लोकसभा चुनाव की तस्वीर अब साफ होने लगी है. अगर अभी तक के रुझान परिणाम में बदलते हैं तो विपक्षी गठबंधन के लिए बड़ी राहत साबित हो सकती है. वजह यह है कि इस बार के चुनाव में बीजेपी को अकेले बहुमत मिलता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है. हालांकि, बीजेपी के अगुवाई वाला एनडीए गठबंधन बहुमत के आंकड़े को पार करता दिख रहा है. यानी केंद्र में फिर से एनडीए की सरकार बनने जा रही है. इस बीच सबसे ज्यादा चर्चा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की हो रही है. वजह यह है कि बिहार में जेडीयू फिर से बीजेपी के लिए संजीवनी का काम करती हुई नजर आ रही है. सीएम नीतीश कुमार के सामने लालू-तेजस्वी का तेज फीका पड़ गया है. उनकी पार्टी जेडीयू अच्छी खासी सीटों पर जीत दर्ज करती नजर आ रही है.
बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं और इस मैदान में बीजेपी और जेडीयू ने मिलकर चुनाव लड़ा है. बीजेपी-जेडीयू गठबंधन में ऐसा पहली बार है जब बीजेपी ने राज्य में अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा. गठबंधन में बीजेपी ने 40 में से 17 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, दूसरी ओर जेडीयू को सिर्फ 16 सीटों पर लड़ने दिया गया था. जबकि 5 सीटें चिराग पासवान की पार्टी को दी गई थीं. एक सीट हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा को मिली थी. चिराग पासवान भी यहां पर अच्छा प्रदर्शन करते हुए नजर आ रहे हैं.
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दूसरी ओर, विपक्षी गठबंधन यानी इंडिया गठबंधन की बात करें तो आरजेडी ने 26 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन वो अब तक सिर्फ चार सीटों पर ही आदे दिख रही है. कांग्रेस ने 9 और लेफ्ट ने पांच सीटों पर चुनाव लड़ा है. ताजा रुझानों में नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के 16 में से 12 उम्मीदवार आगे चल रहे हैं. वहीं बीजेपी के 17 में से 12 उम्मीदवार बढ़त बनाए हुए हैं. चिराग पासवान की पार्टी पांच सीटों पर आगे चल रही है और हिंदुस्तान आवाम मोर्चा अपनी एक सीट पर आगे है. एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार भी आगे है. वहीं विपक्षी गठबंधन INDIA ब्लॉक के कुल 7 उम्मीदवार आगे चल रहे हैं. कांग्रेस के 3 उम्मीदवार बढ़त बनाए हुए हैं.
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के तमाम दावे और रैलियों का प्रभाव लोगों पर नहीं पड़ा है. उनकी रैलियों में भीड़ हो रही थी, लेकिन उसका कोई असर सीटों पर नहीं दिख रहा है. एक बार फिर नीतीश कुमार का जादू बिहार की जनता पर चल गया है. ऐसे में यह कहना गलत नहीं है कि बिहार में नीतीश कुमार केंद्र में सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहे हैं. हालांकि, यह भी चर्चा है कि नीतीश कुमार ने अगर पाला बदल लिया तो विपक्षी गठबंधन को केंद्र में सरकार बनाने का मौका मिल सकता है. अभी विपक्षी गठबंधन बहुमत से काफी दूर है. लेकिन चर्चा है कि INDIA गठबंधन के नेता अब दूसरी पार्टियों से संपर्क कर सकते हैं औऱ उन्हें गठबंधन का साथ देने के लिए मनाने का प्रयास कर सकते हैं. जिनमें एक नीतीश कुमार भी हो सकते हैं.
सीपीआई (एमएल) लिबरेशन, जिसने केवल तीन सीटों पर चुनाव लड़ा था, इनमें से दो, आरा और काराकाट में आगे चल रही है. आरा में केंद्रीय मंत्री और दो बार के भाजपा सांसद आरके सिंह पीछे चल रहे हैं, जबकि काराकाट में भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह तीसरे स्थान पर हैं. उनकी रैलियों में भी उमड़ रही भीड़ काम नहीं आई. कांग्रेस सासाराम सीट पर आगे चल रही है, लेकिन किशनगंज में जेडीयू से पीछे है, जो पांच साल पहले बिहार की एकमात्र सीट थी जहां उसने जीत हासिल की थी.
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