केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश तेजी से आगे बढ़ रहा है. भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. चौहान ने कहा कि विकसित भारत के लिए विकसित कृषि और समृद्ध किसान जरूरी है और इस दिशा में प्रधानमंत्री के नेतृत्व में कृषि क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाने, लागत घटाने, उपज के नुकसान की भरपाई करने, उत्पादन के ठीक दाम देने और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का काम हो रहा है.
प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह के निर्देशन में हाल ही में देशभर में चलाए गए विकसित कृषि संकल्प अभियान में सामने आए विषयों के तहत, उन्होंने कहा कि उपजवार और राज्यवार प्रमुख फसलों के विकास के उद्देश्य से रणनीति बनाई है. इसी के अंतर्गत आज सबसे पहले इंदौर में सोयाबीन का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए आयोजित वृहद संवाद के मौके पर मीडिया से चर्चा में शिवराज सिंह ने कहा कि देश में पिछले 11 साल में 44% खाद्यान्न उत्पादन बढ़ा है. उन्होंने बताया कि हमारे पास 16 हजार कृषि वैज्ञानिक हैं. ये शोध करते हैं, उन्नत क्वालिटी के बीज तैयार करते हैं लेकिन एक गैप थी, लैब में बैठे वैज्ञानिक और लैंड पर काम कर रहे किसान कभी मिलते नहीं थे. ऐसे में यह तय किया गया कि लैब-टू-लैंड एक कर दिया जाएं तो खेती में और तेजी से उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं. इसी भाव से विकसित कृषि संकल्प अभियान चला, जिसमें कई तरह की चीजें सामने आई.
2170 टीमें गांव-गांव गईं और 1.35 करोड़ से ज्यादा किसानों से मिली. इस दौरान यह बात सामने आईं कि कई विषय ऐसे हैं, जिन पर शोध की जरूरत है. गन्ना किसान ने कहा कि हमारे यहां लाल सड़न बीमारी लगती है, वहीं सोयाबीन की उत्पादकता स्थिर है. जीएम सीड हम इस्तेमाल नहीं करते. ऐसे में उत्पादकता बढ़ाने की जरूरत है, लागत घटाने की जरूरत है और वैल्यू एडीशन की जरूरत है.
शिवराज सिंह ने कहा कि पहले शोध वैज्ञानिक करते थे, लेकिन अब शोध के मुद्दे दिल्ली में नहीं, बल्कि खेत में किसान से बात करके तय होंगे. किसान से बेहतर जानकारी कोई नहीं दे पाएगा. किसानों ने कई इनोवेशन किए हैं, उन्हें कैसे बेहतर किया जा सकता है, इस पर वैज्ञानिक काम करेंगे. चौहान ने बताया कि अभियान के दौरान कई किसानों ने अमानक बीज, पेस्टिसाइड का भी उल्लेख किया, बीजों की उपलब्धता जैसी समस्या आईं. हमने विस्तृत वर्कशॉप की है, जिसमें तय हुआ कि हम किसानों, एग्री यूनिवर्सिटी, स्टैकहोल्डर्स आदि से पूरी चर्चा करेंगे. इसी के तहत, आज हम इंदौर में राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान में आए हैं, देश के टॉप वैज्ञानिक यहां हैं, उच्चाधिकारी भी हैं. हम 4 राज्य कवर कर रहे हैं.
कृषि मंत्री ने कहा कि हमने FPOs को बुलाया, किसानों और एनजीओ को भी बुलाया है, इन सबसे संवाद करके सोयाबीन संबंधी समस्या का समाधान हम करेंगे. शिवराज सिंह ने कहा कि प्रति हेक्टेयर उत्पादकता कैसे बढ़े, इस पर और रिसर्च होगी. जीनोम एडिटिंग से हम उन्नत बीजों का निर्माण करें, सोयाबीन की जड़ें न सड़ें, इसके लिए नई तकनीक से सोयाबीन लगाएं, ऐसी कई चीजें हैं. उन्होंने कहा कि आजकल खेतिहर मजदूर नहीं मिलते हैं, इसके लिए मैकेनाईजेशन को बढ़ावा देना पड़ेगा. बीमारियों से मुकाबला करने वाली किस्मों पर रिसर्च, बीजों का उपचार और बीमारियों को समय पर पहचान लें, इस पर काम करना है.
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि सोयाबीन प्रोटीन का बड़ा जरिया है. सोया खली का कैसे बेहतर उपयोग कैसे हो, एक्सपोर्ट कैसे हो. वैल्यू एडीशन जैसे टोफू, सोया मिल्क जैसे चीजें भी कर सकते हैं. प्रगतिशील किसानों ने बताया कि 20 क्विंटल प्रति एकड़ सोयाबीन उत्पादन किया है, उन्होंने पद्धति भी बताई, ऐसे किसानों से सीखने का प्रयास करेंगे. चौहान ने कहा कि अभी हम सोयाबीन के विषय पर संवाद कर रहे हैं, इसके बाद कपास पर कोयंबटूर में सभी से चर्चा करेंगे और फिर मेरठ में गन्ने पर और इसके बाद दलहन पर कानपुर में वृहद संवाद किया जाएगा.
शिवराज सिंह ने कहा कि जितनी भी बड़ी फसलें हैं, उनमें उत्पादन ठीक हो, इसके लिए ये एक्सरसाइज चल रही है. हमारा मंत्र है एक राष्ट्र- एक कृषि- एक टीम, समग्र कृषि के विकास के लिए सब एक दिशा में मिलकर पूरी ताकत से काम करें. आज यहां पूरी टीम है, नई कार्य संस्कृति का निर्माण हो रहा है. उन्होंने विश्वास जताया- सोयाबीन की समस्याओं का समाधान निकेलगा.
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