scorecardresearch
Millets: बाजरे को बाजार में 'मजबूत' करेगी यूपी सरकार, बनाया एक्शन प्लान

Millets: बाजरे को बाजार में 'मजबूत' करेगी यूपी सरकार, बनाया एक्शन प्लान

सेहत के लिए 'रामबाण' माने गए मोटे अनाजों (मिलेट्स) में बाजरा का महत्वपूर्ण स्थान है. आटे से लेकर आइसक्रीम तक में बाजरे के इस्तेमाल को देखते हुए बाजार में बाजरा की भरपूर मांग है. इसके मद्देनजर यूपी सरकार ने मिलेट्स पुनरुद्धार कार्यक्रम के तहत बाजारा की खेती और उपभोग को बढ़ावा देने की कार्ययोजना बनाई है.

advertisement
किसान मेलों में मिलेट्स के महत्व से किसानों को रूबरू करा रही यूपी सरकार    किसान मेलों में मिलेट्स के महत्व से किसानों को रूबरू करा रही यूपी सरकार

भारत में मिलेट्स का पारंपरिक रूप से व्यापक पैमाने पर उत्पादन होता रहा है. संयुक्त राष्ट्र संघ ने भारत की पहल पर वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में मनाने का फैसला ल‍िया है, ज‍िसका मुख्य उद्देश्य मोटे अनाजों को बढ़ावा देना है. इसी कड़ी में यूपी में भी मोटे अनाजों का उत्पादन बढ़ाने को लेकर काम होने लगा है. असल में भारत में दक्षि‍णी राज्यों के अलावा यूपी मिलेट्स का प्रमुख उत्पादक राज्य है. मिलेट्स वर्ग में शामिल फसलों में बाजरा का यूपी में सबसे ज्यादा उत्पादन होता है, ज‍िसकी बाजार में मांग भी है. इसे देखते हुए यूपी सरकार ने बाजरे को बाजार में मजबूती देने का फैसला ल‍िया है, ज‍िसका एक्शन प्लान तैयार क‍िया गया है. 

असल में केन्द्र सरकार ने बाजरा से बनने वाले उत्पादों को बाजार में ज्यादा से ज्यादा पहुंचाने के लिए 2026-27 तक 800 करोड़ रुपये खर्च करने की घोषणा की है. इसके मद्देनजर यूपी सरकार ने बाजरा की उपज को बढ़ाने और इससे बने उत्पादों को बाजार में ज्यादा से ज्यादा पहुंचाने के लिए प्रोत्साहन योजना शुरू की है.

हाल ही में केंद्रीय खाद्य एवं प्रसंस्करण मंत्रालय ने 2026 से 2027 के दौरान बाजरे से बनने वाले उत्पादों के प्रोत्साहन पर 800 करोड़ रुपये रुपये खर्च करने का फैसला किया है. ये उत्पाद 'रेडी टू ईट' और 'रेडी टू सर्व' दोनों रूपों में बाजार में उपलब्ध होंगे. स्पष्ट है कि इसका मकसद राज्यों के स्तर पर बाजरा के खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देना है.

कृष‍ि विशेषज्ञ गिरीश पांडे बताते हैं क‍ि यूपी में बाजरे की खेती व्यापक पैमाने पर होती है. इस कारण सरकार का मानना है कि बाजरा के बेहतर प्रजाति के बीज और फसल संरक्षण के उपायों के जरिये यूपी में इसका दायरा और बढ़ाना संभव है. इसके मद्देनजर योगी सरकार ने 2026 एवं 2027 तक यूपी में बाजरा की उपज को और अधिक बढ़ाकर केंद्रीय योजना का सर्वाधिक लाभ यूपी को दिलाने की कार्ययोजना बनाई है.

क्या है केंद्रीय योजना

बाजरा सहित अन्य मोटे अनाजों के निर्यात पर ध्यान केंद्रित करते हुए 'खाद्यान्न उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण' (एपीडा) ने उन 30 देशों को चिन्हित किया है, जिनमें निर्यात की अच्छी संभावनाएं हैं. इन देशों में मिलेट्स के उत्पादों की मांग को पूरा करने के मकसद से मोटे अनाजों का उत्पादन करने वाले 21 राज्यों को चिन्हित किया गया है. इन राज्यों में मिलेट्स के उत्पादों के प्रसंस्करण का दायरा बढ़ा कर निर्यात की संभावनाओं का दोहन करने पर केंद्र सरकार 2026 और 2027 में 800 करोड़ रुपये खर्च करेगी. इन राज्यों की सूची में यूपी भी शामिल है.

