केंद्र सरकार किसानों से सीधे चना की खरीद करने की तैयारी कर रही है. बफर से नीचे गिरे स्टॉक को बढ़ाने के लिए सरकार मूल्य स्थिरीकरण निधि (price stabilization fund) के तहत बाजार कीमत पर सीधे किसानों से चना खरीदेगी. ऐसे में किसानों को एमएसपी से करीब 400 रुपये प्रति क्विंटल अधिक दाम मिलने की उम्मीद है. भारत ब्रांड चना दाल सप्लाई के लिए केंद्र को चना की जरूरत है.
देश में कुल दालों के उत्पादन में लगभग 50 फीसदी हिस्सेदारी चना की दाल की होती है. रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान चना की बाजार कीमतें एमएसपी के मुकाबले करीब 400 रुपये प्रति क्विंटल अधिक हैं. फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उत्पादन में गिरावट की आशंका के कारण चना की वर्तमान बाजार कीमतें 5900-6000 रुपये प्रति क्विंटल के बीच चल रही हैं. जबकि, 2024-25 सीजन के लिए चना का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी रेट 5440 प्रति क्विंटल है.
अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि बाजार कीमतों पर किसानों से सीधे खरीदारी करके सरकार बफर स्टॉक बढ़ाने की तैयारी में है. वर्तमान में चने की ऊंची कीमतों के कारण सहकारी संस्था नाफेड और राज्य स्तरीय एजेंसियां मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत एमएसपी खरीद नहीं कर पा रही हैं. मार्केटिंग सीजन अप्रैल-जून में नेफेड दस लाख टन लक्ष्य के मुकाबले अब तक केवल 13,000 टन चना ही खरीदा पाया है. नेफेड ने 2023-24 में पीएसएस के तहत 2.3 मीट्रिक टन और 2022-23 सीजन में 2.6 मीट्रिक टन चना खरीदा था, जिससे बफर स्टॉक को बढ़ावा मिला था.
अधिकारियों ने कहा कि पिछले दो मार्केटिंग सत्रों में मजबूत खरीद ने पिछले साल बफर स्टॉक को 3 मीट्रिक टन तक बढ़ा दिया था. इससे सरकार खुले बाजार में चना बेचने के साथ ही भारत ब्रांड चना दाल 60 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेच सकी है. सूत्रों ने कहा कि चने का बफर स्टॉक वर्तमान में एक मीट्रिक टन के मानक के मुकाबले लगभग 0.7 मीट्रिक टन तक गिर गया है. अब सरकार को भारत ब्रांड चना दाल के लिए भी चना की जरूरत है. ऐसे में बफर स्टॉक को बढ़ाने के लिए सरकार मूल्य स्थिरीकरण निधि (price stabilization fund) के तहत बाजार दर पर किसानों का चना खरीदने की तैयारी कर रही है.
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