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सब्जी और दलहन का दुश्मन है कटुआ कीट, पैदावार गिरने से पहले कर लें 'इलाज' 

सब्जी और दलहन का दुश्मन है कटुआ कीट, पैदावार गिरने से पहले कर लें 'इलाज' 

अक्‍सर आपने कुछ सब्जियों और कभी-कभी कुछ दालों में एक तरह का कीड़ा देखा होगा. एकदम सुस्‍त सा दिखने वाला यह कीड़ा असल में बहुत ही खतरनाक होता है. इस कीड़े को कटुआ के तौर पर जानते हैं. विशेषज्ञों की मानें तो यह देखने में भले ही मामूली सा दिखता हो लेकिन यह फसलों के लिए बहुत ही खतरनाक होता है.

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यह कीड़ा आपकी फसल को पूरी तरह से नष्‍ट कर सकता है यह कीड़ा आपकी फसल को पूरी तरह से नष्‍ट कर सकता है

अक्‍सर आपने कुछ सब्जियों और कभी-कभी कुछ दालों में एक तरह का कीड़ा देखा होगा. एकदम सुस्‍त सा दिखने वाला यह कीड़ा असल में बहुत ही खतरनाक होता है. इस कीड़े को कटुआ के तौर पर जानते हैं. विशेषज्ञों की मानें तो यह देखने में भले ही मामूली सा दिखता हो लेकिन यह फसलों के लिए बहुत ही खतरनाक होता है. इस कीड़े की वजह से आपकी सब्‍जी या फिर दालें पूरी तरह से नष्‍ट हो जाती हैं. यह कीड़ा सब्‍जी जैसे आलू, गोभी, मटर भिंडी, शिमला मिर्च, बैंगन और टमाटर में लगता है. वहीं चने और सरसों में भी य‍ह कीड़ा लगना आम बात है. 

कैसे पड़ा कीड़े का नाम कटुआ 

इस कीड़े की सुंडियां दिन के समय मिट्टी की ऊपरी सतह में छिपकर रहती हैं. वहीं रात के समय में ये जमीन के बाहर होती हैं और छोटे पौधों को जमीन की सतह के थोड़ा ऊपर से काट देती हैं. कीड़ें की सुंडियां पत्‍तों और कोमल तनों को खाती हैं. इस वजह से खेत में पौधों की संख्या कम होती जाती है. इस कीड़े की इसी आदत की वजह से इसे कटुआ नाम दिया गया है.

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इस कीड़े के पतंगे अक्‍सर रात के समय ही निकलते हैं और सही जगह पर अंडे देते हैं. ये जमीन में पड़ी दरारों के बीच में या फिर पौधों के तने पर या उसके आसपास के स्थान पर हो सकते हैं. ऐसी जगहें जहां पर पर्याप्त नमी होती है, खरपतवार की समस्या ज्यादा हो और पानी निकलने की कोई सुविधा न हो, वहां पर इस कीड़े का प्रकोप ज्‍यादा देखने को मिलता है. 

किन इलाकों में होते हैं ये कीड़े 

कृषि विशेषज्ञों के मुता‍बिक कटुआ पूरे भारत में मैदानी क्षेत्रों से लेकर ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों में भी पाया जाता है.  इस कीड़े की खासतौर पर दो प्रजातियां होती हैं और दोनों ही प्रजातियां कई तरह की सब्जियों, फूलों और फसलों को काफी नुकसान  पहुंचाती हैं. पहाड़ों में इस कीड़े की जो प्रजाति मिलती है उसे एग्रोटिस सेजिटम के तौर पर जानते हैं. वहीं एगरोटिस इसिलोन कुछ कम ऊंचाई वाले और मैदानी इलाकों में पाई जाती है. ये दोनों ही प्रजातियां कई  फसलों में करीब 30 फीसदी तक नुकसान पहुंचाती हैं. 

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क्‍यों है फसलों के लिए हानिकारक 

यह कीड़ा आमतौर रात के समय में पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं. इसकी सुंडियां पौधे को जमीन की सतह से  काटकर पूरी तरह से अलग या आधा काटती हैं.  इससे पौधे लटक जाते हैं. साथ ही पीले भी होने लगते हैं. कीड़ा पत्तियों को खाकर उनमें छेद हो जाते हैं.  इसके अलावा टहनियां भी कमजोर हो जाती हैं. 

कैसे करें नियंत्रित 

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर फसलों को इस कीड़े से बचाना है तो फिर कुछ उपाय कर लेने चाहिए. फसल लगाने से पहले खेत से खरपतवार और पुरानी फसल के अवशेषों को हटा देना चाहिए. इससे कीड़े की सुंडिया खत्‍म हो जाएंगी. इसके अलावा ठीक से जुताई भी एक अच्‍छा उपाय है. साथ ही अपने खेतों के चारों तरफ सूरजमुखी की फसल लगानी चाहिए. सूरजमुखी कटुआ कीड़े को आकर्षित करते हैं. ऐसे में फसल तक  पहुंचने से पहले ही इन्हें रोक जा सकता है.