सीटों पर सियासी हवा बदलने की आशंका है. बीएसपी ने मैनपुरी में जहां उम्मीदवार बदला है तो वहीं बदायूं में मुस्लिम उम्मीदवार को उतार कर अखिलेश के सामने नई चुनौती खड़ी कर दी है. बीएसपी ने पहले मैनपुरी में गुलशन कुमार शाक्य को टिकट देने का मन बनाया था. लेकिन अचानक फैसला बदला और उनकी जगह शिव प्रताप यादव को उम्मीदवार बना दिया.
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मैनपुरी में 4.30 लाख यादव वोटर्स हैं. इस सीट पर एक लाख ब्राह्मण, 2.90 लाख शाक्य वोट, दो लाख ठाकुर और करीब 60 हजार मुस्लिम वोटर्स हैं. साल 2019 तक समाजवादी पार्टी, जनता पार्टी समेत अलग-अलग पार्टी से यहां सांसद चुने गए. लेकिन अभी तक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का इस सीट से खाता नहीं खुला है. वहीं अब बसपा के नए कदम से डिंपल यादव की राह आसान नहीं रह गई है. डिंपल ने मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद साल 2022 में मैनपुरी उपचुनाव में जीत हासिल की थी. मैनपुरी सीट पर यादव वोटर्स सबसे ज्यादा है, ऐसे में समाजवादी पार्टी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
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मैनपुरी से सपा ने डिंपल यादव और बीजेपी ने यूपी सरकार में मंत्री जयवीर सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है. लेकिन माना जा रहा है कि बीएसपी के कैंडीडेट बदलने से अखिलेश यादव की टेंशन बढ़ सकती हैं. वहीं दूसरी ओर बदायूं में एसपी के उम्मीदवार आदित्य यादव के खिलाफ मुस्लिम खां को उम्मीदवार बनाया है. बीएसपी प्रमुख के इस फैसले से माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी की दो सीटें फंस सकती हैं. बदायूं में हालांकि सबसे ज्यादा चार लाख वोटर्स यादव हैं. लेकिन मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी 3.5 लाख से ज्यादा है.
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