तीसरे कार्यकाल की तरफ बढ़ रहे हैं पीएम मोदी, इकोनॉमिस्‍ट ने बताया 3 वजहों से बढ़ती जा रही है लोकप्रियता 

तीसरे कार्यकाल की तरफ बढ़ रहे हैं पीएम मोदी, इकोनॉमिस्‍ट ने बताया 3 वजहों से बढ़ती जा रही है लोकप्रियता 

ब्रिटेन की वीकली मैगजीन द इकोनॉमिस्ट ने कहा है कि आमतौर पर दुनिया में एलीट क्‍लास के लोग लोकलुभावन नेताओं को नापसंद कर सकते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शिक्षित मतदाताओं के बीच समर्थन बढ़ता दिख रहा है. इकोनॉमिस्‍ट ने इसके साथ ही अपने आर्टिकल में उन वजहों को भी गिनाया है जो पीएम मोदी को तीसरे कार्यकाल की तरफ से लेकर जा रही हैं.

Advertisement
 तीसरे कार्यकाल की तरफ बढ़ रहे हैं पीएम मोदी, इकोनॉमिस्‍ट ने बताया 3 वजहों से बढ़ती जा रही है लोकप्रियता ब्रिटिश मैगजीन ने बताया क्‍यों पॉपुलर हैं पीएम मोदी

ब्रिटेन की वीकली मैगजीन द इकोनॉमिस्ट ने कहा है कि आमतौर पर दुनिया में एलीट क्‍लास के लोग लोकलुभावन नेताओं को नापसंद कर सकते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शिक्षित मतदाताओं के बीच समर्थन बढ़ता दिख रहा है. इकोनॉमिस्‍ट ने इसके साथ ही अपने आर्टिकल में उन वजहों को भी गिनाया है जो पीएम मोदी को तीसरे कार्यकाल की तरफ से लेकर जा रही हैं. भारत में 19 अप्रैल से 18वीं लोकसभा के लिए चुनावों का आगाज होगा और चार जून को नतीजों के साथ ये चुनाव अपने अंजाम पर पहुंचेंगे. इकोनॉमिस्‍ट ने इस आर्टिकल में अमेरिका के पूर्व राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप और यूके के पूर्व पीएम का उदाहरण देकर बताया है कि पीएम मोदी क्‍यों अलग साबित हो सकते हैं. 

तीन वजहों से मजबूत हुए मोदी 

इकोनॉमिस्‍ट ने, 'Why India's Elites Back Modi'के टाइटल के साथ एक आर्टिकल लिखा है. इस आर्टिकल में तीन वजहों क्‍लास पॉलिटिक्‍स, अर्थशास्त्र, और ताकतवर शासन के लिए अभिजात वर्ग की प्रशंसा - यह समझाने में मदद करते हैं कि ऐसा क्यों है. इकोनॉमिस्‍ट ने इसे 'मोदी विरोधाभास' कहते हुए लिखा है कि भारत के प्रधानमंत्री को अक्सर डोनाल्ड ट्रंप जैसे दक्षिणपंथी लोकलुभावन लोगों के साथ जोड़ा जाता है. लेकिन मोदी, जिनके तीसरी बार जीतने की उम्मीद है, कोई साधारण मजबूत व्यक्ति नहीं हैं. ज्यादातर जगहों पर, ट्रंप जैसे सत्ता-विरोधी लोकलुभावन लोगों के लिए समर्थन और ब्रेक्सिट जैसी नीतियों का यूनिवर्सिटी शिक्षा के साथ विपरीत संबंध होता है. लेकिन भारत में ऐसा नहीं है. इसे ही 'मोदी विरोधाभास' कहा गया है. 

यह भी पढ़ें-सनी देओल की यह गलती पड़ गई उन पर भारी, कट गया लोकसभा का टिकट 

शिक्षित मतदाताओं में बढ़ी लोकप्रियता 

इससे यह समझाने में मदद मिलती है कि आज मोदी सबसे लोकप्रिय नेता क्यों हैं. आर्टिकल में गैलप सर्वे का हवाला दिया गया है. इसमें कहा गया है कि अमेरिका में यूनिवर्सिटी शिक्षा वाले केवल 26 फीसदी रेस्‍पॉन्‍डेंट्स ने ट्रंप को मंजूरी दी, जबकि बिना शिक्षा वाले 50 प्रतिशत ने इस प्रवृत्ति को पूरी तरह खारिज कर दिया. प्यू रिसर्च सर्वे का हवाला देते हुए, इसमें कहा गया है कि साल 2017 में, 66 प्रतिशत भारतीयों ने, जिनके पास प्राथमिक विद्यालय से अधिक शिक्षा नहीं थी, कहा कि उनके पास मोदी के बारे में 'बहुत अनुकूल' दृष्टिकोण था. लेकिन आज भारतीयों के बीच यह आंकड़ा बढ़कर 80 फीसदी हो गया है. 