यूपी में बाजरे की बाजार में बढ़ेगी धाक

इसे देखते हुए योगी सरकार ने बाजरे का रकबा बढ़ाने के साथ ही इस‍का प्रसंस्करण कर तमाम खाद्य उत्पाद बनाने के लिए राज्य की नई खाद्य प्रसंस्करण नीति 2023 लागू की है. इसके तहत खाद्य प्रसंस्करण यूनिट लगाने के लिए किसानों को भी प्रोत्साहित कर बाजरा के प्रसंस्कृत उत्पाद बनाने की सहूलियतें दी जाएंगी. जिससे आटे से लेकर आइसक्रीम तक, बाजरा के बने तमाम उत्पादों को बाजार में अपनी मजबूत पकड़ बनाने का मौका मिल सके. इससे किसानों की आय बढ़ने के साथ जनसामान्य की सेहत को भी लाभ होगा.

यूपी में बाजरा की भरपूर संभावनाएं

कृष‍ि विभाग के आंकड़ों के अनुसार देश में बाजरा के कुल उत्पादन का करीब 20 फीसदी उत्पादन यूपी में होता है. यूपी में बाजरा का रकबा बढ़ाने के अलावा निर्यात बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है. अभी यूपी से बाजरा के कुल उत्पादन का सिर्फ 1 फीसदी साबुत बाजरे का ही निर्यात होता है. इस लिहाज से बाजरा के प्रसंस्करण से अन्य उत्पाद बनाकर निर्यात करने की भरपूर संभावनाएं हैं. 

सरकार के आंकड़ों के अनुसार देश में राजस्थान में सर्वाधिक, करीब 29 फीसदी रकबे में बाजरे की खेती होती है. इसके बाद महाराष्ट्र में करीब 21 फीसदी, कर्नाटक में 13.46 फीसदी, यूपी में 8.06 फीसदी, मध्य प्रदेश में 6.11 फीसदी, गुजरात में 3.94 फीसदी और तमिलनाडु में करीब 4 फीसदी रकबे में बाजरे की खेती होती है. पांडे ने कहा कि यूपी में खेती के उन्नत तौर तरीके अपनाकर बाजरा की उपज बढ़ाने के उपायों के तहत इसका बीज किसानों को वितरित किया जा रहा है.

उपज बढ़ाने के उपाय

योगी सरकार बाजरा की उपज को बढ़ाने के उपायों के तहत किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर इसकी खरीद कर रही है. जिससे इसकी खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित क‍िया जा सके. साल 2022 तक यूपी में बाजरा की खेती का रकबा कुल 9.80 लाख हेक्टेयर था. इस साल इसे बढ़ाकर 10.19 लाख हेक्टेयर तक पहुंचाने का लक्ष्य है. साथ ही इसकी उपज बढ़ाकर 25.53 क्विंटल प्रति हेक्टेयर करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. किसानों को इसका वाजिब दाम मिले, इसके लिए सरकार 18 जिलों में प्रति कुन्तल 2350 रुपये की दर से एमएसपी पर इसकी खरीद भी कर रही है.

यूपी में चौथी सबसे प्रमुख फसल है बाजरा

यूपी में गेहूं, धान और गन्ने के बाद, चौथी सबसे ज्यादा उपजाई जाने वाली फसल बाजरा है. खाद्यान्न एवं चारे के रूप में प्रयुक्त होने के नाते यह बहुपयोगी भी है. पोषक तत्वों के लिहाज से यह अन्य सभी प्रकार के अनाजों से ज्यादा बेहतर है. यही वजह है कि बाजरा को "चमत्कारिक अनाज" यानि "न्यूट्रिया मिलेट्स" और "न्यूट्रिया सीरियल्स" भी कहा जाता है.

साल 2018 में भारत में मिलेट्स वर्ष मनाया गया था. इसके बाद बाजरा सहित अन्य मोटे अनाजों की खूबियों के प्रति किसान एवं जनसामान्य जागरूक हुए. नतीजतन बाजरे की प्रति हेक्टेयर उपज, कुल उत्पादन और फसल आच्छादन के क्षेत्र में लगातार वृद्धि हुई है. 

