खेतों से निकल कर बाजार तक पहुंच रहा सुपरफूड मखाना, पिछले साल से घटे दाम

खेतों से निकल कर बाजार तक पहुंच रहा सुपरफूड मखाना, पिछले साल से घटे दाम

मखाना, बिहार के मिथिलांचल और सीमांचल की शान, आज देश से लेकर विदेश तक अपनी धाक जमाए हुए है. लेकिन इस साल जहां किसानों को दामों में मामूली गिरावट झेलनी पड़ी है, वहीं अमेरिकी टैरिफ ने इसके निर्यात पर भी असर डाला है.

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खेतों से निकल कर बाजार तक पहुंच रहा सुपरफूड मखाना, पिछले साल से घटे दामबिहार में बढ़ी मखाने की खेती

बिहार के मिथिलांचल और सीमांचल के खेतों में उपजने वाला स्वास्थ्य का खजाना मखाना आज न केवल देश में, बल्कि पूरी दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बना चुका है. पिछले कुछ वर्षों में मखाना के विकास की रफ्तार काफी तेज रही है. वहीं, बारिश की बूंदों के बीच इन दिनों खेतों और तालाबों से मखाना की फसल निकालने का काम जारी है. हालांकि, पिछले साल की तुलना में इस बार मखाना का लावा और गुरिया (बीज) के दामों में कमी देखने को मिल रही है. फिर भी वर्तमान के दाम को किसान फायदे का सौदा मान रहे हैं. हालांकि, इन सफलताओं के बीच विदेशों में मखाना भेजने वाले व्यापारी बताते हैं कि अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाने से अंतरराष्ट्रीय बाजार पर असर पड़ रहा है.

जिलों में मखाना के अलग-अलग दाम

दरभंगा जिले के रहने वाले महेश मुखिया बताते हैं कि पिछले साल की तुलना में इस बार मखाना के गुरिया (बीज) और लावा के दाम में अंतर देखने को मिला है. साल 2024 में मखाना का गुरिया (बीज) 32,000 रुपये प्रति क्विंटल से लेकर 40,000 रुपये प्रति क्विंटल तक बिका था. वहीं, इस साल गुरिया (बीज) का दाम घटकर लगभग 28,000 रुपये से 23,000 रुपये प्रति क्विंटल के बीच रह गया है. वहीं, इसका दाम सभी जिलों में एक समान नहीं है.

सहरसा, सुपौल, अररिया और पूर्णिया सहित अन्य जिलों में  मखाना का गुरिया (बीज) 23,000 से 25000 रुपये प्रति क्विंटल तक बिक रहा है, जबकि दरभंगा और आसपास के जिलों में इसका बाजार भाव 27,000 से 28,000 रुपये प्रति क्विंटल तक है. इसकी वजह गुरिया की क्वालिटी है.

टैरिफ नीति से मखाना कारोबार प्रभावित

‘एमबीए मखाना वाला’ के संस्थापक श्रवण कुमार राय कहते हैं कि विदेशों में मखाना की सबसे अधिक मांग अमेरिका में रहती है. लेकिन हाल ही में अमेरिका ने भारत से आने वाले उत्पादों पर टैरिफ बढ़ा दिया है, जिसके कारण मखाना कारोबार पर असर पड़ रहा है. मखाना अमेरिका पहुंचते-पहुंचते जरूरत से ज्यादा महंगा हो जाता है. हालांकि, देश के विभिन्न राज्यों में मखाना का कारोबार फिलहाल अच्छा चल रहा है. वहीं, इस समय मखाना का सीजन होने के चलते दाम में कुछ कमी देखी जा रही है.

लागत की तुलना में अच्छी कमाई

अररिया जिले के मखाना किसान प्रधान बेसारा बताते हैं कि एक एकड़ मखाना की खेती करने में लगभग 26,000 रुपये का खर्च आता है. एक एकड़ से लगभग 7–8 क्विंटल ‘गुरिया’ (बीज) का उत्पादन होता है. यदि इसकी बिक्री 24,000 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से की जाए, तो किसान को लगभग 1,92,000 रुपये की आमदनी होती है. खर्च घटाने के बाद भी प्रति एकड़ करीब 1,66,000 रुपये की शुद्ध कमाई होती है.

किसान इस भाव पर बेच रहे मखाना

मखाना किसान महेश मुखिया के अनुसार, बाजार में मखाना के दाम इस समय काफी अधिक हैं. वहीं, किसान मखाना का लावा अलग-अलग साइज के हिसाब से बेच रहे हैं-

3 सुता साइज: ₹300 प्रति किलो
4 सुता साइज: ₹615 प्रति किलो
5 सुता साइज: ₹960 प्रति किलो
6 प्लस सुता साइज: ₹1,270 प्रति किलो के भाव से बेच रहे हैं.

मखाना की खेती और उत्पादन में दोगुनी वृद्धि

मखाना की खेती 2012 तक बिहार के केवल 13 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में होती थी, जो अब बढ़कर 35,224 हेक्टेयर तक पहुंच गई है. वहीं, उत्पादकता भी 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो गई है. इस क्रांति में मखाना विकास योजना और मुख्यमंत्री बागवानी मिशन के अंतर्गत उपज क्षेत्र का विस्तार और उच्च गुणवत्ता वाले बीजों की उपलब्धता ने अहम भूमिका निभाई है.

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