किसानों की आय बढ़ाने की कोशिशों में जुटी सरकार ने कृषि उपज का बेहतर दाम दिलाने के लिए Processing & Marketing को हथियार बनाया है. इससे किसान, उत्पादक के साथ कारोबारी भी बन सके. किसानों को फूड प्रोसेसिंग की ओर प्रोत्साहित करने के लिए यूपी में योगी सरकार ने हाल ही में खाद्य प्रसंस्करण नीति 2023 लागू कर दी है. इस नीति के तहत फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने से लेकर कृषि उत्पादों को घरेलू और विदेशी उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के लिए तमाम तरह की वित्तीय मदद दी जा रही है. किसानों एवं उद्यमियों को इन सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए अब बैंक और सरकारी विभागों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. सरकार ने इसके लिए Single Window System के तौर पर 'निवेश मित्र' एप के जरिए इस नीति में प्रावधानित सहूलियतों का लाभ उठाने का विकल्प मुहैया करा दिया है. यूपी के उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने बताया कि देश विदेश के उपभोक्ता एवं कारोबारी अब यूपी के किसानों से सीधे संपर्क कर उनके उत्पाद ले सकेंगे. उन्होंने बताया कि दो दिन पहले मुंबई में आयोजित 'बायर सेलर मीट' में यूपी के किसानों ने अपने आम तमाम देशों को निर्यात किए. इसी तरह हाल ही में यूपी के आलू किसानों ने आगरा में आयोजित हुई बायर सेलर मीट के जरिए बतौर निर्यातक अपनी उपज की भरपूर कीमत पाकर लाभ कमाया.
यूपी सरकार की खाद्य प्रसंस्करण नीति के तहत किसानों को फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने पर अनुदान तो मिलता ही है, साथ ही बैंक से लोन दिलाने में तकनीकी मदद के अलावा बैंक लोन पर लगने वाले ब्याज में भी छूट मिलती है. कृषि उत्पादों को उपभोक्ताओं तक पहुंचाने में परिवहन खर्च पर भी कुल लागत का 25 प्रतिशत अनुदान मिलता है.
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इसके अलावा प्रमुख प्रोत्साहन लाभ के तहत यूनिट लगाने के लिए जमीन के गैर कृषि उपयोग की अनुमति लेने पर 2 प्रतिशत शुल्क में छूट मिल रही है, वहीं, सरकारी जमीन के विनिमय पर सर्किल रेट में 25 प्रतिशत की छूट देने की सुविधा दी जा रही है. इतना ही नहीं, बाहरी विकास शुल्क पर 75 प्रतिशत छूट, जमीन खरीदने पर स्टांप शुल्क की प्रतिपूर्ति, प्रदेश में प्रसंस्करण के लिए खरीदे गए कच्चे माल पर मंडी शुल्क एवं उपकार में छूट, प्रसंस्करण इकाइयों द्वारा किसानों से सीधे खरीदे गए कृषि उत्पाद पर मंडी शुल्क और उपकर शुल्क में छूट दी जा रही है.
योगी सरकार की इन सभी रियासतों का फायदा एक ही जगह से उठाने के लिए किसानों और उद्यमियों के लिए बनाया गया निवेश पोर्टल ( http://niveshmitra.up.nic.in ) शुरू कर दिया है. इच्छुक लाभार्थी इस पोर्टल पर आवेदन कर सिंगल विंडो सिस्टम से इन रियायतों का लाभ उठा सकते हैं.
योगी सरकार ने नई खाद्य प्रसंस्करण इकाई लगाने के लिए तकनीकी सिविल काम और प्लांट मशीनरी की लागत पर 35 प्रतिशत या अधिकतम 5 करोड़ रुपये का अनुदान देने की पहल की है. इसके अलावा पुरानी यूनिट को बड़ा एवं आधुनिक बनाने के लिए तकनीकी सिविल कार्य और प्लांट मशीनरी की लागत का 35 प्रतिशत या अधिकतम 1 करोड़ रुपये का अनुदान दिया जा रहा है. वहीं 'इंटीग्रेटिड कोल्ड चेन' एवं 'वैल्यू एडिशन इंफ्रास्ट्रक्चर यूनिट के तहत प्राथमिक उपकरण, प्लांट मशीनरी एवं 50 फ्रोजन इरेडिएशन यूनिट लगाने के लिए 35 प्रतिशत या अधिकतम 10 करोड़ रुपये का अनुदान मिल रहा है.
