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मिर्च की कीमत में भारी गिरावट, एक हफ्ते में 1000 रुपये सस्ता हो गया रेट, किसानों ने किया सड़क जाम

मिर्च की कीमत में भारी गिरावट, एक हफ्ते में 1000 रुपये सस्ता हो गया रेट, किसानों ने किया सड़क जाम

कृषि विपणन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पिछले साल की तुलना में मिर्च की कीमतों में सुधार हुआ है. अब, मुंडू मिर्च की कीमत 170-250 रुपये प्रति किलोग्राम है. हालांकि, किसानों ने एट्टीवायल में खुले बाजारों का विकल्प चुना है, जहां कीमतें गुणवत्ता के अनुसार बदलती रहती हैं. अधिकारी ने कहा कि कीमतें सोमवार को कम बोली गईं, जिसके कारण विरोध हुआ. 

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तमिलनाडु में सस्ती हो गई मिर्च. (सांकेतिक फोटो) तमिलनाडु में सस्ती हो गई मिर्च. (सांकेतिक फोटो)

तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में मिर्च की गिरती कीमत से किसान परेशान हो गए हैं. ऐसे में नाराज किसानों ने मदुरै-रामनाथपुरम राष्ट्रीय राजमार्ग पर विरोध-प्रदर्शन किया. इससे एक घंटे से अधिक समय के लिए यातायात बाधित रहा. प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा है कि स्थानीय व्यापारियों ने बाजार में मिर्च की कीमतें कम करने के लिए एक 'सिंडिकेट' बनाया है, जिससे हमें बड़े पैमाने पर नुकसान उठाना पड़ रहा है. हालांकि, नाराज किसानों ने बाद में पुलिस और कृषि अधिकारियों द्वारा आवश्यक कार्रवाई का आश्वासन देने के बाद अपना प्रदर्शन वापस ले लिया.

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, रामनाथपुरम जिले में बागवानी फसलों में सबसे अधिक मिर्च की खेती की जाती है. यहां पर मिर्च का रकबा 15,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर फैला हुआ है, जिसमें सांबा और मुंडू  व्यापक रूप से खेती की जाने वाली किस्में हैं. हालांकि मुंडू मिर्च को हाल ही में जीआई टैग भी मिला है. लेकिन गिरती कीमतें मिर्च किसानों के लिए चिंता का विषय बन गया है. यही वजह है कि किसानों ने सोमवार दोपहर को उथिराकोसमंगई के एट्टीवायल में विरोध प्रदर्शन किया.

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मिर्च की कीमत में भारी गिरावट

किसानों का कहना है कि खेती पर हजारों रुपये खर्च करने के बावजूद, हमें अपनी मुंडू मिर्च की अच्छी कीमत नहीं मिल पा रही है. पिछले हफ्ते नीलामी में 10 किलो मिर्च के एक बैग के लिए कीमतें 2,700 रुपये के करीब थीं. हालांकि, सोमवार को कीमतें घटकर 1,100 - 1,700 रुपये प्रति बैग हो गईं. यानी कीमत में करीब 1000 रुपये की गिरावट आई है. हमें मिर्च की कटाई और बाजार तक परिवहन के लिए श्रमिकों पर लगभग 400 रुपये खर्च करने पड़ते हैं. साथ ही रसद के लिए और मध्यस्थों के लिए कमीशन के रूप में प्रति बैग 20 रुपये खर्च करने पड़ते हैं. लेकिन गिरती कीमतों और खर्चों के कारण, हममें से कई लोगों को भारी नुकसान हो रहा है. 

प्रति एकड़ 60000 रुपये का आता है खर्च

टीएनआईई से बात करते हुए, टीएन वैगई इरिगेशन फार्मर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एमएसके बक्कीनाथन ने कहा कि हालांकि रामनाथपुरम मुंडू को जीआई टैग प्राप्त हुआ है, लेकिन किसानों को अभी भी उनकी फसलों के लिए उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है. सरकार को मिर्च के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करना चाहिए, ताकि किसानों को फसल के बाद होने वाले नुकसान से बचाया जा सके. उन्हें औसतन पांच टन उपज प्राप्त करने के लिए प्रति एकड़ 50,000-60,000 रुपये खर्च करने पड़ते हैं. लेकिन कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण उन्हें नुकसान झेलना पड़ता है, इसलिए किसानों की सहायता के लिए सरकारी हस्तक्षेप की आवश्यकता है.

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क्या कहते हैं अधिकारी

कृषि विपणन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि स्थानीय व्यापारियों ने मंगलवार को होने वाली नीलामी में बेहतर कीमतें देने का आश्वासन दिया है और किसानों को खुले बाजार के बजाय विनियमित बाजार का विकल्प चुनने की सलाह दी है, जहां वे ई-के माध्यम से अपने उत्पाद बेच सकते हैं. अधिकारी ने कहा कि वे अपनी फसल को स्टोर करने के लिए भंडारण सुविधाओं का भी उपयोग कर सकते हैं.