बाजरा, बिना लागत वाली खेती

जानकारों के मुताबिक बाजरा की खेती हर तरह की जमीन में संभव है. इसके अलावा पानी की बहुत कम जरूरत, 50 डिग्री सेल्सियस तापमान पर भी परागण होने की क्षमता, मात्र 60 दिन में तैयार होना और लंबे समय तक भंडारण योग्य होना, इसकी अन्य खूबियां हैं. बाजरे के दाने छोटे एवं कठोर होते हैं, ऐसे में उचित भंडारण से यह दो साल या इससे अधिक समय तक सुरक्षित रह सकता है. इसकी खेती में उर्वरक बहुत कम मात्रा में लगता है. साथ ही भंडारण में भी किसी रसायन की जरूरत नहीं पड़ती. लिहाजा यह लगभग बिना लागत वाली खेती कही जाती है.

पोषक तत्वों का खजाना है बाजरा

बाजरा पोषक तत्वों का खजाना है. बाजरे में गेहूं और चावल की तुलना में 3 से 5 गुना ज्यादा पोषक तत्व होते हैं. इसमें ज्यादा खनिज, विटामिन, फाइबर और अन्य पोषक तत्व हैं. बाजरे की प्रकृति अम्लीय नहीं होना इसकी बड़ी खूबी है. लिहाजा यह सुपाच्य होता है. इसमें मौजूद ग्लूकोज धीरे-धीरे निकलता है, इसलिए यह मधुमेह (डायबिटीज) पीड़ितों के लिए भी मुफीद है. बाजरे में लोहा, कैल्शियम, जस्ता, मैग्नीशियम और पोटेशियम जैसे तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं.

बाजरे में कैरोटीन, नियासिन, विटामिन बी 6 और फोलिक एसिड के अलावा इसमें उपलब्ध लेसीथीन शरीर के स्नायुतंत्र को मजबूत बनाता है. यही नहीं बाजरे में पॉलीफेनोल्स, टेनिल्स, फाइट स्टेरोल्स तथा एंटीऑक्सीडेंटस भी प्रचुर मात्रा में होते हैं. इसी वजह से सरकार ने इसे न्यूट्री सीरियल्स श्रेणी की फसलों में शामिल किया है. इन खूबियों की वजह से बाजरा कुपोषण के खिलाफ जंग में एक प्रभावी हथियार साबित हो सकता है.

बाजरे के उत्पाद 

प्रसंस्करण की भरपूर संभावनाओं से युक्त बाजरे से बने उत्पादों की बाजार में भरपूर मांग रहती है. इसके प्रसंस्करण से बनने वाले उत्पादों में बाजरे से चपातियां अब होटल रेस्तरां आदि में खूब मिलती हैं. इसके अलावा बाजरे से बना ब्रेड, लड्डू, पास्ता, बिस्कुट, प्रोबायोटिक पेय पदार्थ भी बनाए जाते हैं. इतना ही नहीं छिलका उतारने के बाद इसका प्रयोग चावल की तरह किया जा सकता है. इसके आटे को बेसन में मिलाकर इडली, डोसा, उत्पम और नूडल्स आदि बनाए जा सकते हैं.

पर्यावरण मित्र है बाजरा

विशेषज्ञों का दावा है कि बाजरे की फसल पर्यावरण के लिए भी उपयोगी है. यह जलवायु परिवर्तन के असर को कम करती है. इसके उलट धान की फसल जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील है. पानी में डूबी धान की खड़ी फसल में जमीन से ग्रीन हाउस गैस निकलती है.

गेहूं तापीय संवेदनशील फसल है. तापमान की वृद्धि का इस पर बुरा असर पड़ता है. पांडे ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से जुड़े शोध के मुताबिक धरती का तापमान लगातार बढ़ने के कारण एक समय ऐसा भी आ सकता है, जब गेहूं की खेती करना संभव ही न हो. ऐसे समय में बाजरा ही सबसे प्रभावी विकल्प हो सकता है,  इसीलिए बाजरा की खेती को भविष्य की खेती माना जा रहा है.

ये भी पढ़ें, मोटे अनाज का रकबा बढ़ने से तिलहन फसलों पर खतरा! नई फसल चक्र का ट्रायल शुरू

ये भी पढ़ें, Video: मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में फिर बारिश और ओलावृष्टि, फसलें बर्बाद, बेबस किसान