सिंह ने कहा कि सरकार ने समूह में भी निवेश करने वालों को अनुदान देने का फैसला किया है. इसके तहत समूह में 5 प्रसंस्करण यूनिट लगाने पर न्यूनतम निवेश 25 करोड़ का 35 प्रतिशत या अधिकतम 10 करोड़ रुपये का अनुदान मिलेगा. इसके अलावा बैकवर्ड और फारवर्ड लिंकेज के तहत फार्म गेट पर प्राथमिक संस्करण केंद्र, संग्रह केंद्र, कोल्ड स्टोरेज, ड्राई वेयरहाउस, मोबाइल प्री कूलिंग यूनिट, रेफर ट्रक, आईक्यूएफ की सुविधा, वितरण केंद्र और खुदरा आउटलेट बनाने पर भी लागत का 35 प्रतिशत या अधिकतम 5 करोड़ रुपये का अनुदान दिया जा रहा है. कृषि संवर्धन श्रृंखला विकास अध्ययन के लिए भी अधिकतम 5 करोड़ रुपये और विकेंद्रीकृत खरीद भंडारण एवं प्रसंस्करण के निर्माण पर परियोजना लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 50 लाख रुपये का अनुदान दिया जा रहा है.
खाद्य प्रसंस्करण मंत्री सिंह ने कहा इस साल नई नीति लागू होने के बाद अब किसानों एवं उद्यमियों को ढांचागत सुविधाएं जुटाने, अनुदान एवं ऋण आदि पर सरकारी सहूलियतों का लाभ मिलना प्रारंभ हो गया है. उन्होंने कहा कि यूपी के बागवानी किसानों के आम का निर्यात करने के लिए मुंबई में हुई 'बायर सेलर मीट' इसका ताजा उदाहरण है. उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप आम की खरीद करने के इच्छुक कारोबारी और निर्यातक अब आम उत्पादन किसानों से सीधे सम्पर्क कर उनकी उपज को खरीद सकते हैं.
मुंबई से यूपी के दशहरी, चौसा, लगड़ा आदि किस्म के आम महाराष्ट्र और दक्षिणी राज्यों के अलावा यूरोप और खाड़ी देशों में निर्यात के लिए खरीदे गए हैं. यूपी में लखनऊ, सहारनपुर एवं मेरठ मंडल आम के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र हैं. सरकार इन क्षेत्रों में उपजाए जा रहे एक्सपोर्ट क्वालिटी के आम को हर हाल में निर्यात करने के लिए प्रतिबद्ध है. जिससे किसानों को इसकी अधिकतम कीमत मिल सके.
उन्होंने ट्रेडर्स और निर्यातकों को आश्वस्त किया कि वे यूपी के आम की खरीद सीधे किसानों कर सकते है. इसमें उन्हें राज्य औद्यानिक सहकारी विपणन संघ (हाफेड) और राज्य कृषि उत्पादन मण्डी परिषद की तरफ से हर संभव मदद दी जा रही है. मण्डी परिषद के निदेशक अंजनी कुमार सिंह ने बताया कि यूपी की मंडियों में कृषि उत्पादों की खरीद के लिए सभी जरूरी संसाधन मुहैया कराए गए हैं. साथ ही लखनऊ के मलिहाबाद क्षेत्र में तथा सहारनपुर में पैक हाउस भी कार्यरत है, जहां आम की ग्रेडिंग, पैकिंग आदि की सुविधाएं उपलब्ध है.
हाफेड के प्रबन्ध निदेशक अंजनी कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि हाफेड द्वारा यूपी से आम की मार्केटिंग और एक्सपोर्ट को बढ़ाने के लिए हर साल मुम्बई, बेंगलुरु एवं हैदराबाद में किसानों के साथ आम की प्रदर्शनी लगाकर बड़े खरीददारों के साथ किसानों को सीधे जोड़ा जा रहा है.
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गौरतलब है कि भारत में आम का कुल उत्पादन 279.25 लाख टन है. इसका लगभग 23 प्रतिशत यानी 48.07 लाख टन आम का उत्पादन यूपी में होता है. हाफेड की ओर से बताया गया कि बायर सेलर मीट में जिन देशों ने यूपी से आम खरीदने की रुचि दिखाई है उनमें, यूएई से 1000 टन आम की खरीद का ऑर्डर मिल चुका है. इसके अलावा जापान, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड को भी यूपी के आम का निर्यात करने की तैयारियां पूरी हो गई है. कई अन्य देशों में निर्यात की लगातार बढ़ती संभावनाओं को देखते हुए यूपी में मैंगो पैक हाउस की संख्या भी बढ़ाई जाएगी.
अभी अमरोहा, सहारनपुर और लखनऊ में स्थित मैंगो पैक हाउस की क्षमता सबसे ज्यादा है. इस साल आम के निर्यात को लेकर सरकार को काफी उम्मीदें हैं. इसके मद्देनजर जून और जुलाई में आम का निर्यात शुरू हो जाएगा. इसके साथ ही आम की पैकिंग एवं स्टोरेज क्षमता में इजाफा करने के विकल्पों को भी लागू किया जाएगा. यूपी से साल 2020-21 में 104 टन आम का निर्यात हुआ था, यह 2021-22 में बढ़ कर 4122 टन और 2022-23 में 527 मीट्रिक टन हो गया.
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