UP Farmers News: सीएसआईआर-केंद्रीय औषधीय एवं संगध पौधा संस्थान ने राजधानी लखनऊ में 25वां राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाया गया. सीएसआईआर-सीमैप के निदेशक डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने कहा कि हम किसान की आय बढ़ाने के लिए मिलकर काम करें. सीएसआईआर-सीसीएमबी के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. हितेंद्र पटेल ने सांभा मंसूरी चावल की उन्नत किस्म के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की, और बताया कि यह प्रजाति बैक्टीरियल ब्लाइट रोग के लिए प्रतिरोधी है और साथ ही साथ इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी काफी कम है, जो कि मधुमेह के मरीजों के लिए फायदेमंद है. आज इस प्रजाति को उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, झारखंड, तेलंगाना जैसे विभिन्न राज्यों में 1.5 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि मे इसकी खेती की जा रही है.
इन किस्मों में जैविक और अजैविक तनाव के प्रति प्रतिरोध जैसे गुण होते हैं, तथा साथ ही साथ उत्पादन भी काफी ज्यादा मिलता है और इन्हें कम मात्रा में उर्वरक की आवश्यकता होती है. सीएसआईआर-सीसीएमबी द्वारा विकसित चावल की उन्नत सांभा मंसूरी प्रजाति के बीजों को बाराबंकी, सीतापुर, प्रतापगढ़, दिल्ली से आए किसानों को वितरित किए गए. डॉ. हितेंद्र पटेल बताते हैं कि सीएआईआर के एक प्रोजेक्ट के तहत हमने यूपी के करीब 500-600 किसानों को उन्नत सांभा मंसूरी किस्म का बीज दिया है.
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उन्नत सांभा मंसूरी का विकास मार्कर-अस्सिस्टेड सिलेक्शन द्वारा किया गया है और यह ट्रांसजेनिक नहीं है. उन्होंने ये किस्म न ही जीएम है और ना ही हाईब्रिड (संकर) इसलिए आगे भी किसान इस धान को बीज की तरह आसानी से इस्तेमाल कर रहे हैं. बैक्टीरियल ब्लाइस्ट वो रोग है, जिसमें धान की पत्तियां पीली पड़ जाती हैं, जिससे 50 फीसदी तक उत्पादन कम हो जाता है.
इस रोग का कोई इलाज नहीं है. वैज्ञानिकों ने एक जंगली किस्म के धान के डीएनए को म्यूटेशन के द्वारा साम्बा महसूरी की उन्नत किस्म में स्थानरित कर इसे विकसित किया है. वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. हितेंद्र पटेल ने बताया कि उन्नत साम्बा महसूरी बैक्ट्रीरियल ब्लाइट प्रतिरोधी धान की इस किस्म को विकसित किया है. उन्नत साम्बा महसूरी किस्म में ग्लासेनिक इंडेक्स (जीआई) 55 फीसदी कम होने के ये किस्म मधुमेह के मरीजों के लिए भी मुफीद है, साथ ही महसूरी की यह किस्म प्रगतिशील किसानों की आय बढाने में काफी मददगार साबित होगी.
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