Mango Variety-3: लंगड़ा आम को आखिर लंगड़ा क्यों कहते हैं, कैसे पड़ा यह नाम, जानें कहानी

Mango Variety-3: लंगड़ा आम को आखिर लंगड़ा क्यों कहते हैं, कैसे पड़ा यह नाम, जानें कहानी

भारत में हर साल लगभग लाखों टन आम का उत्पादन होता है. वहीं निर्यात के आकड़ों पर अगर नजर डालें तो भारत से आम का निर्यात 1987-88 में 20,302 टन था जो अब बढ़कर 2019-20 में 46,789.60 टन हो गया. किस्मों की खासियत के हिसाब से आम की मांग घटती-बढ़ती रहती है. ऐसे में लंगड़ा आम की मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है.

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Mango Variety-3: लंगड़ा आम को आखिर लंगड़ा क्यों कहते हैं, कैसे पड़ा यह नाम, जानें कहानीआखिर क्यों पड़ा इस आम का नाम लंगड़ा? GFX: संदीप भारद्वाज

गेहूं और चावल की तरह भारत में आम की खेती का इतिहास बहुत पुराना है. आम की अलग-अलग किस्मों की यहां सदियों से खेती की जाती है. आम का स्वाद ऐसा होता है कि इसके बारे में सुनते ही सबके मुंह में पानी आने लगता है. किसी को आम खाना पसंद होता है तो किसी को मैंगो शेक पीना. यही वजह है कि आम की खपत बहुत अधिक है. इतना ही नहीं, अच्छे आम का इस्तेमाल आचार बनाने में भी किया जाता है. भारत में आम की लगभग 1,500 किस्में पाई जाती हैं, जिनमें 1,000 किस्में ऐसी हैं जिन्हें सिर्फ रोजगार के मकसद से उपजाया जाता है. भारत में पाए जाने वाले इन आमों की सबसे खास बात ये है कि इन सभी किस्मों के आमों का नाम और स्वाद अलग-अलग होता है.

भारत में हर साल लगभग लाखों टन आम का उत्पादन होता है. वहीं निर्यात के आकड़ों पर नजर डालें तो भारत से आमों का निर्यात 1987-88 में 20,302 टन था जो 2019-20 में बढ़कर 46,789.60 टन हो गया. देश में आम की भारी मांग है, साथ ही विदेशों में भी भारतीय आम की काफी मांग है. किस्मों की खासियत के हिसाब से आम की मांग घटती-बढ़ती रहती है. इसी में एक किस्म लंगड़ा आम की है जिसकी मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है. स्वाद के साथ-साथ ऐसी कई अन्य खूबियां हैं जिस वजह से लोग इसे खाना पसंद करते हैं. तो आइए जानते हैं इस आम के बारे में विस्तार से:

क्यों कहते हैं इसे लंगड़ा आम?

लंगड़ा आम की कहानी जानने से पहले यह जानना बहुत जरूरी है कि आखिर इसका नाम लंगड़ा कैसे पड़ा. कुछ और भी तो नाम हो सकता था? आम भला लंगड़ा या सीधा होता है क्या? इसके पीछे कहानी कुछ यूं है कि बनारस के एक साधु ने एक पुजारी को आम के पेड़ों की देखभाल की जिम्मेदारी दी थी. वह पुजारी विकलांग था. सभी लोग उसे 'लंगड़ा पुजारी' के नाम से जानते थे. इसलिए आम की इस किस्म का नाम 'लंगड़ा आम' पड़ गया. आज भी इसे लंगड़ा आम या बनारसी लंगड़ा आम कहा जाता है.

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क्या है लंगड़ा आम का इतिहास?

लंगड़ा आम का इतिहास करीब 300 साल पुराना है. अपने बेहद रसीले स्वाद के कारण यह आम भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर है. इसका उत्पादन उत्तर प्रदेश के बनारस में शुरू हुआ था. बनारस के शिव मंदिर में आए एक साधु ने लंगड़ा आम का पेड़ लगाया था. साधु ने इस पेड़ की देखभाल की जिम्मेदारी पुजारी को दी थी. साधु ने पुजारी से कहा कि जब पौधा पेड़ बन जाए और फल देने लगे तो उसका पहला फल भगवान शिव को अर्पित कर देना और भक्तों में प्रसाद बांट देना. पुजारी ने ठीक वैसा ही किया. भक्तों ने जब जब प्रसाद खाया तो वे इस आम के दीवाने हो गए. तब से अब तक यह किस्म लोगों की पसंदीदा किस्मों में से एक है.

भारत में हर साल लगभग लाखों टन लंगड़ा आम का उत्पादन होता है.
भारत में हर साल लगभग लाखों टन लंगड़ा आम का उत्पादन होता है.

किस राज्य में होती है इसकी खेती

लंगड़ा आम की खेती मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश में होती है. वहीं, पंजाब, राजस्थान और गुजरात में भी इसका उत्पादन हो रहा है. इसके वृक्षों पर फल बहुतायत से लगते हैं लेकिन ये अनियमित रूप से आते हैं. इसका फल पकने के बाद भी हरा रहता है. गुदा हल्के पीले रंग का और बहुत रसदार और स्वाद में मीठा होता है. इसकी गुठली पतली और चौड़ी होती है. इसकी कीमत की बात करें तो यह 80 से 100 रुपये किलो बिक रहा है.

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कैसे करें लंगड़ा आम की पहचान?

यह आकार में अंडाकार होता है. यह नीचे से हल्का नुकीला होता है जिस वजह से इसकी पहचान आसानी से की जा सकती है. यह पकने के बाद भी हरे रंग का होता है. 

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