यह भी पढ़ें- कौन हैं अजित पवार की पत्‍नी सुनेत्रा, बारामती में देंगी ननद सुप्रिया सुले को टक्‍कर 

लोअर क्‍लास में भी मजबूत मोदी 

साल 2019 के आम चुनाव के बाद, एक पब्लिस पॉलिसी सर्वे में पाया गया कि डिग्री वाले करीब 42 प्रतिशत भारतीयों ने मोदी की भारतीय जनता पार्टी का समर्थन किया, जबकि केवल प्राथमिक-स्कूल शिक्षा वाले करीब 35 प्रतिशत लोगों ने ऐसा किया. साथ ही, द इकोनॉमिस्ट ने कहा, सुशिक्षित लोगों के बीच मोदी की सफलता बाकी समूहों के बीच समर्थन की कीमत पर नहीं आती है. सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के राजनीतिक वैज्ञानिक नीलांजन सरकार के हवाले से कहा गया है कि बाकी लोकलुभावन नेताओं की तरह, उनकी सबसे बड़ी पैठ लोअर क्‍लास के वोटर्स के बीच बनी है. हालांकि उनके समर्थन का पैटर्न अन्य देशों की तरह ही है, जहां कम-शिक्षित या ग्रामीण लोग सही दिशा में चले गए हैं. विदेश में अपने कई समकक्षों के विपरीत, मोदी शिक्षितों के बीच भी अपना समर्थन बढ़ाने में सक्षम हैं, ऐसा कहा जा सकता है. 

क्‍यों जरूरी हैं पीएम मोदी 

अर्थशास्त्र को एक प्रमुख कारक के रूप में बताते हुए आर्टिकल में कहा गया है कि भारत की मजबूत जीडीपी वृद्धि, असमान रूप से वितरित होने के बावजूद, भारतीय उच्च-मध्यम वर्ग के आकार और धन में तेजी से वृद्धि कर रही है. इसमें कहा गया है कि साल 2000 के दशक की शुरुआत में कांग्रेस पार्टी को उच्च-मध्यम वर्ग के बीच मजबूत समर्थन प्राप्त था और 2010 के दशक में मंदी और भ्रष्टाचार घोटालों की एक श्रृंखला ने चीजों को बदल दिया. आर्टिकल के मुताबिक, 'लेकिन मोदी के कार्यकाल ने दुनिया में भारत की आर्थिक और भू-राजनीतिक स्थिति को भी मजबूत किया है. साथ ही, कुछ लोग ऐसा सोचते हैं कि मजबूत शासन की एक खुराक की वास्तव में भारत को जरूरत है. उनका इशारा चीन और पूर्वी एशियाई देशों की तरफ था. उनके अनुभव से उनका मानना है कि मजबूत शासन आर्थिक विकास की बाधाओं को दूर कर सकता है. 

यह भी पढ़ें-पहले इंजीनियर फिर एक्‍टर और अब बनेंगे राजनेता, बीजेपी के उम्‍मीदवार अरुण गोविल को कितना जानते हैं आप  

राहुल गांधी ने गंवाया भरोसा 

इस बात पर कि मोदी के एलीट फैंस के बीच दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी का कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है. वो यह नहीं मानते हैं कि गिरफ्तारी से उन्‍हें नुकसान पहुंचा है. अधिकांश अभिजात वर्ग के लोग अभी भी कहते हैं कि उन्‍हें लोकतंत्र में विश्वास करते हैं. आर्टिकल में आगे कहा गया है कि एलीट क्‍लास को लगता है कि मोदी के लिए उनका समर्थन तब तक जारी रहेगा जब तक कोई विश्वसनीय विकल्प सामने नहीं आता. अधिकांश संभ्रांत लोगों ने कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी पर भरोसा खो दिया है, जिन्हें वंशवादी और संपर्क से बाहर माना जाता है. 

फिलहाल कोई विकल्‍प नहीं 

आर्टिकल में कांग्रेस के एक अनाम वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि मोदी ने कल्याणकारी भुगतानों को डिजिटल रूप से डिस्‍ट्रीब्‍यूट करने जैसे 'उनके सर्वोत्तम विचारों को अपनाया है' और उनकी पार्टी की तुलना में 'उन्हें बेहतर ढंग से क्रियान्वित' किया है. इस आर्टिकल में निष्‍कर्ष निकला है कि एक मजबूत विपक्ष शायद एकमात्र ऐसी चीज है जो भारत के एलीट वर्ग को मोदी को छोड़ने के लिए प्रेरित कर सकेगी. लेकिन फिलहाल, ऐसा कहीं नहीं दिख रहा है.  

 

POST A COMMENT