यूपी में गन्ना किसानों को पेराई सत्र के दौरान अपनी उपज को चीनी मिलाें में बेचने में कोई परेशानी न हो, इसके लिए सर्वेक्षण कराकर किसानों को खेत की गाटा संख्या के मुताबिक पर्ची वितरित कर दी जाती है. पर्ची में दर्ज समय पर किसान अपनी उपज को निकटतम चीनी मिल में पहुंचा सकते हैं. इस लिहाज से हर पेराई सत्र से पहले होने वाला गन्ना सर्वेक्षण किसानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है. सर्वेक्षण के लिए चीनी मिलों की टीम गन्ना किसानों के खेत पर जाकर उपज का सर्वे करती हैं. सरकार की सर्वेक्षण नीति के तहत शुद्धता एवं पारदर्शिता के मद्देनजर, किसी भी गांव में सर्वे टीम के पहुंचने से पहले, इसकी सूचना संबंधित मिल द्वारा किसानों को दी जाएगी.
यूपी के गन्ना एवं चीनी आयुक्त डॉ भूसरेड्डी ने बताया कि पेराई सत्र 2023-24 के लिए गन्ना सर्वेक्षण का काम आगामी 15 अप्रैल से शुरू किया जायेगा. उन्होंने बताया कि गन्ना उत्पादन के सही आंकलन के लिये बोए गए गन्ना के क्षेत्र का सही सर्वेक्षण करना बेहद जरूरी है. यह काम तत्परता एवं पारदर्शिता से करते हुए पूरी तरह से त्रुटिरहित होना अनिवार्य है. उन्होंने कहा कि गन्ना किसानों की सक्रिय सहभागिता से ही त्रुटिरहित एवं पारदर्शी सर्वेक्षण कर पाना संभव है.
ये भी पढ़ें: यूपी के गांवों में 5 लाख से अधिक महिलाएं बनेंगी 'जल प्रहरी', सिखाएंगी पानी बचाने के गुर
उन्होंने गन्ना किसानों और विभाग के बीच सेतु की भूमिका निभाने वाले राजकीय गन्ना सुपरवाईजरों को भी निर्देश दिये हैं कि सर्वे टीम के इंचार्ज के रूप में वे यह सुनिश्चित करें कि त्रुटिरहित गन्ना सर्वे का काम सर्वेक्षण नीति के प्रावधानों के अनुरूप पूरी तत्परता, पारदर्शिता एवं गन्ना किसानों की सहभागिता से पूरा हो. उन्होंने बताया कि गन्ना सर्वेक्षण का काम चीनी मिल और विभाग की संयुक्त टीम के माध्यम से कराया जायेगा. इस टीम में राजकीय गन्ना पर्यवेक्षक, चीनी मिल कार्मिक तथा संबंधित गन्ना किसान की भी उपस्थिति अनिवार्य होगी.
डॉ भूसरेड्डी ने बताया कि 15 अप्रैल से शुरू हो रहे गन्ना सर्वे के लिये गांवों में जाने वाली सर्वे टीम की सूचना किसानों को पहले से दे दी जाएगी. जिससे सभी किसान सर्वे के समय खेत में मौजूद रहें. किसानों को दी जाने वाली सूचना में सर्वे की तारीख और सर्वे कर्ता का नाम आदि जानकारियां, किसानों को मोबाइल फोन पर एसएमएस से दे दी जाएगी. इसके लिए चीनी मिलों को जरूरी दिशा निर्देश दे दिये गये हैं. जिससे सर्वे के समय खेतों पर किसानों की अनिवार्य मौजूदगी सुनिश्चित हो सके.
उन्होंने कहा कि गन्ना सर्वे की स्लिप खेत पर उपस्थित गन्ना किसानों को प्रदान की जायेगी. साथ ही सर्वे के दौरान प्रशिक्षण एवं अन्य कार्यक्रमों में कोविड-19 के खतरे को देखते हुए सोशल डिस्टेन्सिंग एवं सेनेटाइजेशन आदि के संबंध में जारी दिशा निर्देशों का पालन करना अनिवार्य होगा.
ये भी पढ़ें, योगी सरकार एक भी किसान काे नहीं होने देगी मौसम की मार का नुकसान : शाही
डॉ भूसरेड्डी ने बताया कि इस बार गन्ना सर्वेक्षण का काम गाटा के अनुसार किया जायेगा. इसके मद्देनजर उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे सर्वे के समय अपने खेत पर रहकर गाटा संख्या के अनुसार गन्ना सर्वे करा लें. जिस किसान का गाटा में गन्ना दर्ज नहीं होगा, उसकी उपज बिक्री की पर्ची नहीं बन पाएगी और मिल को उसकी उपज की सप्लाई नहीं हो पाएगी.
उन्होंने भीषण गर्मी के कारण दोपहर के समय सर्वे करने से बचने का निर्देश देते हुए कहा कि सर्वे टीम द्वारा सर्वे का काम सुबह जल्दी शुरू कर दिया जाए, जिससे दोपहर के समय किसानों को गर्मी में खेत पर न रहना पड़े. उन्होंने सभी चीनी मिलों को भी निर्देश दिये हैं कि सर्वे कार्मिकों को पानी की बोतल, टोपी, गमछा आदि जरूरी सामान उपलब्ध कराएं.
गन्ना किसानों को सर्वे से पहले बोए गए रकबे की जानकारी घोषणा पत्र के रूप में विभाग को देनी होती है. डाॅ भूसरेड्डी ने बताया कि इस साल गन्ना किसानों को उनके बोये गए क्षेत्रफल के संबंध में घोषणा पत्र ऑनलाइन जमा करने की भी सुविधा दी गई है. इसके लिए गन्ना किसान विभाग की वेबसाइट enquiry.caneup.in पर अपना घोषणा पत्र ऑनलाइन अपलोड कर सकते हैं. किसान द्वारा घोषणा पत्र में दर्ज सूचनाओं का सत्यापन सर्वेक्षण के समय किया जाएगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि जो किसान ऑनलाइन घोषणा पत्र जमा नहीं करेंगे, इस पेराई सत्र में विभाग द्वारा उनका सट्टा कभी भी बंद किया जा सकता है.
ये भी पढ़ें, कम जमीन में उगाएं कई फसल, मुनाफा होगा डबल
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today